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Important decision of MP High Court | MP हाईकोर्ट का अहम फैसला: सेवानिवृत्त कर्मचारी की ग्रेच्युटी से अवैध कटौती पर 6% ब्याज के साथ वापस करे शासन – Bhopal News

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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सेवानिवृत्त कर्मचारियों के पक्ष में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। छतरपुर जिले के नौगांव निवासी सुधीर कुमार रैकवार की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सरकार को बड़ा झटका दिया है। रैकवार लैब अटेंडेंट के पद से सेवानिवृत्त हुए

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हाईकोर्ट ने इस कटौती को अवैध करार दिया है। कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया है कि 45 दिनों में इस मामले में निर्णय लें। अगर वसूली गलत पाई जाती है, तो सरकार को यह राशि 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ लौटानी होगी।

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता धीरज तिवारी ने पैरवी की। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के पूर्व फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि सेवानिवृत्त कर्मचारियों से बिना पूर्व सूचना के कोई वसूली नहीं की जा सकती। यह फैसला उन हजारों सरकारी कर्मचारियों के लिए राहत लेकर आया है, जिनकी पेंशन या ग्रेच्युटी से मनमाने तरीके से कटौती की जाती है।

क्या है पूरा मामला? 07 अक्टूबर 1994 को सुधीर कुमार रैकवार लैब अटेंडेंट के पद पर नियुक्त हुए। 14 सितंबर 2007 को उन्हें मल्टीपर्पस हेल्थ वर्कर के पद पर पदोन्नति दी गई। 30 जून 2023 को वह सेवानिवृत्त हुए। 20 फरवरी 2024 को सरकार ने आदेश जारी कर उनकी ग्रेच्युटी से 5,27,961 रुपए की कटौती कर दी। सेवानिवृत्ति के बाद इतनी बड़ी रकम काटे जाने से परेशान होकर उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। हाईकोर्ट में क्या हुआ? याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट पहले ही तय कर चुके हैं कि तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों से सेवानिवृत्ति के बाद बिना सूचना के वसूली नहीं की जा सकती। उन्होंने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा पहले दिए गए फैसले का हवाला दिया, जिसमें सरकार की ऐसी वसूली को गैर-कानूनी घोषित किया गया था। राज्य सरकार का पक्ष राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता ने तर्क दिया कि यह मामला मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की पूर्णपीठ के फैसले राज्य बनाम जगदीश प्रसाद दुबे 6 मार्च 2024 के अंतर्गत आता है। उन्होंने कहा कि यदि कर्मचारी सरकार को अभ्यावेदन प्रस्तुत करता है, तो मामला समीक्षा के बाद निपटाया जाएगा। हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की एकलपीठ ने कहा कि बिना नोटिस और सुनवाई के किसी भी सेवानिवृत्त कर्मचारी से वसूली अवैध है। यदि कर्मचारी ने स्वेच्छा से अधिक वेतन लेने का कोई उपक्रम नहीं दिया, तो वसूली संभव नहीं। सरकार को 45 दिनों के भीतर कर्मचारी के अभ्यावेदन पर फैसला लेना होगा। यदि वसूली गलत पाई जाती है, तो 5,27,961 रुपए की पूरी राशि 6% वार्षिक ब्याज सहित लौटाई जाए। फैसले का बड़ा असर अब राज्य सरकार मनमाने तरीके से कर्मचारियों की ग्रेच्युटी और पेंशन से कटौती नहीं कर सकेगी। तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के लाखों सरकारी कर्मचारी इस फैसले के आधार पर राहत मांग सकते हैं। कर्मचारियों के लिए क्या करें? अगर किसी भी सरकारी कर्मचारी की सेवानिवृत्ति के बाद उनकी ग्रेच्युटी या पेंशन से अवैध वसूली हो रही है, तो वे इस फैसले का हवाला देकर शासन को अभ्यावेदन दें। अगर राहत न मिले, तो हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करें। कर्मचारी संगठनों से संपर्क कर कानूनी मदद लें।

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