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ऐसा कहा जाता है कि जो शत्रु न कर सके, वह ग्रह कर देते हैं। ग्रह ही व्यक्ति को राजपाट दिलाते हैं, ग्रहों के द्वारा ही राजपाट छिन भी जाता है, ग्रह समय को अनुकूल भी बना देते हैं और प्रतिकूल भी। ज्योतिष, ज्योति से लिया गया है। ज्योति का मतलब होता है देखन
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एरोड्रम क्षेत्र में दिलीप नगर नैनोद स्थित शंकराचार्य मठ इंदौर के अधिष्ठाता ब्रह्मचारी डॉ. गिरीशानंदजी महाराज ने अपने नित्य प्रवचन में शनिवार को यह बात कही।
छह विभाग पाप और चार शुभ ग्रहों को मिले
महाराजश्री ने बताया कि पूरे वर्ष पूजन संकल्प आदि में कालयुक्त संवत्सर सिद्धार्थ बोला जाएगा। इस वर्ष का राजा सूर्य है। मंत्री भी सूर्य है। इसलिए देश के प्रशासनिक अधिकारियों का संबंध आपस में अनुकूल होगा। वर्ष की प्रवेश कुंडली में वर्ष के पदाधिकारियों में छह विभाग पाप ग्रहों को मिले हैं। और मात्र चार विभाग शुभ ग्रहों को मिले हैं। इसलिए भारत ही नहीं वरन समूचे विश्व के लिए यह समय परेशानियों से भरा रहेगा। प्राकृतिक आपदाएं आएंगी, लेकिन फसल अच्छी होने से किसान खुश रहेंगे। परमात्मा की आराधना करने से विपरीत समय भी पक्ष में हो सकते हैं।
ग्रहों ने भगवान शंकर को भी नहीं छोड़ा
डॉ. गिरीशानंदजी महाराज ने बताया कि ग्रहों ने शंकरजी को भी नहीं छोड़ा था। शंकरजी पर जब शनि की दशा आई, शनि ने पूछा प्रभु अब हम क्या करें? भगवान शंकर ने कहा कि जो नियम बनाए गए हैं, उनका तुम पालन करो, चाहे कोई भी हो। इसलिए भगवान शंकर को कुछ समय पानी के अंदर रहना पड़ा था। एक बार भस्मासुर ने मुर्दे की भस्म चढ़ा-चढ़ाकर भगवान शंकर को प्रसन्न कर लिया। भगवान ने कहा जो वरदान मांगना हो मांगो। भस्मासुर ने कहा महादेव आप त्रिकालदर्शी हैं, आपकी पूजा के लिए हमें रोज मुर्दे की भस्म ढूंढना पड़ती है। इसलिए आप हमें ऐसा वरदान दें कि मैं जिस पर हाथ रखूं वह भस्म हो जाए। भगवान शंकर ने वरदान दे दिया। भस्मासुर की बुद्धि खराब हुई तो वह शंकरजी के ऊपर ही हाथ रखने के लिए दौड़ गया। परिणाम यह हुआ कि उससे बचने के लिए भगवान शिव को कुछ समय पानी में छुपना पड़ा। इतने में भगवान विष्णु आ गए और मोहिनी रूप धारण करके अपनी माया से भस्मासुर का हाथ उसके सिर पर ही रखवा दिया। इससे भस्मासुर भस्म हो गया। स्कंद पुराण और भागवत में लिखा है कि जो भी व्यक्ति निरंतर 12 वर्ष तक विष्णु सहस्रनाम का पाठ कर लेता है उसके विपरीत ग्रह भी पक्ष में हो जाते हैं।
मठ में अखंड मनोकामना ज्योति कलश की स्थापना होगी
शंकराचार्य मठ में 30 मार्च से 6 अप्रैल तक अधिष्ठाता डॉ. गिरीशानंदजी महाराज के सान्निध्य में चैत्र नवरात्रि मनाई जाएगी। इस वर्ष भी अखंड मनोकामना ज्योति कलश की स्थापना कर प्रतिपदा से राम नवमी तक विभिन्न उपचारों से मां भगवती की आराधना की जाएगी। इस अवसर पर नित्य दुर्गा सप्तशती का पाठ, विशेष पूजन-अर्चन एवं प्रवचन होंगे।
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