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नई दिल्ली/अंजलि सिंह राजपूत : बिहार के पूर्णिया जिले के एक छोटे से गांव के रहने वाले शम्स तबरेज आज इजीपे कंपनी के फाउंडर और सीईओ हैं. बड़ी तादाद में लोग इनके अधीन नौकरी कर रहे हैं. देश के मशहूर लोग इनको जानते हैं और देश के बड़े बिजनेसमैन में इनका नाम है, लेकिन क्या आप शम्स तबरेज के यहां तक पहुंचने की कहानी जानते हैं. अगर नहीं तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं इनके संघर्ष की कहानी. यहां तक पहुंचने की कहानी. अगर आप सुनेंगे तो यकीनन आपके अंदर जोश आ जाएगा और आप भावुक भी हो जाएंगे.
हमने शम्स तबरेज के ऑफिस पहुंचकर इनसे खास बातचीत की. शम्स तबरेज ने बताया कि शुरुआती पढ़ाई इनकी पटना से ही हुई और वहीं से इन्होंने अपनी बेसिक एजुकेशन पूरी की. पिता बिजनेसमैन थे उनका फर्टिलाइजर का काम था. सब कुछ अच्छा चल रहा था तभी एक दिन पटना से वह जब घर पहुंचे तो देखा माता-पिता काफी परेशान हैं. पूछने पर पता चला की मां को पेट में कोई बीमारी हो गई है, जिसके ऑपरेशन के लिए पापा के पास पैसे नहीं हैं और उस वक्त उनके पिता लोगों से उधार मांग रहे थे और लोग उधार देने के बहाने कर रहे थे. कोई भी उधार देने को तैयार नहीं था. लोग उधार देने का सिर्फ नाटक कर रहे थे. ऐसे में पिता ने मां के जेवर को गिरवी रख दिया और उनका पूरा ऑपरेशन कराया.
यही बात शम्स तबरेज को अंदर तक इतनी ज्यादा दुखी कर गई कि इन्होंने ठान लिया कि इन्हें कुछ भी करके अपनी मां के जेवर वापस लाने हैं. फिर एक दिन इलाहाबाद बैंक जो अब इंडियन बैंक है वहां पर मैनेजर थे राजेंद्र पंडित. उन्होंने बताया कि बैंक पूरी तरह से ऑनलाइन होने जा रहा है. तुम्हारे पास जनरेटर है यहां पर लाइट नहीं रहती है, तुम लाइट की सप्लाई करना. प्रति घंटे 30 रुपए मिलेंगे. ज्यादा सप्लाई होगी तो उसके भी पैसे तुम्हें मिलेंगे. यही उनकी जिंदगी का टर्निंग पॉइंट था. इन्होंने जनरेटर सप्लाई करना शुरू किया. लोगों की बैटरी और मोबाइल भी इन्होंने चार्ज करने शुरू कर दिए. जिसके जरिए उन्होंने अच्छे खासे पैसे कमाए. अच्छी कमाई हुई तो सबसे पहले इन्होंने सारी कमाई पिता को दी और पिता से कहा मां के जेवर वापस लेकर आओ. पिता मां के जेवर वापस लेकर आए, तो शम्स तबरेज ने खुद अपने हाथों से मां को उनके जेवर लौटाए तो मां के आंखों में खुशी के आंसू थे. यहीं से बिजनेस करने की एक राह इन्हें नजर आई.
कर्जा चढ़ा तो सोचा आत्महत्या कर लूं
शम्स तबरेज ने बताया कि उन्होंने इसके बाद वीसीडी प्लेयर किराए पर दिए. वीसीडी, सीडी और कैसेट का बिजनेस किया. उससे पैसे कमाए. इसके अलावा जब नोटबंदी हुई तो ग्राहक सेवा केंद्र खोले. जगह-जगह लोगों की मदद की और उससे भी काफी इन्हें फायदा हुआ था, लेकिन नोटबंदी के बाद उनके जिले में जब बाढ़ आई तो इनका पूरा जनरेटर और वहां की दुकान सब कुछ बाढ़ में बह गए. सब कुछ बर्बाद हो गया और 70 से 80 लाख रुपए का कर्जा इनके ऊपर चढ़ गया. कर्ज मांगने वालों ने जब पैसे वापस देने का दबाव बनाया तब इन्होंने सोचा क्यों ना आत्महत्या कर ली जाए, लेकिन पत्नी ने रोका और इनको हार न मानने की बात कही. तब इन्होंने वहां से निकलकर पेटीएम के बारे में पढ़ा. यही इनकी जिंदगी का एक और टर्निंग पॉइंट बना.
आज है 17,500 करोड़ का है फाइनेंशियल टर्नओवर
शम्स तबरेज ने बताया कि वह तमाम जगहों पर सॉफ्टवेयर बनवाने के लिए गए, लेकिन सभी कंपनियों ने उनसे दो से तीन लाख रुपए तक लिए, लेकिन किसी ने भी इन्हें सॉफ्टवेयर बनाकर नहीं दिया. फिर एक दिन जयपुर में इन्हें एक शख्स मिला, जिसका नाम रवि था. उसने बताया कि पेटीएम बीटूसी है जिसमें ज्यादा खर्च आता है. तुम बिज़नेस टू बिज़नेस करो. रिटेलर को जोड़ना शुरू करो. यहीं से इन्होंने काम करना शुरू किया और काम करते-करते 15 अगस्त 2018 में ईजीपे कंपनी को ऑनलाइन कर दिया और मार्च 2019 तक 4000 से ज्यादा रिटेलर इनसे जुड़ गए. आज वर्तमान में यह कंपनी 12 राज्यों में है. 5 लाख रिटेलर हैं और फाइनेंशियल टर्नओवर इस कंपनी का 17,500 करोड़ है.
इस तरह काम करती है कंपनी
ईजीपे कंपनी जहां से आधार कार्ड के जरिए लोगों को पैसा निकालना होता है, उसमें मदद करती है. हवाई जहाज, बस ट्रेन का टिकट बुक करने में मदद. पैन कार्ड बनाने में मदद समेत तमाम तरह की मदद लोगों की कर रही है.
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