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पोरबंदर में ALH हेलिकॉप्टर क्रैश के बाद 90 दिन से ग्राउंडेड.

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ALH HELICOPTER : साल 2025 की शुरुआत ना तो कोस्ट गार्ड के लिए अच्छी नहीं रही कि स्वदेशी एडवांस लाइट हेलिकॉप्टर (ALH) ध्रुव की. पोरबंदर हेलिकॉप्टर क्रैश के बाद से सभी 300 से ज्यादा ALH के उड़ान पर पाबंदी लगा दी ग…और पढ़ें

ALH का इंतेजार हुआ लंबा, डिफेक्ट इंवेस्टिगेशन में लगेंगे 3-4 हफ्ते और

ALH की राह देखती भारतीय सेना

हाइलाइट्स

  • ALH हेलिकॉप्टर की जांच में 3-4 हफ्ते और लगेंगे.
  • 300 से ज्यादा ALH हेलिकॉप्टर तीन महीने से ग्राउंडेड हैं.
  • सेना पुराने हेलिकॉप्टरों से ऑपरेशन जारी रखे हुए है.

ALH HELICOPTER : 5 जनवरी को पोरबंदर में कोस्ट गार्ड के ALH क्रैश के बाद से ही सभी फ्लीट ग्राउंडेड है. इस बात को 90 दिन यानी तकरीबन तीन महीने होने को हैं. कोस्ट गार्ड ने हेलिकॉप्टर हादसे पर बोर्ड ऑफ इन्क्वायरी का आदेश दिया गया था. अभी तक यह जांच पूरी ही नहीं हो सकी है. HAL की प्रारंभिक जांच में स्वॉश प्लेट में क्रैक को कारण सामने आया था. इस जांच पर HAL के CMD डी के सुनील ने 11 फरवरी को कहा था कि डिफेक्ट इंवेस्टिगेशन टीम की माइक्रो जांच में जुटी है. उन्होंने यह भी उम्मीद जताई थी कि इस टीम के रिपोर्ट को 3 हफ्ते में आने की बात कही थी. तीन हफ्ते तो कब के पूरे हो चुके हैं लेकिन अभी तक कोई रिपोर्ट नहीं आई है. सूत्रों के मुताबिक अभी इस रिपोर्ट को आने में और तीन से चार हफ्ते और लग सकते हैं. इस रिपोर्ट के आने के बाद ही यह तय होगा कि हेलिकॉप्टर को क्लीयरेंस दिया जाए या नहीं. इसमें कितने महीने और लगेंगे यह कहना मुश्किल है. लेकिन यह तो साफ हो गया कि कम से कम अगले एक महीने तक तो ALH ग्राउंड पर ही रहेंगे.

90 दिन होने को हैं
तकनीकी खराबी के चलते जब भी कोई हादसा होता है तो पूरे हेलिकॉप्टर फ्लीट को ग्राउंड कर दिया जाता है. सघन जांच के बाद ही उड़ाने की मंजूरी दी जाती है. HAL अलग अलह तरह के हेलिकॉप्टर का निर्माण करती है. इसमें एडवांस लाइट हेलिकॉप्टर (ALH), लाइट कॉंबेट हेलिकॉप्टर (LCH), लाइट यूटिलिटी हेलिकॉप्टर (LUH) शामिल है. इन सभी की तकनीक एक जैसी है. सूत्रों यह दावा कह रहे है कि जांच रिपोर्ट में देरी का सबसे बड़ा कारण है कि टीम माइक्रों लेवल पर जांच में जुटी है. ताकी भविष्य में इस तरह की कोई गड़बड़ी किसी और हेलिकॉप्टर में ना हो. अभी शांतिकाल है तो सेना बाकी दूसरे हेलिकॉप्टरों और प्राइवेट हेलिकॉप्टरों के जरिए अपने राजमर्रा का ऑपरेशन जारी रखे हुए है. अगर भविष्य में ऐसे हालात किसी वॉर टाइम में हुए तो सेना के लिए वाकय मुश्किल हो जाएगी.

सेना की लाइफ लाइन है ALH
ALH के अलग अलग वर्जन भारतीय सेना में शामिल है जिसमें ALH MK1, MK2, MK3 और Mk4 वेपेनाइजड वर्जन रुद्र शामिल है. 300 से ज्यादा हेलिकॉप्टर भारतीय सेना के तीनों अंग यानी थलसेना, वायुसेना और नौसेना के अलावा कोस्टगार्ड भी इस्तेमाल कर रही है. इनकी गैर मौजूदगी में चीता और चेतक हेलिकॉप्टरों ने मोर्चा संभाल रखा है. हाल ही में माणा में हुए हिम्सखलन में भा चीता हेलिकॉप्टरों ने शानदार काम किया. अगर हम नंबरों की बात करें तो भारतीय थल सेना सबसे ज़्यादा 145 ALH को ऑपरेट करती है. इनमें 75 इसके वेपेनाइजड वर्जन रुद्र है. थलसेना ने 25 अतिरिक्त ALH मार्क 3 का ऑर्डर HAL को दिया है, भारतीय वायुसेना के पास 70 के करीब ध्रुव हैं तो नौसेना के पास 18 ALH मौजूद है. इसके अलावा 15 लाइट कॉंबेट हेलिकॉप्टर प्रचंड भी वायुसेना और थल सेना के पास मौजूद है. जब्कि 156 अतिरिक्त प्रचंड हेलिकॉप्टर की खरीद के लिए रक्षा मंत्रालय और HAL के बीच 62,700 करोड़ रूपय की डील भी हो चुकी है. 156 हेलिकॉप्टर में से 90 थलसेना और 66 वायुसेना को मिलने हैं.

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