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International Women’s Day: जहां बात भी मुश्किल थी, वहां बदलाव की नई कहानी लिख रही आगरा की ‘पैड वूमन’ दिव्या!

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International Women’s Day Special: आगरा की दिव्या मलिक सस्ते सैनिटरी पैड बनाकर गांव-गांव तक पहुंचा रही हैं. महिलाओं को मासिक धर्म से जुड़ी समस्याओं के प्रति जागरूक करने के साथ, उन्हें सुरक्षित और सस्ते विकल्प भ…और पढ़ें

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पैडवुमेन

पैडवुमेन दिव्या मलिक.

हाइलाइट्स

  • दिव्या मलिक सस्ते सैनिटरी पैड बनाकर गांव-गांव पहुंचा रही हैं.
  • दिव्या का सालाना टर्नओवर 85 लाख रुपये है.
  • सरकार को सैनिटरी पैड की उपलब्धता बढ़ानी चाहिए.

आगरा: अक्षय कुमार की फिल्म पैडमैन 2018 में आई थी जिसे लोगों ने काफी पसंद भी किया था. इस फिल्म में अक्षय ने महिलाओं के लिए सस्ते और किफायती सैनिटरी पैड बनाए और उन्हें घर-घर तक पहुंचाया. लेकिन फिल्मी दुनिया से अलग, आगरा की दिव्या मलिक इसी काम को पहले ही कर चुकी थीं.
दिव्या मलिक आज एक सफल बिजनेस वुमन हैं और Boon Hygiene नाम से सैनिटरी पैड बनाने का कारोबार चला रही हैं. 2016 से वह गांव-देहात की महिलाओं तक सस्ते सैनिटरी पैड पहुंचाने की मुहिम चला रही हैं.

मासिक धर्म पर आज भी खुलकर बात नहीं होती!
न्यूज 18 लोकल से बातचीत में दिव्या मलिक ने बताया कि उन्होंने एमबीए किया है और उनकी स्कूलिंग देहरादून के हॉस्टल में हुई है. पढ़ाई के दौरान उन्हें एक एनजीओ के साथ आदिवासी समुदाय में काम करने का मौका मिला. वहां उन्होंने देखा कि महिलाएं मासिक धर्म के दौरान राख और गंदे कपड़े का इस्तेमाल करती थीं, जिससे उन्हें इंफेक्शन हो जाता था. इस स्थिति ने उन्हें झकझोर कर रख दिया. तभी उन्होंने महिलाओं को जागरूक करने और सस्ते सैनिटरी पैड बनाने का फैसला किया.
आज दिव्या मलिक का सालाना टर्नओवर 85 लाख रुपये है और वह कई महिलाओं को रोजगार भी दे रही हैं.

महिलाओं का दर्द साझा करना आसान नहीं था
एमबीए की पढ़ाई के बाद दिव्या ने महिलाओं के लिए काम करने का फैसला किया. उन्होंने आसपास के गांवों और जिलों में जाकर महिलाओं को जागरूक किया और उन्हें मासिक धर्म के दौरान गंदे कपड़े के इस्तेमाल से होने वाली बीमारियों के बारे में बताया. साथ ही सैनिटरी पैड इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित किया.
दिव्या बताती हैं कि आज भी महिलाएं इस विषय पर खुलकर बात नहीं करतीं. वे खुद एक महिला होने के बावजूद इस मुद्दे पर बात करते समय झिझक को महसूस करती थीं. लेकिन उन्होंने कई एनजीओ के सहयोग से गांवों और झुग्गी-झोपड़ियों में जाकर महिलाओं को जागरूक किया और मुफ्त में सैनिटरी पैड भी दिए.

सरकार को उठाने चाहिए कदम
दिव्या मलिक का मानना है कि पहले की तुलना में अब महिलाओं में जागरूकता बढ़ी है. पहले महिलाएं दुकानों से सैनिटरी पैड काली पॉलीथिन में छिपाकर लेती थीं, जैसे वे कोई अपराध कर रही हों. लेकिन अब धीरे-धीरे बदलाव आ रहा है, हालांकि अभी भी इस विषय पर जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है.
उनका कहना है कि सरकार को रेलवे स्टेशन, ट्रेनों और बसों में सैनिटरी पैड आसानी से उपलब्ध कराने चाहिए, ताकि जरूरतमंद महिलाओं को बिना परेशानी के मिल सकें.
दिव्या न केवल सैनिटरी पैड उपलब्ध करा रही हैं, बल्कि मलिन बस्तियों और गांवों में जाकर महिलाओं को मासिक धर्म से जुड़ी बीमारियों और सफाई के प्रति भी जागरूक कर रही हैं. उनके इस सामाजिक कार्य के लिए उन्हें कई मंचों पर सम्मानित किया जा चुका है. खास बात यह है कि वह पुलिस विभाग के सहयोग से भी इस अभियान को आगे बढ़ा रही हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को इस विषय पर जागरूक किया जा सके.

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International Women’s Day: बदलाव की नई कहानी लिख रही आगरा की ‘पैड वूमन’ दिव्या

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