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क्राइम फाइल्स के पार्ट-1 में आपने पढ़ा कि इंदौर के सीमेंट कारोबारी मुकेश नागौरी के बेटे नीतेश नागौरी का अपहरण हो गया। अपहरण के सात दिन बाद 4 करोड़ की फिरौती के लिए सऊदी अरब से फोन आया। इस इंटरनेशनल कॉल की डिटेल निकाली तो पता चला कि अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊ
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क्या वाकई में इस अपहरण में दाऊद के गुर्गों का हाथ था? क्या परिजन ने 4 करोड़ की फिरौती दी? पुलिस को कैसे मिला नीतेश का सुराग, पढ़िए आगे की कहानी…
नीतेश का अपहरण 16 अगस्त 2005 को हुआ था। दस दिन बीत चुके थे, इस बीच परिवार उसकी सलामती की दुआ कर रहा था, तो पुलिस अपहरण करने वालों का सुराग ढूंढ रही थी। परिवार चाहता था कि फिरौती के 4 करोड़ रुपए देकर बेटे को बचा लिया जाए, मगर पुलिस अफसरों को ये मंजूर नहीं था।
आखिरकार पुलिस ने बदमाशों को पकड़ने के लिए अलग-अलग टीम बनाईं। कुछ टीम दूसरे राज्यों में भेजी गईं। एक टीम ने सऊदी अरब के लैंडलाइन नंबर से देश में आने वाले फोन कॉल की पूरी कुंडली खंगाली। एक-एक कॉल को ट्रेस किया। इस जांच के दौरान पुलिस को एक अहम क्लू मिला।
पुलिस को पता चला कि दिल्ली के एक मोबाइल पर दो लोगों के बीच बातचीत हुई है। जिसमें अपहरण के केस की बात की जा रही थी। ये कॉल पुलिस के लिए अहम था। पुलिस ने फोन को इंटरसेप्ट किया। इस बीच दोबारा उस नंबर पर फोन आया, लेकिन सिम कार्ड नया था। दोनों की बीच बातचीत का मजमून ऐसा था-

एक गलती और पकड़ा गया फोन करने वाला आरोपी पुलिस के पास समय कम था। दूसरे दिन ही सिम कार्ड एक्सचेंज होने वाला था। पुलिस को पता नहीं था कि पुराने सिम कार्ड से हुई बातचीत और नए सिम कार्ड से बातचीत करने वाला शख्स एक ही है। पुलिस ये भी नहीं जानती थी कि नया सिम कार्ड किसके नाम पर है?
पुलिस की एक टीम को दिल्ली रवाना किया गया। दूसरी टीम को सिम कार्ड की जानकारी जुटाने के लिए कहा गया। 20 साल पहले तकनीक आज की तारीख जितनी एडवांस नहीं थी। सिम कार्ड वेरिफिकेशन में सात दिन की प्रोसेस लगती थी। पुलिस पसोपेश में थी। इसी दौरान मोबाइल यूज करने वाले ने एक गलती कर दी। उसने अपने मोबाइल में पुरानी सिम एक्टिव कर ली।
यहां से पुलिस का काम आसान हो गया। पुलिस ने तत्काल ही उसके मोबाइल से लोकेशन ट्रेस की। ये नंबर एक बदमाश जोगिंदर सिंह उर्फ जग्गा का निकला। पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया। जग्गा से पूछताछ की तो उसने बताया कि वो कुछ नहीं जानता। पुलिस ने सख्ती दिखाई तो वो टूट गया।
उसने बताया कि सुबह नई वाली सिम मनीष नाम के व्यक्ति को उसे देना है। पुलिस ने जग्गा की बताई लोकेशन पर डेरा डालकर घेराबंदी कर दी। जग्गा से मिलने एक युवक आया। इशारा मिलते ही पुलिस ने युवक को पकड़ लिया। पूछताछ में उसने अपना नाम मनीष बताया।

जग्गा के इशारे पर पुलिस ने मनीष को घेराबंदी कर पकड़ा। (इमेज एआई जनरेटेड है)
31 अगस्त 2005 को एमपी-राजस्थान बॉर्डर पर नीतेश का सुराग मिला मनीष ने पुलिस को बताया कि नीतेश और ध्रुव को एमपी और राजस्थान की बॉर्डर पर रखा गया है। गुना जिले में बताई हुई लोकेशन पर पुलिस की टीम पहुंची। मौके पर एक झोपड़ी मिली, जिसमें अपहरण कर नीतेश और ध्रुव को रखा गया था।
झोपड़ी की निगरानी के लिए दो हथियारबंद बदमाशों की तैनाती की गई थी। हथियारबंद बदमाश इंद्रीश और अमजद थे, जो 24 घंटे झोपड़ी पर नजर रख रहे थे। पुलिस ने उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया। नीतेश तक पहुंचने के बाद पुलिस ने राहत की सांस ली। नीतेश के सही सलामत होने की खबर सुन इंदौर में हैरान-परेशान परिजन की भी जान में जान आई।

