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कचरा समझकर नहीं फेंका, बेकार पड़ी बोरियों से बना दी ज्वेलरी-मंगलसूत्र, कमा रहीं 15 हजार

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Jute Jewelry Fashion: सूरत की चार महिलाओं ने जूट से आकर्षक ज्वेलरी बनाकर फैशन में नई पहचान बनाई है. वे खादी, मिरर और एमडीएफ का उपयोग कर नेकलेस, चूड़ियाँ, इयररिंग्स आदि बनाती हैं, जिससे अन्य महिलाओं को भी रोजगार…और पढ़ें

कचरा समझकर नहीं फेंका, बेकार बोरियों से बनाई ज्वेलरी, कमा रहीं 15 हजार

जूट ज्वेलरी फैशन में हस्तनिर्मित आभूषण

हाइलाइट्स

  • सूरत की चार महिलाओं ने जूट से आकर्षक ज्वेलरी बनाई.
  • जूट ज्वेलरी में नेकलेस, चूड़ियाँ, इयररिंग्स शामिल.
  • महिलाएं घर बैठे 10-15 हजार रुपये कमा रही हैं.

सूरत: आज के समय में महिलाएं अपनी अलग पहचान बनाने के लिए हमेशा कुछ नया और अनोखा करने की इच्छा रखती हैं. चाहे वह फैशन हो या ज्वेलरी, हर महिला दूसरों से अधिक आकर्षक दिखने की चाहत रखती है. ऐसी ही एक नई फैशन ट्रेंड आजकल बाजार में छाई हुई है. अनाज भरने की बोरियों से आकर्षक ज्वेलरी बनाने का ट्रेंड फिलहाल बहुत ही लोकप्रिय हो रहा है. इसे बाजार में जूट की ज्वेलरी के नाम से जाना जाता है.

अनाज भरने के लिए इस्तेमाल होने वाली जूट की बोरियां आज फैशन का हिस्सा बन गई हैं. मूल रूप से महुवा की और वर्तमान में सूरत में रहने वाली चार महिलाओं के समूह ने यह अनोखी पहल की है. उन्हें जूट के कपड़े से ज्वेलरी बनाने का विचार आया और उन्होंने इसे साकार कर दिखाया कि वेस्ट से भी बेस्ट बनाया जा सकता है.

कई प्रकार की ज्वेलरी
यह जूट की ज्वेलरी लोगों में कौतूहल और आकर्षण का केंद्र बन रही है. इस सखी मंडल की चार महिलाएं जूट का उपयोग करके कई प्रकार की ज्वेलरी बनाती हैं, जिसमें नेकलेस, हेयर बो, मंगलसूत्र, चोकर, ब्रेसलेट, बक्कल, लॉकेट, इयररिंग्स, पायल, हेयर बैंड, चूड़ियां, पर्स, पेंडल सेट आदि शामिल हैं. इन सभी आइटम्स को हाथ से बनाया जाता है और इसमें मिरर, खादी और एमडीएफ जैसी सामग्री का भी उपयोग किया जाता है, जो इन्हें और भी आकर्षक बनाता है.

एक समय में कंतान, सूतली या अन्य पैकेजिंग के लिए इस्तेमाल होने वाले जूट से सखी मंडल की 4 बहनों ने महिलाओं के शृंगार के लिए उपयोगी मिरर ज्वेलरी और जूट ज्वेलरी की चीजें बनाकर लोगों को हैरान कर दिया है. यह बहनों का समूह खादी, मिरर और एमडीएफ का उपयोग करके विभिन्न प्रकार की ज्वेलरी और तोरण आदि तैयार करता है. वे अपने साथ अन्य 10 महिलाओं को रोजगार देकर आत्मनिर्भर बना रही हैं. घर बैठे ही महिलाएं 10 से 15 हजार रुपये कमा रही हैं.

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इस बारे में लोकल 18 से बात करते हुए नैन्सी मिस्त्री ने बताया कि हमें 4 दोस्तों को कुछ अलग करने की इच्छा हुई थी. इसलिए हमने इसमें प्रशिक्षण लिया और कच्छ एग्जीबिशन में गए, जिसके बाद हमारी जिंदगी ने यू-टर्न लिया. हमारा गांव छोटा है और वहां रोजगार कम है. लेकिन जब लोगों को इस तरह के आइडिया के बारे में पता चलता है, तो उन्हें बहुत पसंद आता है. हमारे गांव की महिलाएं हमारे साथ पांच घंटे बैठकर काम करती हैं और घर भी ले जाती हैं. हमें हमारे परिवार के सदस्यों का बहुत समर्थन मिला है, जिसके कारण आज हम सभी आत्मनिर्भर हो रहे हैं और घर-परिवार को चलाने में आर्थिक रूप से भी मदद कर रहे हैं.

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