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रवीन्द्र भवन में “बहुजन इंटेलेक्ट समिट – चैप्टर 3” में पूर्व सीएम दिग्विजय मौजूद रहे।
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा है कि प्रदेश के विश्वविद्यालयों में ऐसे लोगों को वाइस चांसलर अपाइंट किया जा रहा है, जो नाथूराम गोडसे को राष्ट्रभक्त मानते हैं। ऐसे लोगों का चयन हो रहा है। जिन पर भ्रष्टाचार के मुकदमे दर्ज हैं। ऐसे ही लोगों को चु
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दिग्विजय सिंह ने कहा कि एजुकेशन में साइंटिफिक टेम्पर की कमी आती जा रही है। बहुजन इन्टलेक्ट समिट 2025 के कार्यक्रम में सिंह ने कहा कि आरएसएस भारतीय संविधान को नहीं मानता है। हमारे जो मौलिक अधिकार हैं, वह आरएसएस नहीं है। दिग्विजय आरएसएस का विरोधी इसलिए नहीं है, क्योंकि उससे मेरा कोई संपर्क नहीं है। चूंकि आरएसएस के लोग संविधान के मौलिक अधिकार को नहीं मानते, इसलिए मैं आरएसएस का विरोध करता हूं। संविधान होते हुए भी संविधान का पालन नहीं हो रहा है। हमारी लड़ाई इसी बात को लेकर है। सिंह ने यह बातें समिट में श्रोताओं के सवालों के जवाब के दौरान कहीं।
इस दौरान ईवीएम से चुनाव कराए जाने का मामला भी उठा। जिस पर दिग्विजय ने कहा कि संविधान में नहीं लिखा है कि चुनाव ईवीएम से कराए जाएंगे। आज लोग पीड़ित होने के बाद भी इसलिए विरोध नहीं करते क्योंकि उनके खिलाफ ईडी, आईटी और अन्य एजेंसियों की जांच बिठा दी जाती है और बिना कारण के जेल भेज दिया जाता है। इतना ही नहीं चार्जशीट पेश किए बगैर लोगों को चार से पांच साल तक जेल में रखा जा रहा है। वक्फ कानून का विरोध नहीं किए जाने के सवाल पर दिग्विजय ने कहा कि दिग्विजय सिंह को आप कभी नही पाएंगे कि अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ कुछ हो और वे चुप रहें। आखिरी दम तक लड़ाई लड़ते रहेंगे।

पहलगाम में हुए आतंकी हमले में मारे गए लोगों के लिए मौन रखा गया।
पहलगाम में धर्म पूछने की घटना गंभीर
दिग्विजय ने कहा कि पहलगाम में जो घटना हुई, वैसी घटना पहले कभी नहीं हुई। उन्होंने कहा कि घटना के अलग-अलग पहलू होते हैं। किसी घटना में आतंकवादी आकर लोगों से धर्म पूछें कि कौन से धर्म से हो और इसके बाद मार दिया जाए, महिलाओं को छोड़ दिया जाए कि तुम अपने घर में जाकर बताना तो ऐसी घटना बेहद ही गंभीर है। पहलगाम में ऐसा हुआ जो गंभीर रहा।
दिग्गी बोले- आतंकवाद के मामले में सभी को मिलकर विरोध करना है
पहलगाम की घटना पर पीएम और केंद्रीय गृहमंत्री से इस्तीफा क्यों नहीं मांगा गया? इस सवाल के जवाब में दिग्विजय सिंह ने कहा कि अगर हमने यह बात कही होती तो यह कहा जाता कि विपक्ष घटना का राजनीतिकरण कर रहा है। आतंकवाद के मामले में सभी को मिलकर विरोध करना है। यह सूचना तंत्र का सबसे बड़ा फेल्योर है। यदि प्रधानमंत्री का दौरा कैंसिल हुआ तो यह इंटेलिजेंस का खुला फेल्योर है। ऐसे समय में दोनों पक्षों को देखा जाता है। कांग्रेस के समय भी आतंकवादी घटनाएं हुई हैं। ऐसे में देश पहले है और इसके लिए सबने मिलकर सरकार के साथ होने की बात कही।
कांग्रेस विश्वसनीयता का नरेटिव बनाने में देर से हुई एक्टिव
इस दौरान मुख्य वक्ता पुरुषोत्तम अग्रवाल ने कहा कि कांग्रेस के समय में जानबूझकर पद खाली रखे गए हैं। मोदी सरकार बनने के बाद तेजी से पद भरे गए। आरएसएस वैचारिक महत्व को जानता है। आरएसएस की कोशिश ऐसा करता है कि माहौल ऐसा बना दिया जाए कि मोदी के खिलाफ बोलने वाला देश के खिलाफ बोलने वाला बन जाए।
अग्रवाल ने कहा कि पहले संघ से जुड़े लोगों के पास कोई आर्थिक नीति नहीं थी। बदलते वक्त के साथ संघ से जुड़े लोगों ने इश पर काम किया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने विश्वसनीय नरेटिव विकसित नहीं कर पाई। इसका नुकसान उठाना पड़ा लेकिन अभी कुछ सालों में कांग्रेस में इस पर तेजी से काम हुआ है।
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