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नई दिल्ली. बिहार चुनाव से पहले सीट बंटवारे को लेकर हर गठबंधन और पार्टी में कशमकश चल रहा है. एनडीए हो या महागठबंधन दिखाने के लिए ‘दूर भी पास भी’ का नाटक कर रहे हैं. लेकिन पार्टी और गठबंधन के अंदर तूफान मचा हुआ है. महागठबंधन के भीतर कांग्रेस और आरजेडी के बीच सीट शेयरिंग को लेकर संग्राम किसी से छिपी हुई नहीं है. लेकिन एनडीए के भीतर भी तूफान आने से पहले शांति तो जरूर नजर आ रही है. लेकिन हकीकत में कुछ और ही लग रहा है. एलजेपी (रामविलास) के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की महत्वाकांक्षा अभी कुछ दिन पहले ही सामने आई थी, जब उन्होंने कहा था कि बिहार बुला रहा है. जीतन राम मांझी कई बार सार्वजनिक मंचों से सीट शेयरिंग को लेकर खुलकर बात रख चुके हैं. अब उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी के नेता भी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कर रहे हैं. ऐसे बड़ा सवाल यह कि आने वाले दिनों में एनडीए के किस पार्टनर को 440 वोल्ट का करंट या झटका लग सकता है?
एनडीए गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर खींचतान तेज होने की सुगबुगाहट शुरू हो गई है. चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मंच (आरएलएम) और जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) ने अपनी-अपनी मांगें सामने रखी हैं. इन पार्टियों की मांग उनके जनाधार और प्रभाव क्षेत्र से कहीं ज्यादा होने से बीजेपी और जेडीयू नेताओं में मंथन का दौर शुरू हो गया है.
बिहार एनडीए में क्या आएगा तूफान?
बीजेपी सूत्रों की मानें तो चिराग पासवान ने 40 सीटों की मांग की है, जो उनकी महत्वाकांक्षी रणनीति को दर्शाता है. 2020 में अलग लड़ने के बाद केवल एक सीट जीतने वाली लोजपा इस बार एनडीए के साथ है और लोकसभा 2024 में पांच सीटों पर शत-प्रतिशत स्ट्राइक रेट का दम दिखा चुकी है. जीतन राम मांझी की हम पार्टी ने 20 से 35 सीटों की मांग रखी है, जो 2020 में सात सीटों पर लड़कर चार सीटें पर जीत दर्ज की थी. उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएम ने भी 20 सीटों की डिमांड की है, हालांकि उनकी पार्टी का 2020 में वोट शेयर केवल 1.77% था.
चिराग, मांझी या कुशवाहा… किसको लगेगा ‘करंट’
चिराग पासवान दलित समुदाय में अपना दम रखने का दावा कर रहे हैं. इस समुदाय के तकरीबन 5.31% वोट बैंक है. पिछले विधानसभा चुनाव में भी उनको तकरीबन इतना ही वोट प्रतिशत हासिल हुआ था. चिराग पासवान हाजीपुर, समस्तीपुर, खगड़िया, बेगूसराय, वैशाली और जमुई में कई सीटों के साथ-समाथ मगध और मिथिलांचल में भी दावा ठोक रहे हैं. जीतन राम मांझी का आधार मुसहर समुदाय जो लगभग 3% आबादी है, उसमें है. मांझी गया, औरंगाबाद, नवादा, जहानाबाद और रोहतास जिलों की कई सीटों पर अपना दावा ठोक रहे हैं. वहीं, उपेंद्र कुशवाहा कोइरी वोट बैंक यानी 5.31% आबादी पर अपना असर मानते हैं. इस लिहाज से वह भी कराकाट, समस्तीपुर, वैशाली और पूर्वी चंपारण में सीट डिमांड कर रहे हैं.
पारस की पार्टी को भी मिल सकती 3-4 सीट
जबकि, सूत्र बता रहे हैं कि एनडीए में बीजेपी और जेडीयू के बीच तकरीबन बराबर सीटों या फिर 100-110 सीटें मिलेंगी. जबकि, और सहयोगी दलों को 30 से 40 सीटों मिल सकती हैं. इसमें चिराग पासवान की पार्टी को 10-15, मांझी की पार्टी को 10-12 सीटें औऱ उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएम को 5-8 सीटें मिल सकती हैं. क्योंकि, चिराग पासवान को छोड़कर अन्य दो नेताओं जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा का संगठन कमजोर है. एनडीए की कोशिश यह भी है कि पशुपति पारस की आरएलजेपी को भी गठबंधन में 3-5 सीटें देकर मनाया जाए.
कुलमिलाकर, एनडीए के भीतर सीट शेयरिंग में बीजेपी और जेडीयू का दबदबा बना रहेगा. लेकिन चिराग पासवान, जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा में से किसी को 440 वोल्ट का झटका लगने से भी इंकार नहीं किया जा सकता है. बिहार की 243 सीटों में से एनडीए के भीतर सीटों का बंटवारा होगा.
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