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Justice Yashwant Varma Case: सुप्रीम कोर्ट की इन-हाउस कमेटी जस्टिस यशवंत वर्मा के नकदी विवाद की जांच दिल्ली पुलिस या सीबीआई को सौंपने की सिफारिश करेगी. वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. आदीश सी. अग्रवाला ने यह उम्मीद जताई है…और पढ़ें
डॉ. आदीश अग्रवाला को उम्मीद है कि इन-हाउस कमेटी पुलिस जांच की सिफारिश करेगी.
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट की तरफ से नियुक्त तीन जजों की इन-हाउस कमेटी भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) को यह सिफारिश करेगी कि नकदी बरामदगी विवाद में फंसे जस्टिस यशवंत वर्मा मामले की जांच दिल्ली पुलिस या सीबीआई को सौंपी जाए. यह उम्मीद जताई है ऑल इंडिया बार एसोसिएशन के चेयरमैन और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के पूर्व अध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. आदीश सी. अग्रवाला ने.
जस्टिस यशवंत वर्मा के आउटहाउस में कथित रूप से जलाए गए पैसों की हालिया घटना को लेकर आदीश ने सोमवार को एक बयान जारी किया और कुछ अहम बिंदुओं पर रोशनी डाली. उन्होंने कहा कि कमेटी इस मामले में लगाए गए पैसों के स्रोत का पता लगाने, तथा ये पैसे जस्टिस वर्मा के आउटहाउस में कैसे पहुंचे, के बारे में पक्की जांच करने में सक्षम नहीं है, और कोई ठोस निष्कर्ष नहीं निकाल सकती है.
उन्होंने कहा, “इसके अलावा, कमेटी को धारा 180 बीएनएसएस और धारा 183 बीएनएसएस के तहत गवाहों के बयान दर्ज करने का भी अधिकार नहीं है, जिससे इस घटना की व्यापक जांच करने की उसकी क्षमता सीमित हो जाती है. डॉ. अग्रवाला ने आगे कहा, “यह कमेटी आपराधिक मंशा या पैसों के स्रोत को लेकर कोई ठोस निष्कर्ष नहीं निकाल सकती. साथ ही, कमेटी के सदस्य भी किसी संभावित आपराधिक जांच में गवाह बनने से संकोच कर सकते हैं.”
प्रधान न्यायाधीश ने आरोपों की आंतरिक जांच करने के लिए 22 मार्च को तीन-सदस्यीय समिति गठित की और मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय की जांच रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड करने का फैसला किया. रिपोर्ट में कथित तौर पर भारी मात्रा में नकदी मिलने की तस्वीरें और वीडियो शामिल थे. हालांकि, जस्टिस वर्मा ने नकदी से संबंधित आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि उनके या उनके परिवार के किसी भी सदस्य द्वारा स्टोर रूम में कभी भी कोई नकदी नहीं रखी गई.
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