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इश्योरेंस कंपनी को उपभोक्ता फोरम ने ब्याज सहित 11.50 लाख रुपए देने के आदेश दिए हैं।
इंदौर में एक इंश्योरेंस कंपनी ने कार मालिक को पॉलिसी बेचते समय दावा था कि एक्सीडेंट के कुछ ही घंटों में क्लेम सेटलमेंट हो जाएगा। लेकिन, जब हादसा हुआ तो कंपनी ने बहानेबाजी शुरू कर दी। घटना के 14 महीने बाद तक बीमा कंपनी ने सेटलमेंट अटकाकर रखा। हद तो यह
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दावा किया था-कुछ घंटों में सेटलमेंट कर देंगे इंदौर के ड्रीम सिटी टाउनशिप, तलावली चांदा निवासी अंकुर शर्मा ने 16 जून 2019 को कासलीवाल ऑटोमोटिव प्रा.लि. लसूडिया मोरी से हुंडई आई-20 कार खरीदी थी। इस दौरान शोरूम से उन्हें बताया गया कि उनके शोरूम से इंश्योरेंस कराने पर क्लेम सेटलमेंट जल्द हो जाता है। बीमा कंपनी क्लेम का सेटलमेंट कुछ ही घंटों में कर देती है। साथ ही अन्य फायदे भी बताए। इस पर उन्होंने विश्वास कर आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड से कार का बीमा करा लिया। इसके लिए 19 जून 2019 को इंश्योरेंस की प्रीमियम राशि 39,488 रुपए का भुगतान भी कर दिया।

ऐसा रहा बीमा कंपनी का रवैया 11 अक्टूबर 2019 को अंकुर शर्मा अपनी कार स्वयं खुद चला रहे थे। नेपानगर जिले के अम्बाडा में उनकी कार पुलिया से नीचे गिर गई। इस दौरान उन्हें कोई चोट नहीं आई लेकिन कार पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई।
अंकुर शर्मा ने तुरंत शोरूम और आईसीआईसीआई लोम्बार्ड कंपनी को सूचना दी। बीमा कंपनी ने मौके पर टोइंग गाड़ी भेजी और उसे कार कंपनी के सर्विस सेंटर पर भेज दिया गया। इसके साथ ही इंश्योरेंस कंपनी और शोरूम कर्मचारियों ने अंकुर शर्मा के समक्ष मौके पर जाकर निरीक्षण किया।
इस दौरान शर्मा ने उन्हें ड्राइविंग लाइसेंस, इंश्योरेंस पॉलिसी और आधार कॉर्ड की फोटोकॉपी भी दे दी। इसके बाद शोरूम के सर्विस सेंटर ने रिपेयर के लिए जॉब कॉर्ड तैयार कर लिया और क्लेम सेटलमेंट के लिए आईसीआईसीआई लोम्बार्ड को भेज दिया।
इसके बाद अंकुर शर्मा से कहा गया कि इंश्योरेंस कंपनी की सर्वे रिपोर्ट आना बाकी है। आते ही कार की रिपेयरिंग करा दी जाएगी। फिर कई दिनों तक बीमा कंपनी और सर्विस सेंटर सिर्फ आश्वासन देते रहे। बताया गया कि प्रोसेस चल रही है। सेटलमेंट होने में थोड़ा समय लग रहा है।

उलटा 15 हजार रुपए फरियादी से मांग लिए कुछ दिनों बाद बीमा कंपनी ने अपने मेल में बताया कि अंकुर शर्मा ने घटना का गलत विवरण दिया है। साथ ही कहा कि बीमा कंपनी ने 6 अक्टूबर को एक पत्र अंकुर शर्मा को भेजा था। इसमें टोइंग वाहन का किराया 15 हजार रुपए का भुगतान करने का कहा गया।
मामले में अंकुर शर्मा ने कहा कि यह नियम के विपरीत है। यह खर्च रिपेयरिंग में शामिल रहता है। इस बीच कोरोना का दौर शुरू हो गया। जिसके कारण शर्मा को काफी परेशानी हुई। उधर बीमा कंपनी ने न तो क्लेम का निराकरण किया और न ही कार रिपेयर की।
कोरोना की वजह से सालभर बाद फोरम की ली शरण मामले में अंकुर शर्मा ने अपने एडवोकेट मनीष वर्मा के माध्यम से 2 दिसंबर 2020 को कासलीवाल हुंडई शोरूम और आईसीआईसीआई लोम्बार्ड इंश्योरेंस कंपनी के खिलाफ जिला उपभोक्ता फोरम में केस लगाया। इसमें बताया कि शोरूम और बीमा कंपनी द्वारा सेवा में कमी की गई है, जिससे काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
इसके लिए क्लेम केस और सेवा में कमी के लिए 8.85 लाख रुपए, मानसिक व शारीरिक कष्ट के लिए 1 लाख रुपए और परिवाद का खर्च 25 हजार रुपए दिलवाए जाने की मांग की।

कोर्ट ने कहा- कंपनी 9 लाख का भुगतान करें 22 फरवरी 2025 को उपभोक्ता फोरम ने आईसीआईसीआई लोम्बार्ड कंपनी को जवाबदार मानते हुए आदेश दिया कि वह पीड़ित पक्ष को 8.85 लाख रुपए 6% ब्याज की दर से उन्हें अदा करें। ब्याज की राशि क्लेम केस पेश करने की तारीख 2 दिसंबर 2020 से देनी होगी। साथ ही पीड़ित पक्ष दुर्घटनाग्रस्त कार बीमा कंपनी को सुपुर्द करें। इसके अलावा पीड़ित पक्ष को हुई असुविधा और मानसिक आघात के लिए 25 हजार रुपए और परिवाद का 15 हजार रुपए का खर्च भी दें। इस तरह ब्याज सहित 11.50 रुपए की राशि 45 दिनों में भुगतान करना होगी।
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