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हालत बिगड़ी तो घर पर करवाई डिलीवरी, अस्पताल गए तो नवजात को नहीं मिला जन्म प्रमाण पत्र, माता-पिता भटकते रहे

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Kerala: कोझिकोड में एक दंपति का आरोप है कि घर पर जन्मे उनके बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र स्वास्थ्य विभाग ने जारी नहीं किया. चार महीने से दंपति निगम के चक्कर काट रहे हैं.

हालत बिगड़ी, घर पर करवाई डिलीवरी, अस्पताल गए तो बच्चे को नहीं मिला प्रमाण पत्र

नवजात के माता-पिता भटक रहे.

कोझिकोड के कोट्टुली में एक दंपति को तब बड़ा झटका लगा जब उनके नवजात बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र जारी करने से इनकार कर दिया गया. शराफत नामक व्यक्ति ने इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है. बच्चे का जन्म 2 नवंबर 2024 को हुआ था, लेकिन चार महीने बीतने के बावजूद भी प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया, जिससे परिवार बेहद परेशान है. दंपति ने इस मामले को मानवाधिकार आयोग तक पहुंचा दिया है.

मां ने बताया पूरी घटना
बच्चे की मां का कहना है कि वह दवाइयों का सेवन करने के लिए तैयार नहीं थी. उन्होंने एक्यूपंक्चर की पढ़ाई की है और दो साल पहले कोझिकोड में रहने आई थीं. उनके अनुसार, वह केवल कुछ करीबी लोगों को ही जानती हैं और आशा कार्यकर्ताओं या आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं थी. उनकी पत्नी को प्रसव से पहले इकरा अस्पताल में भर्ती भी कराया गया था, जिसका दस्तावेज उनके पास मौजूद है.

अस्पताल जाने में हुई देरी
शराफत ने बताया कि उन्होंने सोचा था कि जब उनकी पत्नी को प्रसव पीड़ा होगी, तब वे अस्पताल जाएंगे, लेकिन जब समय आया, तो अस्पताल नहीं जा सके. 2 नवंबर को अचानक प्रसव पीड़ा शुरू हो गई और बच्चा घर पर ही पैदा हो गया. चूंकि वे ऊपरी मंजिल पर थे, इसलिए तुरंत अस्पताल नहीं पहुंच सके.

घर पर ही किया गया प्रसव
पति ने बताया कि जब बच्चा जन्मा, तो वह तुरंत पास की एक दुकान पर गए, ब्लेड खरीदी और गर्भनाल काट दी. उन्होंने उसी दिन स्मार्ट एप्लीकेशन के माध्यम से बच्चे के जन्म प्रमाण पत्र के लिए आवेदन कर दिया था. लेकिन जब वे प्रमाण पत्र लेने गए, तो निगम अधिकारियों ने इसे जारी करने से मना कर दिया.

स्वास्थ्य विभाग ने क्यों किया इनकार?
जब दंपति ने निगम और स्वास्थ्य विभाग से कई बार संपर्क किया, तब भी उन्हें कोई ठोस जवाब नहीं मिला. अधिकारियों ने यह कहकर जन्म प्रमाण पत्र देने से इनकार कर दिया कि बच्चा अस्पताल में पैदा नहीं हुआ और इसकी सूचना भी समय पर नहीं दी गई थी. स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि आशा कार्यकर्ताओं या आंगनवाड़ी केंद्रों को इस जन्म की जानकारी नहीं थी और इसे आधिकारिक रूप से पंजीकृत भी नहीं किया गया था.

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