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बुरहानपुर में होली पर्व के अवसर पर सदियों पुरानी भोंगार्या हाट की परंपरा चली आ रही है। इसके तहत भोंगार्या हाट लगते हैं। गुरुवार को भोंगार्या हाट का समापन हुआ। 7 से 13 मार्च तक विभिन्न आदिवासी गांवों में लगने वाले इस हाट का आखिरी दिन ग्राम अंबाड़ा, खा
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पारंपरिक आदिवासी गीतों पर नृत्य किया बुधवार को ग्राम झिरपांजरिया में लगे भोंगार्या हाट में सैकड़ों आदिवासी एकत्र हुए। युवक-युवतियों और बुजुर्ग-महिलाओं ने पारंपरिक आदिवासी गीतों पर नृत्य किया। बाजार में अनेक दुकानें सजीं और लोगों ने खूब खरीदारी की। गुरुवार को अंबाड़ा, खातला में हाट लगा। काफी संख्या में यहां आदिवासी समाजजन पहुंचे।
ढोल वादकों को पुरस्कृत किया आदिवासी संस्कृति को जीवंत करते हुए, समाज के लोगों ने ढोल, मांदल और बांसुरी की धुन पर नृत्य प्रस्तुत किया। झिरपांजरिया में सरपंच प्रतिनिधि जयसिंह लोहारे, मेहताप पटल, करम सिंह पटेल और धूलकोट चौकी प्रभारी कमल मोरे ने ढोल वादकों को पुरस्कृत किया। कार्यक्रम में 60 से अधिक ढोल मंडल और सैकड़ों बांसुरी वादकों ने अपनी प्रस्तुति दी। इस आयोजन के साथ वार्षिक भोंगार्या उत्सव का समापन हो गया।
तस्वीरों में देखें भोंगार्या हाट…







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