पुलिस ने नीतेश और ध्रुव को सही सलामत बरामद किया और उन्हें इंदौर ले गई। ( इमेज एआई जनरेटेड है)
दाऊद की बेटी का लहंगा सिलने वाला मास्टरमाइंड इंद्रीश और अमजद को गिरफ्तार कर पुलिस इंदौर के लिए रवाना हो गई। रास्ते में पुलिस अफसरों ने दोनों से पूछताछ की। दोनों ने बताया कि इस्माइल नाम का शख्स शिवपुरी में सिलाई दुकान चलाता है। वह दुबई में दाऊद इब्राहिम की बेटी की शादी में शामिल हुआ था।
उसी ने दाऊद की बेटी माहरुख के लिए दुल्हन का जोड़ा सिला था, जिसे लेकर वो दुबई गया था। मनीष, इस्माइल का एजेंट था। इस्माइल ने ही मनीष को नीतेश की बात बहन से करवाने के लिए कहा था। उसे मोबाइल लेने जग्गा के पास भी उसी ने भेजा था। इस्माइल ने एजेंट मनीष को दाऊद की गैंग में शामिल करवाया था।
दाऊद से कनेक्शन के कारण ही इस्माइल ने नीतेश नागौरी का अपहरण कर 4 करोड़ की फिरौती मांगी थी। मनीष ने ही इंटरनेशनल कॉल से दाऊद का गुर्गा बनकर रकम मांगी थी।

इस्माइल शिवपुरी का रहने वाला था। उसने दाऊद की बड़ी बेटी माहरुफ की शादी का लहंगा सिला था। ( तस्वीर प्रतीकात्मक है)
बदमाशों के बयान से आया कहानी में ट्विस्ट पुलिस को पता चल चुका था कि इस सब के पीछे शिवपुरी का रहने वाला इस्माइल है। मगर, एक सवाल का जवाब पुलिस को अभी भी नहीं मिल रहा था। नीतेश को 16 अगस्त को अगवा किया था। बदमाशों को कैसे पता था कि वह अपने दोस्त के साथ पार्टी में जाने वाला है?
पुलिस ने इंद्रीश और अमजद से पूछताछ की। दोनों ने वो नाम बताया, जिसे सुनकर पुलिस हैरान रह गई। दोनों ने कहा- हमसे नहीं ध्रुव से पूछो, उसी ने सब किया है। दोनों आरोपियों ने ध्रुव के साथ उसके एक और दोस्त गौरव का भी नाम लिया। ध्रुव और गौरव दोनों स्कूल में साथ पढ़ते थे।
उन्होंने बताया- ध्रुव ने ही टिप दी थी कि नीतेश कितने बजे पार्टी से निकलेगा। पुलिस ने जब जांच की तो पता चला कि घटना के दौरान इस्माइल को इंदौर में देखा गया था। इस्माइल और ध्रुव दोनों दोस्त थे। इस्माइल उससे मिलने इंदौर आता था।
इस्माइल के बारे में पुलिस को पता चला कि उसका कनेक्शन दाऊद के करीबी आफताब आलम था। इस अपहरण के लिए आफताब ने इस्माइल को दुबई में नौकरी और मोटी रकम देने का वादा किया था।

इस्माइल दुबई भाग गया, 20 साल से फरार इंदौर के भंवरकुआं थाना क्षेत्र में नीतेश की लावारिस कार पुलिस को मिली थी, जबकि केस तुकोगंज थाने में दर्ज हुआ था। करीब 11 लोगों ने नीतेश का अपहरण किया था। इस मामले में ध्रुव को जमानत मिल गई। बाद में ध्रुव और गौरव बरी भी हो गए, क्योंकि किसी ने उनकी पहचान नहीं की। सबूतों के अभाव में उनकी भूमिका साबित नहीं हो सकी।
अपहरणकांड का मास्टरमाइंड इस्माइल था, लेकिन पुलिस उस तक पहुंच नहीं सकी। बताया जाता है कि पुलिस के पहुंचने से पहले वह मुंबई भाग गया। वहां से दुबई चला गया। केस में शामिल अधिकारी इधर-उधर हो गए। साल बीतते गए और मामला ठंडे बस्ते में चला गया। घटना के आज बीस साल बाद भी इस्माइल गिरफ्त में नहीं आया है।

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