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झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास।
जमशेदपुर: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास ने गुरुवार को सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा पर जमकर निशाना साधा। दास ने JMM पर आरोप लगाया कि वक्फ संशोधन विधेयक 2025 के खिलाफ वोटिंग करके उसने आदिवासी विरोधी रुख अपनाया। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता दास ने जमशेदपुर में कहा कि JMM का आदिवासी विरोधी दृष्टिकोण तब स्पष्ट हो गया जब उसने वक्फ विधेयक का विरोध किया और लोकसभा में इसके खिलाफ वोटिंग की। उन्होंने दावा किया कि विधेयक के कानून बनने के बाद जनजातीय भूमि, जनजातीय संस्कृति और संवैधानिक प्रावधानों की रक्षा करने में मदद मिलेगी।
‘तुष्टीकरण की राजनीति में फंसी JMM’
बीजेपी के वरिष्ठ नेता दास ने दावा किया कि आदिवासी क्षेत्रों में अनुसूची 5 और अनुसूची 6 के तहत वक्फ संपत्तियों की घोषणा नहीं की जा सकती। दास ने JMM पर कांग्रेस की तुष्टीकरण की राजनीति के जाल में फंसने का आरोप लगाया और कहा कि वह खुद को आदिवासी हितों की रक्षा के लिए समर्पित पार्टी के रूप में पेश कर आदिवासी समुदाय को गुमराह कर रहा है। उन्होंने आरोप लगाया,‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली NDA सरकार ने आदिवासियों के हितों की रक्षा के लिए विधेयक में प्रावधान शामिल किए हैं, जिसमें उनकी भूमि भी शामिल है। फिर भी, JMM ने इसका विरोध किया और इसके खिलाफ मतदान किया।’
रघुबर दास ने हेमंत सोरेन से पूछा ये सवाल
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री ने सवाल किया,‘क्या JMM और उसके नेता हेमंत सोरेन चाहते हैं कि जमीनों सहित आदिवासी क्षेत्रों को वक्फ घोषित कर दिया जाए, जिससे संविधान की 5वीं अनुसूची का उल्लंघन हो, जो आदिवासियों की मूल संस्कृति और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करती है?’ उन्होंने कहा कि अनुसूचित क्षेत्रों में कब्रिस्तानों, मकबरों, मस्जिदों और दरगाहों का निर्माण और विस्तार आदिवासियों की मूल संस्कृति के पूरी तरह विपरीत है तथा राज्य के इन क्षेत्रों में वक्फ संपत्तियों की मौजूदगी संविधान की मूल भावना के खिलाफ है।
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