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फर्जी दस्तावेजों के सहारे सरकारी नौकरी पाने का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। शिवपुरी जिले के कोलारस तहसील के चकरा गांव के मूल निवासी हरीसिंह आदिवासी के नाम पर भूरा गुर्जर नामक युवक ने आईटीबीपी (इंडियन-तिब्बत बॉर्डर पुलिस) में भर्ती होकर एक साल
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एसटी आरक्षण का फायदा उठाकर भर्ती होने वाले इस युवक के हावभाव और भाषा शैली को देखकर अफसरों को संदेह हुआ। इसके बाद दस्तावेजों की जांच में पाया गया कि उसने अपना पता चकरा गांव का दिया था। शिवपुरी कलेक्टर के पास वेरिफिकेशन के लिए दस्तावेज पहुंचे, तो स्थानीय निवासी प्रमाण पत्र की जांच के लिए पटवारी को गांव भेजा गया।
गांव में जांच के दौरान असली हरीसिंह आदिवासी बकरियां चराते हुए मिला। तब इस बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ। अनूप श्रीवास्तव, एसडीएम, कोलारस ने बताया कि मामले की जानकारी आईटीबीपी को भेज दी गई है। एफआईआर भी दर्ज करा रहे हैं। भूरा गुर्जर वर्तमान में आईटीबीपी की 54वीं वाहिनी में असम के सोनितपुर जिले में तैनात है।
10 बीघा जमीन के लालच में दिया जाति और निवास प्रमाण पत्र
गांव में मिले असली हरीसिंह (27 वर्ष) ने बताया कि 9 साल पहले वह आलू खोदने के लिए आगरा गया था। वहां उसकी मुलाकात भूरा गुर्जर उ से हुई। उसने 10 बीघा जमीन देने का लालच देकर उसकी 8वीं की अंकसूची, जाति प्रमाण पत्र और निवास प्रमाण पत्र ले लिया।
बाद में पता चला कि भूरा गुर्जर ने उन्हीं दस्तावेजों पर अपनी फोटो लगाकर डिजिटल प्रमाण पत्र बनवा लिया और एसटी कोटे से आईटीबीपी में भर्ती हो गया। मामले की जांच में एक और बड़ा खुलासा हुआ। भूरा गुर्जर ने न सिर्फ खुद को आदिवासी बताकर सरकारी नौकरी ली, बल्कि अपने माता-पिता, पत्नी और दादा के आधार कार्ड में भी हरीसिंह आदिवासी की पीढ़ियों के नाम दर्ज करवा लिए।
जांच में यह भी सामने आया कि असली और नकली हरीसिंह के आधार नंबर अलग-अलग हैं, लेकिन नाम और पता एक जैसा है। भूरा गुर्जर के माता-पिता के आधार कार्ड भी अलग-अलग नंबरों के साथ दर्ज मिले।
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