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8 हजार सैलरी, 3 भाई-बहन की जिम्मेदारी! आधे पैसे घर, आधे में गुजारा,काम के बाद पढ़ाई! संघर्ष देख आंखें भर आएंगी

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Struggle Student Story: अश्विनी पिसाल, पुणे में MPSC परीक्षा की तैयारी करते हुए क्लर्क का काम करती हैं. 8 हजार सैलरी में आधे पैसे घर भेजती हैं और बाकी में गुजारा करती हैं. संघर्षपूर्ण जीवन जी रही हैं.

8 हजार सैलरी, 3 छोटे भाई-बहन, आधे पैसे घर, आधे में गुजारा,काम के बाद पढ़ाई!

अश्विनी पिसाल: 8 हजार सैलरी में परिवार और पढ़ाई का संघर्ष

हाइलाइट्स

  • अश्विनी पिसाल MPSC की तैयारी के साथ क्लर्क का काम करती हैं.
  • 8 हजार सैलरी में आधे पैसे घर भेजती हैं, बाकी में गुजारा करती हैं.
  • ऑफिस के बाद लाइब्रेरी में पढ़ाई करती हैं, संघर्षपूर्ण जीवन जी रही हैं.

पुणे: महाराष्ट्र के कोने-कोने से हर साल लाखों छात्र पुणे में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने आते हैं. कई छात्रों की पृष्ठभूमि देखें तो वे किसान और गरीब परिवारों से आते हैं. इस कारण उन्हें बेहद कठिन और संघर्षमय परिस्थितियों में अपना जीवन जीना पड़ता है. ऐसी ही कहानी है पुणे जिले के इंदापुर तालुका के डालसगांव की अश्विनी पिसाल की. यह युवती प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के साथ-साथ काम भी करती है.

परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर
लोकल 18 से बात करते हुए अश्विनी पिसाळ ने बताया, ‘मैं पिछले तीन साल से MPSC परीक्षा की तैयारी कर रही हूं. पुणे के गोखलेनगर इलाके में रहती हूं और बालभारती में क्लर्क के रूप में काम करती हूं. काम करते हुए कंबाइंड, राज्यसेवा और तलाठी परीक्षा देती हूं. घर में मैं और मेरे तीन छोटे भाई-बहन हैं. मेरी मां खेत में मजदूरी करती हैं और पिता गवंडी का काम करते हैं.’

घर की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं होने के कारण मुझे पढ़ाई के साथ-साथ काम भी करना पड़ता है. क्योंकि छोटे भाई की जिम्मेदारी मुझ पर है, मुझे उसका भी ध्यान रखना पड़ता है. वह भी पुणे में पढ़ाई कर रहा है. बहुत ही किफायत से महीना निकालना पड़ता है. 8 हजार रुपये की तनख्वाह में आधे पैसे घर भेजने पड़ते हैं और बाकी पैसों में रहने का किराया, यात्रा खर्च, खाने का खर्च देखना पड़ता है. कई बार तो सिर्फ सुबह और शाम का खाना ही हो पाता है.

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ऑफिस के बाद लाइब्रेरी में तैयारी
अश्विनी पिसाल ने कहा कि इस सब में लाइब्रेरी की फीस भरने के पैसे नहीं होते, लेकिन पवार काका हैं, जिन्हें मेरी पूरी स्थिति पता है, इसलिए वे मुझसे सिर्फ 500 रुपये लेते हैं और मेरी मदद करते हैं. सुबह 10 से शाम 6 बजे तक ऑफिस का काम करने के बाद रात 10.30 बजे तक लाइब्रेरी में रहती हूं. प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों का जीवन बहुत ही संघर्षपूर्ण होता है.

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