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Karnataka: कुद्रोली श्री भगवती क्षेत्र, मैंगलोर का प्राचीन मंदिर है जहां 14 देवियों की एक साथ पूजा होती है. यह स्थान भक्तों को शांति, आस्था और शक्ति का अनुभव कराता है.
कुद्रोली भगवती मंदिर
केरल को देवभूमि कहा जाता है, जहां कई प्रसिद्ध भगवती मंदिर हैं. इन मंदिरों की बनावट और पूजा करने का तरीका भी अलग और अनोखा है. केरल से सटे कर्नाटक के तटीय शहर मैंगलोर में भी भगवती की विशेष आराधना होती है. कहा जाता है कि यहां की देवी श्रद्धालुओं के दुख-दर्द हर लेती हैं. मैंगलोर अपने ऐतिहासिक और भव्य मंदिरों के लिए भी जाना जाता है, जहां देशभर के लोग आकर बसते हैं.
कोडियालबेल में बसा है भक्तों का प्रिय तीर्थ
मैंगलोर के दिल कोडियालबेल में स्थित है कुद्रोली श्री भगवती क्षेत्र, जो भक्तों का प्रिय आस्था स्थल है. यहां हर साल हजारों लोग आते हैं, जो देवी की कृपा से सुकून और शांति पाते हैं. इस मंदिर का वातावरण इतना शांत और पवित्र है कि यहां आने वाला हर भक्त खुद को देवी की गोद में महसूस करता है.
800 साल पुरानी विरासत और 14 देवियों का संगम
करीब दो एकड़ में फैला कुद्रोली श्री भगवती क्षेत्र अपनी 800 साल पुरानी विरासत को संजोए हुए है. यह देश का अनोखा मंदिर है जहां एक साथ 14 देवियों की पूजा होती है. चीरुम्बा नलवार, पदांगरा इवर और पुल्लुराली इवर जैसी देवियों की उपासना यहां होती है. इस जगह को कुद्रोली कुटाकाला भी कहा जाता है, जिसका मतलब है – 14 भगवतियों का मिलन स्थल.
तीया समुदाय निभाता है पुजारी की भूमिका
कुद्रोली मंदिर की खासियत यह भी है कि यहां तीया समुदाय के लोग पुजारी के रूप में पूजा-अर्चना करते हैं. कहा जाता है कि चिरुम्भा भगवती, जिन्हें काली माता भी कहा जाता है, भगवान शिव के आदेश पर दिव्य यान के माध्यम से धरती पर आईं. पहले यहां एक और मंदिर था, जो समुद्री कटाव के चलते नष्ट हो गया था. बाद में स्थानीय जमींदार श्री मंजन्ना नायक ने देवी के आशीर्वाद से संतान प्राप्ति के बाद इस स्थान पर नया मंदिर बनवाया और इसे श्रद्धापूर्वक देवी को समर्पित कर दिया.
वीरस्तम्भ: मंदिर की अद्भुत शान
कुद्रोली मंदिर की शान बढ़ाता है वीरस्तम्भ, जो करीब 6 फीट ऊंचा है. इस स्तम्भ पर भगवान महेश्वर और देवी की सुंदर नक्काशी की गई है. वीरस्तम्भ की अपनी एक खास कहानी है, और माना जाता है कि इसमें भी अद्भुत शक्ति बसती है. त्योहारों के समय इसे चमेली और कनकम्बर के फूलों से सजाया जाता है और स्तम्भ पर प्रसाद भी अर्पित किया जाता है.
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