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People of Dalit community were prevented from performing last rites | दलित समाज के लोगों को अंतिम संस्कार से रोका: कलेक्टर ने जमीन से दबंगो का कब्जा हटवाया- खेती कर रहे थे; अब जल्द बनेगा मुक्तिधाम – Jabalpur News

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जबलपुर में एक पटेल परिवार ने पहले तो शासकीय जमीन पर कब्जा किया। उसके बाद दबंगता दिखाते हुए उस पर खेती करना भी शुरू कर दिया। जबकि उस जमीन पर सालों से ग्रामीण मुक्तिधाम ना होने के कारण अंतिम संस्कार किया करते थे।

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बुधवार को गांव में एक 70 वर्षीय बुजुर्ग की मौत के बाद अहिरवार समाज के लोग जब अंतिम संस्कार करने के लिए पहुंचे तो पटेल परिवार के लोगों ने उस जमीन पर यह कहते हुए अंतिम संस्कार नहीं करने दिया कि उस जमीन पर हमारा कब्जा है। यहां पर दाह संस्कार करने से उनकी गेहूं की खड़ी फसल जल जाएगी।

अहिरवार समाज के लोगों ने पाटन तहसीलदार और थाना प्रभारी को सूचना दे दी। थोड़ी देर बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने जैसे-तैसे उस स्थान से दूर बुजुर्ग का अंतिम संस्कार करवाने के बाद कलेक्टर दीपक कुमार सक्सेना को मामले की जानकारी दी।

कलेक्टर ने एसडीएम और तहसीलदार को निर्देश दिए हैं कि जिस जमीन पर पटेल परिवार के लोगों को कब्जा है, उसे मुक्त करवाया जाए और वहां पर मुक्तिधाम बनवाया जाए।

सालों तक होता रहा अंतिम संस्कार

जबलपुर से करीब 37 किलोमीटर दूर पाटन तहसील के ग्राम पंचायत पौड़ी में एक टोला है। जिसका नाम चपोद है। इस टोला में करीब 200 परिवार की आबादी है। मुक्तिधाम ना होने के कारण सालों से गांव के बाहर ग्रामीण अंतिम संस्कार किया करते थे।

करीब 5 साल पहले गांव के पटेल परिवार के लोगों ने शासकीय जमीन पर कब्जा करने के बाद खेती करना शुरू कर दिया। शुरुआत में किसी ने आपत्ति नहीं उठाई। कुछ दिन बाद जब गांव में एक व्यक्ति की मौत हुई और परिवार वाले अंतिम संस्कार के लिए उसे लेकर गांव के बाहर पहुंचे तो परिवार ने आपत्ति जताते हुए दाह संस्कार करने से मना कर दिया।

जिसके बाद परिवार के लोगों ने उस जमीन से दूर अंतिम संस्कार कर दिया। पटेल परिवार की दबंगता को लेकर गांव के कुछ लोगों ने ग्राम पंचायत पौड़ी के सरपंच से बात की पर नतीजा कुछ नहीं निकला।

जब 26 मार्च को शव लेकर जा रहे थे तब दबंगों ने रोकने की कोशिश की।

जब 26 मार्च को शव लेकर जा रहे थे तब दबंगों ने रोकने की कोशिश की।

25 तारीख को बुजुर्ग को हुई थी मौत

70 वर्षीय शिवप्रसाद की लंबी बीमारी के बाद 25 मार्च को मौत हो गई। चपोद गांव में जिस जगह अंतिम संस्कार किया जाता है, वह शासकीय जमीन है। लेकिन, कुछ साल पहले गांव के ही शिवकुमार पटेल,पप्पू पटेल ने कब्जा करते हुए वहां पर खेती करना शुरू कर दिया।

मंगलवार को अहिरवार समाज के कुछ लोगों ने शिवकुमार के परिवार वालों से बात की। लेकिन, पटेल परिवार ने यह कहते हुए वहां पर अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया कि उसकी फसल खड़ी है, आग लगाने से फसल जल जाएगी।

जैसे-तैसे मंगलवार का दिन बीता। अगले दिन बुधवार को अहिरवार समाज के लोग शव लेकर जब उस जमीन पर पहुंचे तो पटेल परिवार के लोगों ने पानी का नोजल लगा दिया। इसके बाद दोनों परिवार आमने-सामने आ गए। जानकारी मिलते ही तहसीलदार दिलीप हलवत और थाना प्रभारी नवल आर्य मौके पर पहुंचे और बुजुर्ग का अंतिम संस्कार करवाया।

पीड़ित परिवार का कहना है कि सालों से वहीं पर अंतिम संस्कार हो रहा था, पर वहां पर दबंगों का कब्जा हो गया।

