Home अजब गजब Sita Ram Diwan Chand Success Story: सीता राम-दीवान चंद के छोले भटूरे...

Sita Ram Diwan Chand Success Story: सीता राम-दीवान चंद के छोले भटूरे की सफलता की कहानी

16
0

[ad_1]

Last Updated:

Sita Ram Diwan Chand Success Story: दिल्ली में 1950 में सड़कों पर साइकिल से छोले-भटूरे बेचने वाले सीताराम-दीवान चंद अब एक फेमस फूड ब्रांड बन गया है.

75 साल का संघर्ष! कभी साइकिल से बेचे सड़कों पर छोले-भटूरे, अब बड़ा फूड ब्रांड

सांकेतिक तस्वीर

हाइलाइट्स

  • सीता राम-दीवान चंद ने 1950 में साइकिल से छोले-भटूरे बेचना शुरू किया.
  • अब दिल्ली में कई आउटलेट्स के साथ फेमस फूड ब्रांड बन गया है.
  • तीसरी पीढ़ी ने पीतमपुरा, पश्चिम विहार और गुरुग्राम में नए आउटलेट्स खोले.

Success Story: भारत के होटल और रेस्तरां बिजनेस में सालों पुराने कई नाम अब बड़े ब्रांड बन गए हैं. इनमें हल्दीराम, बीकानेर वाला, बिकाजी भुजिया समेत कई ब्रांड शामिल हैं. देशभर में फेमस इन ब्रांड्स को हर कोई जानता है लेकिन फूड ब्रांड ऐसे हैं जो एक खास शहर या क्षेत्र तक सीमित हैं. इनमें दिल्ली के सीता राम-दीवान चंद काफी फेमस हैं. दिल्ली के लोगों को पिछले 70 सालों से छोले-भटूरे खिला रहे इस फूड ब्रांड की कहानी काफी दिलचस्प है.

दिल्ली और आसपास के इलाकों में सीतारा-दीवान चंद के छोले भठूरे काफी फेमस हैं. एक जमाना था जब छोले-भटूरे की यह फेमस दुकान, एक साइकिल पर सजती थी, लेकिन आज पूरी दिल्ली में इसके आउटलेस्टस हैं.

ये भी पढ़ें- Top 10 सबसे गरीब देशों की List आई सामने, पाकिस्तान क‍िस पायदान पर? क्या भारत भी है लिस्‍ट में शाम‍िल

दिल्ली की फेमस दुकान

दिल्ली में स्ट्रीट फूड काफी फेमस है. वैसे तो स्ट्रीट फूड दिल्ली में हर जगह मिल जाता है लेकिन कुछ खास ठिकाने इसके लिए काफी फेमस हैं. इनमें चांदी चौक का नाम का स्ट्रीट फूड काफी फेमस है. दिल्ली में स्ट्रीट फूड का नाम लेते ही छोले भटूरे का नाम जेहन में आने लगता है, और इस मामले में सीता राम-दीवान चंद के छोले भटूरे काफी फेमस हैं. जिसने अपने स्वाद से ना सिर्फ दिल्ली वालों का दिल जीता बल्कि पूरे देश में अपनी पहचान बनाई है.

1950 में, सीता राम जी और दीवान चंद जी ने दिल्ली के पहाड़गंज इलाके में डीएवी स्कूल के सामने गरमागरम और स्वादिष्ट छोले भटूरे बेचकर अपना यह स्ट्रीट फूड बिजनेस शुरू किया. वे स्कूल के सामने अपनी साइकिल खड़ी करके छोले भटूरे बेचते थे. 15 साल के अंदर 1970 तक उनके छोले भटूरे बेहद लोकप्रिय हो गए. इसके बाद दोनों ने इंपीरियल सिनेमा हॉल के सामने एक छोटी सी दुकान खोली, जिससे फूड बिजनेस को काफ़ी बढ़ावा मिला.

चूंकि, यह दुकान नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के नज़दीक थी इसलिए सीता राम-दीवान चांद के छोले भटूरे के मुरीदों की संख्या बढ़ती गई. 2008 में, उनकी तीसरी पीढ़ी के राजीव कोहली और उत्सव कोहली ने पीतमपुरा, पश्चिम विहार और गुरुग्राम में नए आउटलेट्स खोलकर इस फैमिली फूड बिजनेस को नई ऊंचाइयों पर पहुँचाया. पुनीत कोहली की लीडरशिप में छोले भटूरे का यह बिजनेस अधिक से अधिक ग्राहकों और खाने के शौकीनों तक पहुँच रहा है.

homebusiness

75 साल का संघर्ष! कभी साइकिल से बेचे सड़कों पर छोले-भटूरे, अब बड़ा फूड ब्रांड

[ad_2]

Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here