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माउंट आबू निवासी दीपक त्रिपाठी ने 2010 में आबू ऑर्गेनिका नाम से कम्पनी रजिस्टर करवाकर घर में ही एक छोटा प्लांट लगाया था. इस प्लांट में शुरुआत में माउंट आबू के जंगलों में पाए जाने वाले औषधीय पेड़ ज्योतिष्मती या म…और पढ़ें
मालकांगनी ऑयल समेत अन्य नेचुरल प्रोडक्ट
हाइलाइट्स
- दीपक त्रिपाठी ने 2010 में आबू ऑर्गेनिका की शुरुआत की.
- कम्पनी का सालाना टर्नओवर 10 लाख से ज्यादा है.
- कम्पनी के प्रोडक्ट्स की डिमांड देशभर में है.
सिरोही:- राजस्थान के हिल स्टेशन माउंट आबू के वन क्षेत्र में पाए जाने वाले आयुर्वेदिक महत्व के कई पेड़ पौधों से एक शख्स ने 15 साल पहले नेचुरल प्रोडक्ट बनाने का काम शुरू किया था. घर में छोटा प्लांट लगाकर शुरू किए गए इस बिजनेस का अब सालाना टर्नओवर 10 लाख से ज्यादा का है. इस कम्पनी द्वारा तैयार प्रोडक्ट की डिमांड ना केवल राजस्थान, बल्कि देश के अन्य राज्यों में भी है.
माउंट आबू निवासी दीपक त्रिपाठी ने 2010 में आबू ऑर्गेनिका नाम से कम्पनी रजिस्टर करवाकर घर में ही एक छोटा प्लांट लगाया था. इस प्लांट में शुरुआत में माउंट आबू के जंगलों में पाए जाने वाले औषधीय पेड़ ज्योतिष्मती या मालकांगनी के बीज से नेचुरल ऑयल बनाने का काम शुरू किया था. अब ये कम्पनी के नेचुरल प्रोडक्ट्स तैयार कर रही है.
65 प्रकार की तकलीफों में फायदेमंद मालकांगनी ऑयल
त्रिपाठी ने लोकल 18 को बताया कि माउंट आबू में प्राकृतिक रूप से मिलने वाला मालकांगनी का पेड़ 65 प्रकार की तकलीफों में फायदेमंद होता है. जोड़ो के दर्द, आंखों की रोशनी बढाने, मेमोरी तेज करने, स्किन कॉम्प्लेक्शन बढाने समेत कई तकलीफों में काम में आता है. इस जड़ी बूटी से लाल बीज निकलते हैं, जिससे ऑयल तैयार किया जाता है. उनकी फर्म आबू ऑर्गेनिका इस काम को पिछले 15 साल से कर रही है.
जंगलों में आदिवासियों से ये जड़ी बूटियां इकट्ठा करवाते हैं और घर पर लगाए प्लांट में उससे ऑयल बनाते हैं. जो एक बार इसका आयोग करता है, वो कुरियर के जरिये भी इसे मंगवाता है. इसके अलावा कई प्रोडक्ट हैं, जो नेचुरल तरीके से तैयार किये जाते हैं. इनमें हेयर कलर, फेशपैक, साबुन, बोडीकेयर, धूपबत्ती, सुखी और गीली, जामुन और अजवाइन अर्क, तुलसी अर्क, गुलाबजल गुलकंद, मेंहदी आदि शामिल हैं.
कई राज्यों से आती है डिमांड
इन प्रोडक्ट्स का रिटेल स्टोर अचलगढ़ में बना हुआ है. जहां देशभर से आने वाले पर्यटक इन नेचुरल प्रोडक्ट्स को पसंद करते हैं. इसके अलावा देश के अलग-अलग राज्यों में भी इन प्रोडक्टस को भेजा जाता है. इनमें बिहार, महाराष्ट्र, गुजरात, उड़ीसा, छतीसगढ़ वेस्ट बंगाल आदि राज्य में ये उत्पाद भेजे जाते हैं. कम्पनी द्वारा इस गृह उद्योग से यहां के कई आदिवासी परिवारों को रोजगार दिया जा रहा है.
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