पीड़ित परिवार का कहना है कि सालों से वहीं पर अंतिम संस्कार हो रहा था, पर वहां पर दबंगों का कब्जा हो गया।

शासन की जमीन पर हो गया कब्जा

शिवप्रसाद के छोटे भाई दौलत अहिरवार ने बताया कि बीते 30 सालों से यह देखते आ रहे हैं कि जब भी किसी की मौत होती है तो गांव के बाहर इसी स्थान पर अंतिम संस्कार किया जाता है। लेकिन, बीते कुछ सालों से शिवकुमार पटेल, पप्पू पटेल और सुदेश पटेल के परिवार वालों ने अंतिम संस्कार करने वाली जमीन पर कब्जा कर लिया।

धीरे-धीरे करीब पौन एकड़ पर कब्जा करने के बाद पटेल परिवार उसमें खेती करने लगा। दौलत अहिरवार ने बताया-

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कुछ माह पहले गांव के दो आदिवासी लड़कों की मौत हो गई थी, परिवार वाले शव लेकर पहुंचे तो पटेल परिवार ने विवाद करना शुरू कर दिया, जिसके बाद बीच रास्ते में तालाब किनारे शवों का अंतिम संस्कार किया गया।

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इसी जमीन पर कुछ साल पहले पटेल परिवार ने कब्जा करते हुए खेती शुरू कर दी थी।

इसी जमीन पर कुछ साल पहले पटेल परिवार ने कब्जा करते हुए खेती शुरू कर दी थी।

कलेक्टर के निर्देश पर तहसीलदार गांव पहुंचे

ग्राम पौड़ी में हुई घटना की जानकारी शुक्रवार को जब कलेक्टर को लगी तो उन्होंने तहसीलदार , पटवारी को निर्देश दिए कि मौके पर जाकर जमीन का नाप करवाए। इसके साथ ही मुक्तिधाम के लिए इस्टीमेट तैयार करवाए और जल्द से जल्द से उसे तैयार करवाएं।

तहसीलदार दिलीप हलवत का कहना है कि वह चपोद गांव पहुंचे। ग्रामीणों से बात की थी, बीते दिनों अंतिम संस्कार को लेकर कुछ विवाद की स्थिति बन रही थी, जो कि बाद में सब शांति से हो गई थी। जिस जमीन पर अहिरवार समाज के द्वारा अंतिम संस्कार किया गया है, खसरा नंबर 100 पर है, जहां पर कि ग्रामीणों की मांग पर जल्द ही मुक्तिधाम बनाया जाएगा।

अनुसूचित जाति के लोग मिले कलेक्टर से

पाटन तहसील के ग्राम चपोद में अंतिम संस्कार करने से रोकने पर शुक्रवार को अनुसूचित जाति संगठन के लोगों ने कलेक्टर से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि बहुत ही दुख होता है कि आजादी के 78 साल बाद भी ग्राम चपोद के लोग मुक्तिधाम को तरस रहे है। 25 मार्च को शिवप्रसाद चौधरी की मौत के बाद परिजन खुली जमीन पर अंतिम संस्कार करना चाह रहे थे, पर गांव के कुछ दबंगों ने सरकारी जमीन पर कब्जा करते हुए उन्हें अंतिम संस्कार से रोका। मांग की जा रही है कि वो लोग जिन्होंने अंतिम संस्कार करने से रोका था, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।

अनुसूचित जाति संगठन के लोगों ने अधिकारियों से मुलाकात कर मुक्तिधाम की मांग की।

अनुसूचित जाति संगठन के लोगों ने अधिकारियों से मुलाकात कर मुक्तिधाम की मांग की।

कलेक्टर बोले जल्द बनेगा मुक्तिधाम

कलेक्टर दीपक कुमार सक्सेना ने कहा कि ग्राम चपोद में जहां लोग अंतिम संस्कार करना चाह रहे थे, वह शासन की है, पर कुछ साल पहले उस जमीन पर पटेल परिवार के लोगों ने कब्जा करते हुए फसल लगा ली थी। आज संज्ञान में आया है। 25 तारीख को अंतिम संस्कार करवा दिया गया था। आज तहसीलदार को भेजकर पटेल परिवार का कब्जा हटवा दिया गया है, जल्द ही मुक्तिधाम बनेगा, जिसके लिए निर्देश दे दिए गए है। ग्राम पंचायत और जनपद पंचायत मिलकर मुक्तिधाम बनवा रहे है, जिसके बाद सभी समाज के लोग उसका उपयोग कर सकते है। कुछ समाज के लोग आज मुलाकात करने आए थे, जिन्हें कि कार्रवाई का आश्वासन दिया है।

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