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रायसेन से 17 किलोमीटर दूर स्थित खंडेरा माता मंदिर में चैत्र नवरात्रि का भव्य मेला शुरू हो गया है। यहां पांच मुख वाली ‘छोले वाली मैया’ के दर्शन के लिए हजारों श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। भक्त माता के दरबार में झंडा, छत्र और चुनरी चढ़ाकर आशीर्वाद ले रहे है
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चार सौ साल पुराना है मंदिर का इतिहास
मंदिर के पुजारी दिनेश दुबे के अनुसार, यह मंदिर करीब 400 साल पुराना है। यह स्थान आस्था और चमत्कारों के लिए प्रसिद्ध है। हर साल भोपाल, इंदौर, रतलाम, विदिशा और सागर समेत कई शहरों से श्रद्धालु यहां दर्शन करने आते हैं।

मंदिर में दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन करने पहुंच रहे है।
खंडेरा गांव के निवासी रवि दुबे बताते हैं कि वर्षों पहले गांव में एक महामारी फैली थी, जिससे कई लोगों की मृत्यु हो रही थी। एक दिन पांच शवों की अंतिम यात्रा के दौरान एक संत ग्रामीणों से मिले और उन्हें यज्ञ करने की सलाह दी।
यज्ञ के सातवें दिन एक चमत्कारी घटना घटी। छोले के पेड़ के नीचे से जमीन फटी और पांच मुख वाली देवी की प्रतिमा प्रकट हुई। ग्रामीणों ने माता को ‘छोले वाली मैया’ नाम दिया। इसके बाद महामारी समाप्त हो गई। शुरुआत में प्रतिमा एक चबूतरे पर थी, लेकिन बाद में ग्रामीणों और समिति के सहयोग से भव्य मंदिर का निर्माण हुआ।
गांव की अनोखी परंपरा
खंडेरा गांव में एक विशेष परंपरा निभाई जाती है। होली के दूज के दिन गांव में कोई धारदार औजार नहीं चलाया जाता। न तो घरों में सब्जी काटी जाती है और न ही किसान खेतों में फसल काटते हैं। यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है और ग्रामीण इसे माता की कृपा से जोड़कर देखते हैं।

मानयता है कि छोले के पेड़ के नीचे से जमीन फटी और पांच मुख वाली देवी की प्रतिमा प्रकट हुई।

नवरात्रि को लेकर इन दिनों मंदिर में भारी भीड़ है।
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