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छिंदवाड़ा में कई बार आश्वासन मिलने के बाद मांगे पूरी नहीं हुईं। इसके चलते मोहगांव डूब क्षेत्र के किसानों ने बुधवार की देर शाम से कार्यपालन यंत्री जल संसाधन संभाग छिंदवाड़ा के कार्यालय को घर कर उसमें डेरा डाल लिया उनकी मांग की।
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उन्होंने कहा अधिकारियों ने उचित निराकरण नहीं दिया गया, जिसके चलते अधिकारियों के रवैया से परेशान होकर के ग्रामीणों ने भी छिंदवाड़ा कार्यालय में अपना डेरा जमा लिया।
सैकड़ों किसान, महिलाएं बच्चे और बुजुर्ग भी शामिल हैं। जिन्हें अपने भविष्य की चिंता है और अधिकारियों के टालमटोल रवैया के चलते वह यह विरोध करने के लिए विवश है।
मोहगांव जलाशय पीड़ित किसानों का कहना है कि पिछले 5 सालों से भटक रहे है लेकिन उनकी समस्या का निराकरण नहीं हुआ।

किसानों ने जल संसाधन विभाग कार्यालय के बाहर डाला डेरा।
किसानों की यह मांगें
- छुटी हुई परिसंपत्ति का पूरक अवार्ड बनाया गया जिसमें अभी भी 36 किसानों की परिसंपत्तियों को अवार्ड में सम्मिलित नहीं किया गया है।
- विस्थापन में 109 किसानों के आवेदन जमा किये गये है लेकिन अभी तक किसी भी प्रकार का कोई निराकरण नहीं किया गया है।
- विस्थापन स्थल पर मुलभूत सुविधा जैसे पानी, सामुदायिक भवन, प्राथमिक शाला भवन, मोक्षधाम एवं मंदिर आदि अभी तक प्रदान नहीं किये गये।
- प्लाट के बदले राशि लेने वाले विस्थापित परिवारों को 50000 की राशि आज दिनांक तक नहीं मिली है।
- ग्राम नुम्मा से मुंगनापार रास्ता, मुम्मा से घोडकीढ़ाना रास्ता, नंदेवानी से सरकीखापा रास्ता ये तीनों रास्तों के कार्य आज दिनांक तक प्रारंभ नहीं किये गये हैं, जिस कारण लगभग 200 किसानों की 150 हेक्टेयर जमीन पर पीड़ित किसान पिछले 2 वर्षों से कृषि नही कर पार रहे है।
- मुद्रक शुल्क आज तक किसी भी किसान को नहीं दिया गया है। नंदेवानी ग्राम में मोक्षधाम नहीं दिया गया है।
- 65 किसानो के सौंसर सत्र न्यायालय में प्रकरण चल रहे है। उन्हें हटाया जाये
- नंदेवानी, सरकीखापा रास्ते के रिपटे की मरम्मत की जाये। जिससे की लोग अपने खेतो मे सुगमतापूर्वक आना-जाना कर सके जब तक बड़े ब्रिज का निर्माण नहीं होता।

किसानों का कहना है कि इन सभी मांगों पर इसके पहले पांढुर्णा कलेक्टर ने इन किसानों के बीच पहुंचकर सहमति जताई थी। 15 दिवस का समय मांगा था लेकिन महीनों बीत जाने के बाद भी किसानों की मांगे जस की तस हैं। आज इस घेराव में नदेवानी, मुगनापर, भुम्मा, सरकीखापा, जोबनडेरा के किसान शामिल हुए है।
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