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The person who thinks good of others, good happens to him himself – Dr. Girishanandji Maharaj | शंकराचार्य मठ इंदौर में प्रवचन: जो व्यक्ति दूसरे का अच्छा सोचता है, उसका स्वयं हो जाता है अच्छा- डॉ. गिरीशानंदजी महाराज – Indore News

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दायित्व उसी व्यक्ति को मिलते हैं जो उन्हें ठीक तरह से निभा सकता है। प्रत्येक वह व्यक्ति अपने जीवन में आगे बढ़ता है, जो अपनी जिम्मेदारियों को ठीक तरह से स्वीकार करता है या ठीक तरह से निभाता है। अपनी जवाबदारी को समझकर जो व्यक्ति पूरी परिपक्वता के साथ अ

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एरोड्रम क्षेत्र में दिलीप नगर नैनोद स्थित शंकराचार्य मठ इंदौर के अधिष्ठाता ब्रह्मचारी डॉ. गिरीशानंदजी महाराज ने अपने नित्य प्रवचन में बुधवार को यह बात कही।

गैर जिम्मेदार व्यक्ति रहता है दु:खी

महाराजश्री ने कहा कि यदि कोई गलती हो जाए और व्यक्ति उसे अपनी जिम्मेदारी मान ले तो उस गलती से छुटकारा मिल जाता है, पर जो व्यक्ति गैर जिम्मेदार होता है, उसके व्यवहार का विकास नहीं होता है। वह अपनी गलती नहीं मानता और दूसरों के ऊपर थोप देता है, पर ऐसा तो कहता है कि यह गलती हमारी नहीं है। यह तो ग्रहों का प्रभाव है। इस तरह की गैर जिम्मेदाराना बात करने वाले व्यक्ति का जीवन हमेशा दु:खी रहता है। जो लोग अपने दायित्व को नहीं समझते, अपनी जिम्मेदारी नहीं उठाते, दूसरों पर आश्रित रहते हैं, वे हमेशा माता-पिता, गुरु, वंश, भगवान, भाग्य या ग्रह नक्षत्र को दोष देते रहते हैं और गली-गली अपनी कुंडली ही दिखाते फिरते हैं। माता-पिता को पालक के दायित्व का विकास बचपन से ही करना चाहिए। यदि किसी में आज्ञा पालन का भाव न हो तो हम उसे दायित्व निर्वाह नहीं सिखा सकते। बचपन से ही हमें बच्चों में आदत डालनी पड़ती है। वह अपनी जिम्मेदारी समझे। जिस तरह छोटे से पौधे में लकड़ी बांध दी जाती है तो वह पौधा सीधा रहता है, टेड़ा-मेढ़ा पेड़ नहीं बनता, जो व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी स्वीकार नहीं करते, अपने अधिकारों का प्रयोग नहीं करते वे अपने अधिकारों को खो बैठते हैं। संकीर्ण मानसिकता के लोग कामों को करने की बजाय दूसरों के कंधों पर डालने की कोशिश करते हैं।

हमारी सबसे पहली जिम्मेदारी समाज के लिए

डॉ. गिरीशानंदजी महाराज ने कहा कि भारतीय संस्कृति में यह मान्यता है कि हमारी सबसे पहली जिम्मेदारी समाज के लिए है, दूसरी परिवार के लिए, तीसरी स्वयं के लिए और जो यह नहीं समझता ऐसे व्यक्ति का पतन होने लगता है। समाज, परिवार, देश की जिम्मेदारी प्रत्येक नागरिक की नैतिक जिम्मेदारी होनी चाहिए। जिम्मेदारी और आजादी हाथ में हाथ डालकर चलती है। एक अच्छे व्यक्ति की पहचान है कि वह अपना काम स्वयं करने को तैयार रहे। समाज को चोर-उचक्कों से उतना डर नहीं है, उससे अधिक डर व्यक्ति के नकारात्मक भाव से होता है। जो व्यक्ति दूसरे का अच्छा सोचता है, उसका स्वयं अच्छा हो जाता है।

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