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2.52 crores defrauded after keeping a person under digital arrest for 29 days in Gwalior | ग्वालियर में 26 दिन डिजिटल अरेस्ट रख 2.52 करोड़ ठगे: रामकृष्ण आश्रम के सचिव को नासिक पुलिस का फर्जी अफसर बनकर डराया – Gwalior News

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रामकृष्ण मिशन आश्रम के सचिव स्वामी सुप्रदिप्तानंद का फाइल फोटो

ग्वालियर में अज्ञात ठगों द्वारा अब तक के सबसे बड़े डिजिटल अरेस्‍ट का मामला सामने आया है। ठगों ने रामकृष्ण मिशन आश्रम के सचिव स्वामी सुप्रदिप्तानंद को मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसे होने की धमकी देकर 26 दिन तक डिजिटल अरेस्ट रखते हुए 2.50 करोड़ रुपए की सा

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ठग ने खुद को नासिक पुलिस का अधिकारी बताकर 29 दिन पहले सुप्रदिप्तानंद से संपर्क किया था। पीड़ित ने साइबर सेल से ठगी की शिकायत की है। पुलिस ने अज्ञात ठगों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच पड़ताल शुरू कर दी है। इधर, सुप्रदिप्तानंद ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि यह जांच का मामला है। मैं इसमें कुछ नहीं कहना चाहता।

सचिव को 29 दिन डिजिटल अरेस्ट रखा

ग्वालियर के थाटीपुर थाना क्षेत्र स्थित रामकृष्ण मिशन आश्रम के सचिव स्वामी सुप्रदिप्तानंद को अज्ञात ठग ने 17 मार्च को नासिक पुलिस का अफसर बनकर मोबाइल नंबर 9730742847 से पहली बार फोन किया था। फोन करने वाले ने बताया कि उनके खिलाफ नासिक पुलिस थाने में मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट में एफआईआर दर्ज है। जब पूछा कि किस मामले में तो कॉल करने वाले ने बताया कि नरेश गोयल को आप जानते हैं। जब उन्होंने इनकार किया तो कथित इंस्पेक्टर ने बताया कि नरेश गोयल मनी लॉन्ड्रिंग केस में पकड़ा गया था और उसके पास से जो अकाउंट मिला है, वह उनके नाम पर है।

ठग बोला खाते से हुआ था 20 करोड़ का लेनदेन

इसके बाद कथित इंस्पेक्टर ने सुप्रदिप्तानंद को कैनरा बैंक के एक अकाउंट की डिटेल भेजी जो कि उनके नाम पर था। सुप्रदिप्तानंद के आधार कार्ड से संचालित हो रहा था। इस खाते में करीब बीस करोड़ का ट्रांजैक्शन हुआ था। ठग ने इसकी पीडीएफ व स्टेटमेंट की कॉपी उनके वॉट्सऐप पर भेजी। यह खाता खुद का होने से इनकार करने और इस तरह की गतिविधि में शामिल नहीं होने का कहने पर ठग ने मामले की जांच करने की बात की।

धमकाते हुए कहा, हर घंटे देनी होगी लोकेशन व सेल्फी

इसके बाद ठग ने सुप्रदिप्तानंद से उनकी तथा पूरे परिवार की जानकारी ली। धमकी दी कि अगर उन्होंने कोऑपरेट नहीं किया तो उन्हें कुछ ही घंटों में अरेस्ट कर लिया जाएगा। यह सारी कार्रवाई गोपनीय है और बिना अनुमति आप कहीं नहीं जाएंंगे। जो चर्चा आपसे हो रही है, उसकी जानकारी सीनियर या परिवारजनों को नहीं देंगे। यदि जानकारी लीक हुई तो 3 से 7 साल की सजा अथवा 5 लाख रुपए का जुर्माना या फिर दोनों सजा हो सकती है। हर घण्टे अपनी लोकेशन और सेल्फी वॉट्सऐप पर सेंड करने के लिए भी कहा।

ठगों ने खाली कराया आश्रम का अकाउंट

कॉल करने वाले ने उनसे आश्रम के अकाउंट की पूरी डिटेल ली। इसके बाद इन्फोर्समेंट एजेंसी व अन्य संस्थाओं के दस्तावेज भेजे जिनमें सुप्रदिप्तानंद का नाम मेंशन था। ठग ने जांच के नाम पर आश्रम के फंड से 2 करोड़ 52 लाख 99 हजार रुपए विभिन्न खातों में ट्रांसफर करा लिए। ठग ने झांसा दिया कि जांच के बाद अगर पैसा मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित नहीं हुआ तो वापस कर दिया जाएगा।

पैसे वापस नहीं मिलने पर ठगी का पता चला

पीड़ित ने बताया कि 11 अप्रैल तक वो 2 करोड़ 52 लाख 99 हजार रुपए ट्रांसफर कर चुके थे। ठग ने तीन दिन में जांच के बाद रुपए वापस करने का कहा था। लेकिन तीन दिन बाद रुपए वापस नहीं आए। इस पर उन्होंने जिस नंबर पर बात हो रही थी, उस पर कॉल लगाया तो उनका कॉल रिसीव नहीं हुआ। शंका होने पर जानकारी जुटाई तो पता चला कि वह ठगी का शिकार हो गए हैं। मामला समझ में आते ही वह पुलिस कंट्रोल रूम पहुंचे और पुलिस कप्तान धर्मवीर सिंह यादव से मिले व ठगी की शिकायत की। पुलिस कप्तान ने मामले को गंभीरता से लेते हुए तत्काल कार्रवाई करने के निर्देश दिए। जिसपर साइबर सेल ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

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