Home मध्यप्रदेश Where is the driver who delivered 52 kg gold | पहली बार...

Where is the driver who delivered 52 kg gold | पहली बार देखिए करोड़पति कॉन्स्टेबल सौरभ के ड्राइवर की तस्वीर: 52 किलो सोना, 11 करोड़ कैश फॉर्म हाउस पहुंचाया, 4 महीने से है लापता – Madhya Pradesh News

12
0

[ad_1]

.

ये कहते हुए येसा बाई भावुक हो जाती है। सोहागपुर(नर्मदापुरम) के तिगड़ी गांव में रहने वाली येसा बाई के बेटे का नाम प्यारेलाल केवट है। वह जिसे कांड बता रही है वह आरटीओ के पूर्व कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा का केस है।

दरअसल, उसका बेटा इस केस का सबसे बड़ा राजदार है। वो प्यारेलाल ही था जो इनोवा गाड़ी में 52 किलो सोना और 11 करोड़ नकद लेकर मेंडोरी के एक फॉर्म हाउस गया था। इसके बाद से प्यारेलाल गायब है।

उसका जांच एजेंसियों की चार्जशीट में नाम तो है, मगर वो कहां है? ये किसी को नहीं पता।उसका मोबाइल नंबर बंद है। भोपाल में जिस जगह वो रहता था वहां से भी गायब है।

अहम सवाल यही है कि ड्राइवर प्यारे जिंदा है भी या नहीं? जिंदा है तो फिर जांच एजेंसियों के हाथ क्यों नहीं लग रहा है? दैनिक भास्कर ने इस मामले की पड़ताल की। ये पता लगाया कि आखिरी बार उसने किन-किन लोगों से बात की थी?

उसे गांव पहुंचकर माता-पिता से मुलाकात की। प्यारे की तस्वीर जांच एजेंसियों के पास भी नहीं है, मगर भास्कर के पास है। पढ़िए रिपोर्ट…

जानिए क्या हुआ था 19 दिसंबर 2024 को…. सुबह 7 बजे पूर्व ट्रांसपोर्ट कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा के अरेरा कॉलोनी स्थित मकान पर लोकायुक्त ने छापा मारा। सौरभ पत्नी दिव्या के साथ दुबई गया था। लोकायुक्त सौरभ के एक मकान की तलाशी ले रही थी, उसी वक्त दोपहर को सौरभ के दूसरे मकान में रखी एक इनोवा गाड़ी निकली और सीधे मेंडोरी के फॉर्म पर जाकर रूकी।

इस गाड़ी के बारे में लोकायुक्त को भी पता नहीं चला। गाड़ी को ले जाने वाले ड्राइवर का नाम प्यारेलाल केवट था। देर रात को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को इस गाड़ी से 52 किलो सोना और 11 करोड़ रुपए नकद मिले थे। उस समय कहा गया था कि ये गाड़ी सौरभ शर्मा की ही है।

बाद में पुलिस ने गाड़ी की डिटेल निकाली तो ये उसके दोस्त चेतन गौर के नाम रजिस्टर्ड थी। 19 दिसंबर को गाड़ी को फॉर्म हाउस पर पार्क करने के बाद ड्राइवर प्यारेलाल को किसी ने नहीं देखा।

प्यारेलाल के पुश्तैनी गांव तिगड़ी गांव का मकान। यहां उसके माता-पिता रहते हैं।

प्यारेलाल के पुश्तैनी गांव तिगड़ी गांव का मकान। यहां उसके माता-पिता रहते हैं।

पिता बोले- 12 साल पहले मजदूरी करने भोपाल गया था ड्राइवर प्यारे लाल केवट कहां गया? इस सवाल का जवाब तलाशते हुए हम पहुंचे सोहागपुर से करीब 25 किलोमीटर दूर उसके पैतृक गांव तिगड़ा। प्यारे के आधार कार्ड के मुताबिक उसकी पहचान इसी गांव से है। जब हम तिगड़ा पहुंचे तो दोपहर के तीन बज रहे थे।पिता मगधू और मां येसा बाई खेत से काम कर घर लौटे ही थे।

उनसे प्यारे के बारे में पूछा तो बोले- प्यारे हमारा ही बेटा है। हमारे 3 बेटे हैं प्यारे, उमाकांत और रमाकांत। उमाकांत गांव में ही मजदूरी करता है। रमाकांत भोपाल में एक कपड़े की दुकान में काम करता है। वो वहां प्यारे के साथ ही रहता था।

पिता मगधू कहते हैं -12 साल पहले प्यारे मजदूरी के लिए भोपाल गया था। वहां किसी के बंगले पर काम करता था। उसके बाद वो कब सौरभ शर्मा के यहां ड्राइवरी करने लगा, हमें नहीं पता।

पिता ने दिखाए ईडी के नोटिस प्यारे क्या कभी पैसे देता था? इस सवाल पर मगधू उल्टा सवाल करते हैं कि हैं कि यदि पैसे देता तो हम इस हालत में रहते क्या? ये पक्की छत पंचायत की मदद और मेरे पसीने से बनाई है। औलाद तो कहने की है। सिर्फ रिश्ता है औलाद का।

