गुजरात के बनासकांठा की पटाखा फैक्ट्री में जान गंवाने वाले दस मजदूरों के शवों को बुधवार देर रात इंदौर लाया गया। बिलखते हुए परिजन को यह सूचना मिली तो वे रात में ही एमवाय आने लगे। 24 साल के पंकज की भी हादसे में जान चली गई है। बदहवास पिता शवों के बीच उसे तलाशते रहे। रोते हुए कहते रहे उठ जा बेटा तेरे सिवा मेरा और कौन है। अस्पताल का प्रबंधन पिता को ढांढस बंधाता रहा। प्रशासन गुरुवार सुबह शवों को देवास पहुंचाएगा। सभी मजदूर देवास जिले के रहने वाले थे। आठ और मजदूरों के शव आज मप्र में लाए गए हैं जिन्हें हरदा पहुंचाया जाएगा।
हादसे में जान गंवाने वाले दस मजदूर देवास जिले हैं और आठ हरदा के हैं। दोनों ही जिलों में हादसे के बाद से शोक की लहर है। मुखयमंत्री मोहन यादव ने भी घटना पर शोक जताया है और मृतकों के परिजन को दो लाख रुपए की सहायता राशि राशि देने की घोषणा की है। वहीं गुजरात सरकार ने भी चार लाख रुपए की सहायता देने की घोषणा की है। वहीं दूसरी तरफ मृतकों के परिजन ने कहा है कि हम दूसरों से मांगकर सरकार को पैसे दे देंगे वह हमारे बेटों को वापस लौटा दे।
जहां बनते थे पटाखे वहीं बनता था खाना
जांच में सामने आया है कि जहां पर पटाखे बनते थे वहीं पर मजदूरों को खाना बनाने की भी जगह दे रखी थी। इसी वजह से हादसा हुआ। फैक्ट्री का मालिक खूबचंद सिंधी था जिसने बेटे दीपक मोहनानी के नाम से यह फैक्ट्री शुरू की थी। दीपक ही फैक्ट्री का काम देखता था। पुलिस ने दीपक को पकड़ लिया है।