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कभी-कभी अफसर भी ‘सरकार’ को ऐसी जानकारी या सलाह ब्रीफ कर देते हैं कि फिर बैकफुट पर आना पड़ता है। हुआ यूं कि महिलाओं से जुड़े एक कार्यक्रम में बहुत बड़ा ऐलान हो गया। ऐलान भी ऐसा कि नेशनल न्यूज बन गई। भोपाल से दिल्ली तक इस इसकी चर्चा होने लगी।
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जानकारों ने बताया कि जो घोषणा की गई, उसके मुताबिक कानून बनाना असंभव सा है। अफसरों को अपनी गलती का एहसास हुआ। भूल सुधार करते हुए कार्यक्रम के आधिकारिक वीडियो से उस खास घोषणा वाला हिस्सा डिलीट कर दिया गया।

विधायक ने पूछा- तुम हेमा मालिनी के साथ क्यों नाच रहे थे सूबे के एक विधायक जमीन खरीदी को लेकर सवालों के घेरे में हैं। सरकारी एजेंसी ने जांच-पड़ताल शुरू कर दी है। विधानसभा सत्र के दौरान विधायक जी मीडिया से चर्चा करते हुए बजट की तारीफ कर रहे थे। उसी बीच एक पत्रकार ने जमीन खरीदी मामले पर उनकी राय पूछ ली।
इस पर विधायक पहले तो नमस्ते बोलकर आगे बढ़ गए। कुछ सेकेंड बाद वापस लौटे और कहा, पहले पता कर लेना मेरा उसमें नाम है नहीं और दूसरी बात, कल रात को तुम हेमा मालिनी के साथ क्यों नाच रहे थे?
कैमरों के सामने विधायक जी की अपनी ही पार्टी की सांसद का नाम लेकर की गई टिप्पणी पार्टी में चर्चा का विषय बनी हुई है।
इधर, इस घटनाक्रम के बाद से विधायक जी जब भी मीडिया से बात करते हैं, उनका एक करीबी मीडिया की तरफ वीडियो रिकॉर्ड करता है, ताकि पता चल सके कि कौन क्या सवाल पूछ रहा है?
मंत्री जी ने दी कर्ज की नई परिभाषा प्रदेश के बजट के साथ इस बार एक नया जुमला वित्त मंत्री लाए हैं। बजट पेश करने के बाद मंत्री जी ने कहा कि सरकार कर्ज नहीं ले रही, बल्कि निवेश कर रही है। इतना ही नहीं, उन्होंने अपने विभाग के आईएएस अफसरों को भी यह सीखा दिया है कि कर्ज लिए जाने को निवेश का नाम दें।
यही वजह रही कि बजट की जिम्मेदारी संभालने वाली एक आईएएस ने भी मीडिया से चर्चा में कई बार कर्ज के रूप में ली गई राशि को निवेश का नाम दिया। संभव है कि सरकार आने वाले समय में कर्ज के नोटिफिकेशन को निवेश राशि का नाम भी दे दे।

हमले के वक्त सेनापति की गैरमौजूदगी की चर्चा विधानसभा सत्र के तीसरे दिन सत्ताधारी दल के एक विधायक जी ने विरोधी पार्टी के डिप्टी लीडर पर जमकर प्रहार किए। इन हमलों के वक्त विरोधी दल के लीडर सदन से नदारद थे।
उनकी ओर से बताया गया कि बुखार आने के चलते वे सदन से चले गए हैं। तबीयत है, किसी की, कभी भी खराब हो सकती है, फिर भी पार्टी में ही उनकी सेहत नासाज होने की टाइमिंग पर ही चर्चा होने लगी। लोग सवाल कर रहे हैं- सब कुछ तो ठीक है न?
चलते काम के बीच दफ्तर को लेकर संगठन के सुझाव सत्ताधारी दल के संगठन से जुड़े राष्ट्रीय स्तर के पदाधिकारी हाल ही में दो दिनों तक भोपाल में रहे। वे पार्टी के अंडर कंस्ट्रक्शन ऑफिस का काम देखने पहुंचे। यहां उन्होंने ड्रॉइंग, डिजाइन के अनुसार काम तो देखा ही, लगे हाथ नए ऑफिस में पर्यावरण के हिसाब किए जाने वाले कामों के बारे में भी पूछ लिया।
उन्होंने सॉलिड, लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट, पार्किंग, ग्रीनरी जैसे कामों की प्लानिंग के बारे में सवाल किया। बिल्डिंग के निर्माण से जुड़े कुछ सुझाव भी दिए हैं। आने वाले समय में जैसे-जैसे बिल्डिंग आकार लेगी, सुझावों की झलक देखने को मिलेगी।