भोपाल से कुछ लोग आए थे, वो भी प्यारे का पता पूछ रहे थे। हमको मालूम होता तो हम बताते। वो हमको कोई कागज दे गए। अपने बिस्तर की दराज से कुछ कागज निकालकर मगधू ने हमें थमा दिए। ये कागज ईडी के नोटिस थे। जिसमें प्यारे को बयान के लिए बुलाया गया था।

प्यारेलाल के घर पर ईडी ने समन के नोटिस भेजे हैं।

प्यारेलाल के घर पर ईडी ने समन के नोटिस भेजे हैं।

मां बोली- रात भर नींद नहीं आती है

मगधू के पास ही उनकी पत्नी और प्यारे की मां येसा बाई बैठी थीं। मां को हमने मोबाइल पर कुछ फोटो दिखाए तो वह पहचान गईं कि ये मेरा बेटा प्यारे ही है। बेटे के बारे में पूछने पर वो भावुक हो गई। येसा बाई ने कहा- बेटे की चिंता में रात भर नींद नहीं आतीं। उसने हमको कभी ये नहीं बताया कि वो क्या करता है?

खुद को संभालते हुए कहती है कि जब से ये कांड हुआ है, तब से भोपाल से कोई फोन नहीं आता। अब तो रमाकांत भी फोन नहीं करता।

गांव वाले बोले- हमने तो उसे सालों से नहीं देखा गांव के रहने वाले अर्जुन सिंह कहते हैं कि हमें ये तो पता था कि प्यारे भोपाल में मजदूरी करता है। बाद में पता चला कि उसकी गाड़ी में सोना–पैसा मिला है। हमने तो उसको कई दिनों से नहीं देखा है।

वहीं हरिभाऊ पटेल कहते हैं कि इसमें प्यारे की कोई गलती नहीं है। वह तो मजदूरी करता है। उसे किसी ने कहा कि वहां चले जाओ, तो वह चला गया। उसे क्या पता कि गाड़ी में क्या रखा है?

पंचायत सचिव डालचंद पटेल और रोजगार सहायक भैया पटेल कहते हैं कि इससे पहले ईडी और इनकम टैक्स के अफसर भी प्यारेलाल की तलाश करते हुए गांव में आए थे। हम लोग ही उन्हें प्यारे के घर तक लेकर गए थे। उन्होंने भी यहां लोगों से पूछा था कि प्यारेलाल कहां है? ईडी ने प्यारेलाल के परिवार को समन भी दिया है।

ईडी ने चार्जशीट में लिखा- सौरभ ने किया था प्यारे को फोन ईडी ने इस केस की चार्जशीट पेश कर दी है। ईडी ने प्यारे लाल केवट को भी आरोपी बताया है। इसके मुताबिक 19 दिसंबर को सौरभ शर्मा ने दुबई से प्यारेलाल को फोन किया था। सौरभ ने उसे मौसी के दामाद विनय हासवानी से बात करने के लिए कहा था। प्यारे ने ऐसा ही किया और उसके बाद वो गाड़ी लेकर मेंडोरी के फॉर्म हाउस गया था।

विनय हासवानी ने बताया- मैंने ज्यादा सवाल नहीं किए ईडी को दिए बयान में विनय हासवानी ने कहा- 19 दिसंबर को लगभग 2.15 बजे मेरे पास एक अनजान नंबर से कॉल आया। कॉल करने वाला बोला- मैं सौरभ भैया का ड्राइवर प्यारे बोल रहा हूं। भैया ने कहा कि गाड़ी कहीं रखवानी है। उसने मुझे ये भी कहा कि मैं बावड़िया चौराहे के पास हूं।

मैं अपनी गाड़ी से बावड़िया पहुंचा, फिर वो मेरी गाड़ी के पीछे-पीछे हमारे फॉर्म हाउस तक आया। गाड़ी फॉर्म हाउस के बाहर ही पार्क की थी। गाड़ी पार्क करने के बाद वो वहां से चाबी लेकर चला गया था।

मैंने भी उससे ज्यादा सवाल–जवाब नहीं किए थे। ईडी ने प्यारे को आरोपी बनाया है, लेकिन लोकायुक्त ने उसे आरोपी नहीं बनाया है। लोकायुक्त की चार्जशीट भी कोर्ट में पेश होना बाकी है।

सौरभ की मां को भी मालूम था- गाड़ी में सोना-कैश है 19 दिसंबर 2024 को छापेमारी के बाद सौरभ शर्मा की मां उमा शर्मा प्यारे की तलाश में रातीबड़ थाने पहुंची थीं। उमा शर्मा ने पुलिस को बताया था कि उनकी गाड़ी लेकर ड्राइवर गायब हो गया है, लेकिन तब तक पुलिस को पता चल चुका था कि ये वो ही गाड़ी है, जिसमें सोना और नगदी पकड़ी गई है। पुलिस ने उमा शर्मा को जब ये बताया तो वह थाने से लौट आई थीं।

[ad_2]

Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here