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31 मार्च, सोमवार, जबलपुर: धर्मांतरण के आरोपों ने जबलपुर शहर में हिंसक मोड़ ले लिया, जब करीब 100 से अधिक लोग धर्म परिवर्तन के संदेह में हिंदू संगठनों के निशाने पर आ गए। 31 मार्च को मंडला जिले से आए श्रद्धालु जबलपुर के चर्चों का दौरा करने पहुंचे थे, तभ
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धर्मांतरण के आरोप में रांझी थाना में तनाव
मंडला से आए तीर्थयात्रियों का आरोप था कि वे अपनी मर्जी से जबलपुर घूमने आए थे, लेकिन हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं ने उन्हें धर्मांतरण के संदेह में थाने ले जाकर बंधक बना लिया। बस में सवार महिलाओं और बच्चों का कहना था कि वे सिर्फ तीर्थ यात्रा के उद्देश्य से शहर आए थे, न कि धर्मांतरण करवाने।

टीआई के मुताबिक बस में करीब 50 लोग थे, जो क्रिश्चियन हैं।
“हम सभी अपनी मर्जी से जबलपुर घूमने आए हैं। हम किसी के बहकावे में नहीं आए,” एक यात्री ने कहा। बावजूद इसके, जैसे ही स्थानीय हिंदू संगठनों ने धर्मांतरण के आरोप लगाए, स्थिति तनावपूर्ण हो गई और पुलिस ने इन श्रद्धालुओं को रांझी थाने भेज दिया।

धर्मगुरुओं के साथ मारपीट का वीडियो सामने आने पर विवाद ने तूल पकड़ लिया।
ईसाई धर्मगुरुओं के साथ मारपीट: पुलिस कार्रवाई पर सवाल
शाम को, जब फादर डेविस जॉर्ज और फादर जॉर्ज थॉमस इस मामले की जानकारी लेने रांझी थाने पहुंचे, तो वहां मौजूद कुछ लोगों ने इन धर्मगुरुओं के साथ मारपीट की। यह वीडियो जैसे ही सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, विवाद ने तूल पकड़ लिया। पुलिस ने दोनों धर्मगुरुओं को तत्काल थाने के भीतर सुरक्षित किया, लेकिन उस समय तक माहौल पूरी तरह से बिगड़ चुका था।
यह वीडियो न केवल जबलपुर में, बल्कि दिल्ली और केरल में भी चर्चा का विषय बन गया। दोनों धर्मगुरुओं के खिलाफ हिंसा के आरोप ने मामले को एक नया मोड़ दिया, और ईसाई समुदाय के लोगों ने कड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए पुलिस स्टेशन का घेराव किया।
एसपी कार्यालय का घेराव, प्रदर्शनकारियों की कड़ी मांगें
1 अप्रैल को जब ईसाई समुदाय के सैकड़ों लोग एसपी कार्यालय के बाहर एकत्रित हुए और दो घंटे तक नारेबाजी की। उनका मुख्य मांग थी कि जिन लोगों ने धर्मगुरुओं के साथ मारपीट की, उन्हें गिरफ्तार किया जाए। पुलिस ने उनका ध्यान रखते हुए आश्वासन दिया कि आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी और मामले की जांच की जाएगी।
इस बीच, पुलिस ने कहा कि वीडियो के आधार पर आरोपियों की पहचान की जा रही है और जल्द ही उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा।
अखिलेश मेबन का विवाद: सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक टिप्पणी
इसी बीच, विजय नगर स्थित जॉय सीनियर सेकेंडरी स्कूल के संचालक अखिलेश मेबन की सोशल मीडिया पर एक अभद्र टिप्पणी ने माहौल को और उग्र कर दिया। मेबन ने भगवान राम के खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया, जिसे लेकर हिंदू संगठनों ने स्कूल में हंगामा किया। कार्यकर्ताओं ने स्कूल में घुसकर पोस्टर फाड़े, खिड़कियों के कांच तोड़े और दीवारों पर कालिख पोत दी।
पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित किया और प्रदर्शनकारियों को शांत किया। इस मामले में एफआईआर दर्ज की गई और पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया।

अखिलेश मेबन की सोशल मीडिया पर एक अभद्र टिप्पणी ने माहौल को और उग्र कर दिया।
अखिलेश मेबन की गिरफ्तारी: फरार होने के बाद कोच्चि से गिरफ्तारी
अखिलेश मेबन के खिलाफ जैसे ही एफआईआर दर्ज की गई, वह फरार हो गया। पुलिस को पता चला कि वह कोच्चि (केरल) भाग गया है, और 5 अप्रैल को उसे कोच्चि एयरपोर्ट से गिरफ्तार कर लिया गया। अब उसे ट्रांजिट रिमांड पर जबलपुर लाया जाएगा।
फिलहाल स्थिति तनावपूर्ण, पुलिस जांच जारी
जबलपुर पुलिस ने दोनों पक्षों की शिकायतों के आधार पर जांच शुरू कर दी है। एएसपी समर वर्मा ने कहा कि रांझी थाना परिसर में धर्मगुरुओं के साथ हुई मारपीट के मामले में जांच जारी है। पुलिस ने कहा कि वीडियो के आधार पर आरोपियों की पहचान की जा चुकी है और जल्द ही उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा। घटना की टाइमलाइन
– 31 मार्च की दोपहर धर्मांतरण के शक में 50 से अधिक लोगों को लाया गया थाने
– शाम को फादर डेविस जॉर्ज और फादर जार्ज थॉमस पहुंचे थाने, उन पर हुआ हमला
– 01 अप्रैल को सैकड़ों ईसाई समुदाय के लोगों ने घेरा एसपी ऑफिस,आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग
– 01 अप्रैल को जॉय स्कूल के संचालक ने भगवान राम पर लिखी अभद्र टिप्पणी, हंगामा
– 02 अप्रैल को फादर के साथ हुई मारपीट पर अज्ञात के खिलाफ एफआईआर दर्ज
– 02 अप्रैल को स्कूल संचालक अखिलेश मेबन पर विजय नगर में एफआईआर दर्ज
– 04 अप्रैल को अखिलेश मेबन के स्कूल और घर की ली गई तलाशी
– 05 अप्रैल को अखिलेश मेबन कोच्चि से हुआ गिरफ्तार
-05 अप्रैल को कार्यकर्ताओं पर हुई एफआईआर के विरोध में विहिप का रांझी में चक्काजाम
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