चिंता में तीन दिन नहीं सो पाए साहब राजधानी में हाल ही में हुए एक बड़े सरकारी इवेंट की चर्चा दूर-दूर तक है। इस इवेंट में अहम जिम्मेदारी निभाने वाले एक सीनियर अफसर टेंशन में तीन दिन नहीं सोए।
दरअसल, जैसे ही वेन्यू फाइनल हुआ और साहब ने मौका मुआयना किया तो ये समझ आ गया कि यहां ट्रैफिक मैनेजमेंट गड़बड़ा जाएगा। इसके हिसाब से प्लानिंग भी की गई, लेकिन पहले ही दिन सारे प्लान फेल हो गए। देशी-विदेशी मेहमान जाम में फंसे रहे।
पावरफुल अफसर को हटाने मंत्री जी की नोटशीट सूबे के एक मंत्री जी ने अपने ही विभाग के डायरेक्टर को न केवल हटाने, बल्कि सस्पेंड करने के लिए पिछले महीने नोटशीट लिखी। नोटशीट को सवा महीने का वक्त बीत गया है, बावजूद इसके अब तक फाइल अपने अंजाम तक नहीं पहुंची।
अब दुखी मंत्री करे भी तो क्या करे? क्योंकि, जिस डायरेक्टर को सस्पेंड करने मंत्री जी ने नोटशीट लिखी, वे काफी पुराने और पावरफुल माने जाते हैं।
और अंत में..
ट्रैफिक इंचार्ज ने उतार दिया रूलिंग पार्टी का झंडा बुंदेलखंड में महाराजा छत्रसाल की नगरी में ट्रैफिक सूबेदार इन दिनों सत्ताधारी दल के नेताओं के निशाने पर हैं। दरअसल, ट्रैफिक इंचार्ज ने पार्टी के एक पदाधिकारी की गाड़ी से पार्टी का झंडा उतरवा दिया। इसके बाद रूलिंग पार्टी के लोकल लीडर उनके पीछे पड़ गए हैं।
सोशल मीडिया पर कहा जा रहा है कि ट्रैफिक इंचार्ज के घर पर पार्टी का झंडा लगाकर इसका जवाब देना चाहिए।
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मंत्री के दरबार में नहीं ‘सरकार’ की फोटो: ‘सरकार’ का स्वागत करने खुद खड़े हो गए ‘मामा’; मंत्री के बयान पर अपने चुप
सूबे की सियासत में विपक्ष से ज्यादा सरकार की परेशानी अपने ही बढ़ाए रहते हैं। कभी बैठकों में विवाद तो कभी अंदर की खींचतान जगजाहिर हो जाती है। अब ‘सरकार’ के घर में इस बात की चर्चा है कि वे कौन से नेता हैं जिनके दरबार में ‘सरकार’ की तस्वीर नहीं हैं। चर्चा इस बात की है कि कबीना में एक सीनियर साथी के दरबार में एक तरफ अटल जी, संघ प्रमुख तो दूसरी तरफ प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और गर्वनर साहब की तस्वीरें तो लगी हैं। मगर ‘सरकार’ की तस्वीर नजर नहीं आती। पढ़ें पूरी खबर…
जब मोदी ने पूछा- यहां पत्रकारों का आदमी कौन हैं: नए इंचार्ज के लिए मंगवाई ब्रांडेड कॉफी; आईएएस मैडम से बदजुबानी पर नपे इंजीनियर
भोपाल में पहली बार प्रधानमंत्री मोदी ने नाइट स्टे किया। रात्रि विश्राम के पहले वे बीजेपी के विधायकों, सांसदों और मंत्रियों के साथ चुनिंदा बीजेपी पदाधिकारियों से मिले। इस मीटिंग की औपचारिक शुरुआत होने से पहले ही पीएम मोदी बोले- यहां पत्रकारों का आदमी कौन हैं, खड़े हो जाएं। ये सुनकर पूरे सभागार में सन्नाटा पसर गया। पीएम आगे बोले- आज की बैठक की बातें मैं कल के अखबारों में पढूंगा। पत्रकारों को खबरों पर जो मौन सहमति देते हैं ये भी ठीक नहीं। पढ़ें पूरी खबर…
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