Home देश/विदेश जजों की नियुक्ति पर सरकार की चुप्पी से एनजेएसी पर सस्पेंस बरकरार.

जजों की नियुक्ति पर सरकार की चुप्पी से एनजेएसी पर सस्पेंस बरकरार.

14
0

[ad_1]

Last Updated:

जजों की नियुक्ति पर एनजेएसी को लेकर सरकार की चुप्पी ने सियासी हलकों में चर्चा छेड़ दी है. कानून मंत्रालय ने सिर्फ एमओपी पर हुई बातचीत का जिक्र कर सवाल टाल दिया है.

जजों की नियुक्‍त‍ि के ल‍िए NJAC कानून क्‍या फ‍िर आएगा? जान‍िए सरकार का जवाब

जजों की नियुक्‍त‍ि अभी सुप्रीम कोर्ट कॉलेज‍ियम करता है.

हाइलाइट्स

  • दिल्ली हाईकोर्ट के जज के घर कथ‍ित तौर पर कैश मिलने के बाद विवाद
  • कानून मंत्रालय से पूछा गया NJAC पर सवाल, लेकिन जवाब नहीं मिला
  • कैश कांड के बाद न्यायपालिका बनाम सरकार की बहस फिर शुरू

जजों की नियुक्‍त‍ि अब तक सुप्रीम कोर्ट कॉलेज‍ियम करता आया है. लेकिन ज‍िस तरह द‍िल्‍ली हाईकोर्ट के एक जज के घर कथ‍ित तौर पर पैसे मिलने की बात सामने आई है, उससे जजों की नियुक्‍त‍ि का तरीका बदलने पर चर्चा होने लगी है. लेकिन जब केंद्र सरकार से नेशनल ज्‍यूड‍िश‍ियल अप्‍वाइंटमेंट कमीशन (NJAC) को दोबारा लाने के बारे में पूछा गया तो कानून मंत्रालय ने चुप्‍पी साध ली. कॉलेजियम सुधार पर सुप्रीम कोर्ट के साथ काम करने की बात भी अधूरी रह गई.

बीजेडी सांसद डॉ. सस्मित पात्रा ने सरकार से पूछा था कि क्या वह एनजेएसी बिल को फिर से लाने पर विचार करेगी, और यदि नहीं, तो क्या सुप्रीम कोर्ट के 2015 के फैसले के अनुरूप कॉलेजियम सिस्टम में सुधार के लिए कोर्ट के साथ मिलकर काम करने को तैयार है. जवाब में कानून मंत्री ने एनजेएसी पर कोई स्पष्ट रुख नहीं जताया, बल्कि पिछले कुछ वर्षों में सुप्रीम कोर्ट के साथ मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर (एमओपी) को लेकर हुई बातचीत का ब्योरा पेश कर द‍िया.

कानून मंत्रालय का जवाब
कानून मंत्रालय ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने 16 दिसंबर 2015 को अपने फैसले में मौजूदा एमओपी को अंतिम रूप देने का निर्देश दिया था. इसके तहत इलि‍ग्‍ज‍िबिल‍िटी क्राइटेर‍िया, ट्रांसपेरेंसी, सेक्रेट्रेट की स्थापना और शिकायतों से निपटने के सिस्‍टम को शामिल करने की बात कही गई थी. सरकार ने 22 मार्च 2016 को ड्राफ्ट एमओपी सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को भेजा था. इसके जवाब में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 25 मई और 1 जुलाई 2016 को अपनी टिप्पणियां दीं. फिर 3 अगस्त 2016 को सरकार ने कॉलेजियम की टिप्पणियों पर अपने विचार भेजे. 13 मार्च 2017 को कॉलेजियम ने ड्राफ्ट एमओपी पर अपनी अंतिम टिप्पणियां दीं. इसके बाद, जुलाई 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने एक स्वतः संज्ञान अवमानना मामले में जजों के चयन की प्रक्रिया को फिर से देखने की जरूरत पर जोर दिया. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अपने पिछले फैसले में संशोधन करते हुए हाईकोर्ट में एड-हॉक जजों की नियुक्ति के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं.

एनजेएसी पर सस्पेंस बरकरार
एनजेएसी को लेकर सरकार की चुप्पी ने सियासी हलकों में चर्चा छेड़ दी है. 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने एनजेएसी को असंवैधानिक करार देते हुए कॉलेजियम सिस्टम को बहाल किया था. तब से सरकार और कोर्ट के बीच जजों की नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर तनाव बना हुआ है. बीजेडी सांसद के सवाल ने इस बहस को फिर से हवा दी, लेकिन कानून मंत्रालय ने सिर्फ एमओपी पर हुई बातचीत का जिक्र कर सवाल को टाल दिया.

सोशल मीडिया पर बहस
एक्स पर यूजर्स ने इसे लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं दीं. एक यूजर ने लिखा, एनजेएसी पर सरकार का मौन दर्शाता है कि वह अभी भी इस मुद्दे पर रणनीति बना रही है.” वहीं, एक अन्य ने कहा, कॉलेजियम में सुधार जरूरी है, लेकिन सरकार को सुप्रीम कोर्ट के साथ मिलकर काम करना चाहिए, न कि टकराव बढ़ाना चाहिए.” एनजेएसी को दोबारा लाने के लिए संवैधानिक संशोधन की जरूरत होगी, जिसमें लोकसभा और राज्यसभा में दो-तिहाई बहुमत और आधे से ज्यादा राज्यों की मंजूरी चाहिए. फिलहाल, सरकार का रुख अस्पष्ट है, लेकिन यह साफ है कि जजों की नियुक्ति का मुद्दा आने वाले दिनों में और गरमाएगा.

homenation

जजों की नियुक्‍त‍ि के ल‍िए NJAC कानून क्‍या फ‍िर आएगा? जान‍िए सरकार का जवाब

[ad_2]

Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here