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वक्‍फ कानून पर केंद्र भी पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, चल दी ऐसी चाल, विरोधियों की नहीं गलेगी दाल, जान लें क्‍या होता है कैव‍िएट – waqf act central government approach supreme court file caveat what does it mean explainer

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Waqf Act News: वक्फ संशोधन बिल को संसद से पास होने के बाद राष्‍ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पास उनके हस्‍ताक्षर के लिए भेजा गया था. राष्‍ट्रपति के साइन करते ही यह बिल अब कानून बन गया है. साथ ही 8 अप्रैल 2025 से प्र…और पढ़ें

वक्‍फ कानून पर केंद्र ने चल दी ऐसी चाल, विरोधियों की नहीं गलेगी दाल

वक्‍फ एक्‍ट पर सुप्रीम कोर्ट में कानूनी लड़ाई शुरू हो गई है. अब इसमें केंद्र सरकार भी शामिल हो गई है.

हाइलाइट्स

  • वक्‍फ एक्‍ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कानूनी लड़ाई शुरू हो गई है
  • लीगल फाइट में केंद्र भी हुआ शामिल, सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल
  • संशोधित वक्‍फ एक्‍ट 8 अप्रैल से प्रभावी, गजट नोटिफिकेशन जारी

नई दिल्‍ली. वक्‍फ संशोधन बिल तमाम तरह की प्रक्रियाओं को पूरा करते हुए अब कानून बन गया है. वक्‍फ एक्‍ट के प्रभावी होने का गजट नोटिफिकेशन 8 अप्रैल 2025 को जारी कर दिया गया है. इसका मतलब यह हुआ कि वक्‍फ एक्‍ट अब पूरी तरह से प्रभावी हो गया है. दूसरी तरफ वक्‍फ कानून में संशोधन को लेकर एक खेमा सहमत नहीं है और वह गुट सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है. वक्‍फ कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर सोमवार 8 अप्रैल को सुनवाई भी हुई. इस बीच, इस मामले में नया मोड़ आया है. केंद्र ने इस बाबत सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल किया है. बता दें कि वक्‍फ कानून में संशोधन को देश की सबसे बड़ी अदालत में चुनौती दी गई है.

केंद्र सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में एक कैविएट दायर की और वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर कोई आदेश पारित किए जाने से पहले सुनवाई किए जाने का अनुरोध किया. कैविएट किसी पक्षकार द्वारा हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में यह सुनिश्चित करने के लिए दायर की जाती है कि इसे सुने बिना कोई आदेश पारित नहीं किया जाए. अधिनियम की वैधता को चुनौती देते हुए नेताओं और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी), जमीयत उलेमा-ए-हिंद की याचिकाओं सहित 10 से अधिक याचिकाएं शीर्ष अदालत में दायर की गई हैं. सीफ जस्टिस ऑफ इंडिया जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने 7 अप्रैल को जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल को याचिकाओं को लिस्‍ट करने पर विचार करने का आश्वासन दिया था. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 5 अप्रैल को वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को अपनी मंजूरी दे दी थी, जिसे पिछले हफ्ते संसद के दोनों सदनों में लंबी चर्चा के बाद पारित किया गया था.

क्‍या होता है कैविएट?
वक्‍फ कानून में संशोध अब अमल में आ चुका है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट में इसके खिलाफ याचिकाएं दायर होने की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है. कांग्रेस नेता के साथ ही मुस्लिम संगठनों समेत कई याचिकाएं इस बाबत सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई हैं. इन सबके बीच केंद्र सरकार ने भी बड़ा कदम उठाया है. केंद्र की तरफ से इस बाबत अब शीर्ष अदालत में कैव‍िएट दाखिल किया गया है. इस तरह केंद्र भी इसमें शामिल हो गया है. अब सवाल उठता है कि कैविएट का दाखिल करने का क्‍या मतलब है. दरअसल, कैविएट एक लीगल तरीका है, जिससे संबंधित पक्ष कोर्ट से उसकी बात सुनने का आग्रह करता है और जब तक उसके पक्ष को न सुन लिया जाए, याचिका पर फैसला न दिया जाए. कैविएट के स्‍वीकार होने का मतलब होता है कि सुप्रीम कोर्ट इसके लिए राजी हो गया है. वक्‍फ एक्‍ट मामले में केंद्र ने कैविएट दाखिल कर अपना भी पक्ष सुनने का अनुरोध किया है.

सुनवाई की डेट आई सामने
केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ दाखिल याचिका पर 16 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी. सोमवार को जमीयत उलमा-ए-हिंद की ओर से पेश होते हुए सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना से इस मामले की शीघ्र सुनवाई करने का अनुरोध किया था. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने कपिल सिब्बल को आश्वासन दिया था कि वे जल्द ही इसकी तारीख तय करेंगे. सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार की ओर से एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड फ़ुजैल अय्यूबी को दी गई जानकारी के अनुसार, मौलाना अरशद मदनी की ओर से दाखिल याचिका पर 16 अप्रैल को सुनवाई होगी. जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने इसे एक उत्साहजनक प्रगति बताते हुए आज एक महत्वपूर्ण बयान में कहा कि हमें पूरा विश्वास है कि इस मामले में अदालत से हमें न्याय मिलेगा, क्योंकि इस कानून की कई धाराएं न केवल देश के संविधान के खिलाफ हैं, बल्कि इससे नागरिकों के मौलिक और धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन भी होता है.

homenation

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