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नवचंडी मेले में दो दिन पहले कवि सम्मेलन हुआ था।
मां नवचंडी मेले में शनिवार रात 8 बजे से दो दिनी निमाड़ी गम्मत शुरू होगी। पहले दिन जावर और जामनिया सरसरी की टीम के बीच मुकाबला होगा। निमाड़ी संस्कृति की पहचान कराने वाले कलाकारों द्वारा गम्मत की प्रस्तुति दी जाएगी।
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मनोरंजन के लिए ओटीटी, मोबाइल फोन, टीवी और टॉकीज को छोड़ आज भी निमाड़ में लोग गम्मत के लिए उत्सुक रहते हैं। मनोरंजन की इस कला का मंचन गांवों के कलाकार निमाड़ी बोली में करेंगे। वे मंच पर ही चुटीले संवाद बनाकर श्रोताओं का मनोरंजन करेंगे।
निमाड़ का लाफ्टर शो है गम्मत गायक कलाकार रघुवीर ने बताया कि मंच पर ही संवाद बनाकर तत्काल साथी कलाकारों से मुकाबला कर लोगों का मनोरंजन करने की कला ही गम्मत है। इसे निमाड़ी बोली में खम का तमाशा भी कहते हैं। कलाकार इसमें समसामयिक विषयों पर हास्य-व्यंग्य संवादों की प्रस्तुति देकर लोगों का मनोरंजन करते हैं।
निमाड़ी संस्कृति की जानकारी देने के साथ ही देश-दुनिया की वर्तमान घटनाओं पर भी गम्मत कलाकार व्यंग्य प्रस्तुत करेंगे। ये कलाकार दिन में मजदूरी करते। साधारण से दिखने वाले ये कलाकार जैसे ही मंच पर अपनी प्रस्तुति शुरू करते हैं, लोग इनकी तरफ खींचे चले आते हैं।
अलग-अलग पर्व पर हो रहा गम्मत का आयोजन जिले में अब गम्मत करने वाले कलाकारों की संख्या कम हो रही है। इसी कारण हर गांव में गम्मत पार्टी नहीं है। इक्का-दुक्का गांवों में जो कलाकार इस संस्कृति को बचाए रखे हैं, वे ही त्योहारों और मेलों में अपनी प्रस्तुति देकर लोगों का मनोरंजन कर खूब हंसा रहे हैं। नवरात्रि, नागपंचमी, जन्माष्टमी, गणेश उत्सव और अन्य उत्सवों के साथ ही मेलों में गम्मत के कार्यक्रम कर रहे हैं।
अब निमाड़ी के साथ हिंदी भाषा का भी होने लगा प्रयोग जावर के गायक कलाकार रघुवीर मोरे और जामनिया सरसरी के शिवानी ने बताया समय के साथ गम्मत में भी बदलाव आया है। पहले ठेठ निमाड़ी में ही गम्मत की प्रस्तुति दी जाती थी। अब इसमें हिंदी का उपयोग भी होने लगा है। दूसरे राज्यों में कार्यक्रम के दौरान हिंदी में ही इसका मंचन करना पड़ता है।
मनोरंजन के कितने भी साधन आ जाए, लेकिन गम्मत का एक अपना ही क्रेज है। अब मेलों में गम्मत के दौरान लोगों को हास्य के साथ ही वर्तमान में देश और समाज की बुराइयों को अलग-अलग पात्रों के माध्यम से प्रस्तुत कर हंसाया जा रहा है।
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