[ad_1]

जबलपुर हाईकोर्ट ने महिला का जिलाबदर रद्द कर दिया।
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने उमरिया कलेक्टर के द्वारा एक महिला के खिलाफ की गई जिलाबदर की कार्रवाई पर हैरानी जताते हुए ना सिर्फ कार्रवाई को रद्द किया है, बल्कि कलेक्टर पर 25 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। कोर्ट ने महिला पर की कार्रवाई को लेकर शहडोल संभा
.
कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए यह भी कहा है कि संभागायुक्त अपने विवेक से काम नहीं करते है, और किसी डाकघर की तरह आई हुई डाक पर मुहर लगाने का काम कर रहे है। उमरिया निवासी माधुरी तिवारी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर करते हुए बताया था कि उनके खिलाफ सिर्फ छह आपराधिक मामले दर्ज है, जो कि साधारण धाराओं के तहत है, इसके बाद भी उमरिया कलेक्टर ने जिलाबदर की कार्रवाई कर दी।
याचिकाकर्ता माधुरी तिवारी की और से अधिवक्ता संजीव कुमार सिंह ने कोर्ट को बताया कि माधुरी के खिलाफ अक्टूबर 2024 में उमरिया कलेक्टर ने जिलाबदर की कार्रवाई की थी। कोर्ट को बताया गया कि याचिकाकर्ता पर सिर्फ छह अपराधिक मामले दर्ज है, जिसमें से कि दो धारा 110 के तहत, और दो मामूली मारपीट की धाराओं के है। इसके साथ ही दो एनडीपीएस एक्ट के तहत दर्ज किए गए है। कोर्ट को यह भी बताया गया कि माधुरी तिवारी को किसी भी मामले में सजा नहीं हुई है। जस्टिस विवेक अग्रवाल की कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह भी पाया कि कलेक्टर ने एसएसओ मदन लाल मरावी के बयान के आधार पर महिला के खिलाफ जिलाबदर का आदेश पारित किया है।
एसएसओ ने अपने बयान में यह भी स्वीकार किया है कि एनडीपीएस के एक प्रकरण में आरोपी रमेश सिंह सेंगर के बयान के आधार पर याचिकाकर्ता महिला को आरोपी बनाया गया था। कोर्ट को बताया गया कि महिला के पास कोई भी प्रतिबंधित पदार्थ नहीं मिला था। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि कलेक्टर ने महिला के खिलाफ जिलाबदर की कार्रवाई तो की, कमिश्नर के पास जब अपील की तो उन्होंने भी तथ्य और परिस्थितियों पर अपने विवेक का इस्तेमाल नहीं किया। बहरहाल मामले पर हाईकोर्ट ने महिला के खिलाफ ना सिर्फ जिलाबदर की कार्यवाही को रद्द कर दिया बल्कि संभागायुक्त पर तल्ख टिप्पणी करते हुए उमरिया कलेक्टर पर 25 हजार रुपयों का जुर्माना भी लगा दिया है।
[ad_2]
Source link



