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सड़क पर भीख मांगते बच्चों को देख बदली इनकी जिंदगी, अब बना रहीं डॉक्टर-इंजीनियर!

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Success Story; छत्रपति संभाजीनगर की बेरिल सांचिस झुग्गी-झोपड़ियों के गरीब बच्चों को शिक्षा देकर उनका भविष्य संवार रही हैं. अपने पति के निधन के बाद उन्होंने समाज सेवा को अपना मकसद बनाया और बीते आठ वर्षों से बच्च…और पढ़ें

सड़क पर भीख मांगते बच्चों को देख बदली इनकी जिंदगी, अब बना रहीं डॉक्टर-इंजीनियर

समाज में कई ऐसे वर्ग हैं, जिन्हें बुनियादी जरूरतें भी मयस्सर नहीं होतीं. शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित ये बच्चे अक्सर एक बेहतर जीवन की दौड़ से बाहर रह जाते हैं. छत्रपति संभाजी नगर की रहने वाली बेरिल सांचिस ऐसे ही वंचित बच्चों को शिक्षा देने का काम कर रही हैं. वह न सिर्फ अपने खर्च पर बच्चों को पढ़ा रही हैं, बल्कि उन्हें बेहतर भविष्य की ओर भी ले जा रही हैं. उनके प्रयासों से कई बच्चे आज उच्च शिक्षा की राह पर बढ़ चुके हैं.

अपने दुख को बनाया समाज सेवा का जरिया
बेरिल सांचिस एक निजी कंपनी में काम करती हैं. उनके जीवन में एक ऐसा दौर भी आया जब वह पूरी तरह टूट गई थीं. अपने पति के निधन के बाद वह बहुत उदास रहने लगीं और उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि अब जिंदगी में क्या करें. उस समय उन्हें यह एहसास हुआ कि अगर वह चाहें तो समाज के लिए कुछ अच्छा कर सकती हैं. यही सोच उनके जीवन में एक नया उद्देश्य लेकर आई और उन्होंने झुग्गी-झोपड़ियों के बच्चों को पढ़ाने की शुरुआत की.

सड़क पर भीख मांगते बच्चों से हुआ बदलाव की शुरुआत
एक दिन जब बेरिल अपने दफ्तर जा रही थीं, तब उन्होंने सिग्नल पर कुछ बच्चों को भीख मांगते देखा. यह दृश्य उनके मन को झकझोर गया. उन्होंने बच्चों से पूछा कि वे भीख क्यों मांग रहे हैं और स्कूल क्यों नहीं जाते? बच्चों ने कोई जवाब नहीं दिया. इसके बाद बेरिल ने उनकी बस्ती में जाकर उनके माता-पिता से बातचीत की. माता-पिता ने बताया कि गरीबी के कारण वे अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेज सकते. यह सुनकर बेरिल ने ठान लिया कि वह इन बच्चों को शिक्षा के रास्ते पर लाएंगी.

भरोसे की चुनौती और सफलता की कहानी
शुरुआत में बच्चों के माता-पिता को बेरिल पर भरोसा नहीं था. वे चाहते थे कि उनके सामने ही पढ़ाई करवाई जाए. बेरिल ने इसे स्वीकार किया और धीरे-धीरे उनका विश्वास जीत लिया. अब हर रविवार को वह इस मोहल्ले में जाकर बच्चों को पढ़ाती हैं. उनके पढ़ाए कई बच्चे 12वीं पास कर चुके हैं और कुछ को मुख्यधारा की शिक्षा से जोड़ा गया है. आज कई बच्चे स्कूल में दाखिला ले चुके हैं और बेहतर भविष्य की ओर बढ़ रहे हैं.

आठ साल से जारी है शिक्षा का यह सफर
बेरिल सांचिस पिछले आठ वर्षों से इस नेक काम को कर रही हैं. उनका कहना है कि यह सफर आगे भी जारी रहेगा और वह ज्यादा से ज्यादा बच्चों को शिक्षित करने का प्रयास करेंगी. उनके इस समर्पण से न सिर्फ बच्चों का भविष्य उज्जवल हो रहा है, बल्कि समाज में शिक्षा की एक नई रोशनी भी जग रही है.

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