Home अजब गजब 7 साल पहले जिस खेती में घाटा, अब हर महीने उसी से...

7 साल पहले जिस खेती में घाटा, अब हर महीने उसी से कमा रहे ₹70,000! इस किसान ने ये किया कैसे?

35
0

[ad_1]

Last Updated:

Success Story: मेहसाणा के किसान रामाजी ठाकोर ने प्राकृतिक खेती अपनाकर अपनी आय दोगुनी कर ली है. बिना रासायनिक दवाओं के खेती कर वे डेढ़ बीघा जमीन से 70,000 रुपये कमा रहे हैं.

7 साल पहले जिस खेती में घाटा, अब हर महीने उसी से कमा रहे ₹70,000! लेकिन कैसे?

जैविक खेती के फायदे

मेहसाणा जिले के खेरालु तालुका के मियासना गांव के किसान रामाजी जोराजी ठाकोर पिछले सात वर्षों से प्राकृतिक खेती अपनाकर सफलता की नई कहानी लिख रहे हैं. पहले वे पारंपरिक खेती से जुड़े थे, लेकिन इसमें अधिक खर्च और कम मुनाफा होने के कारण वे संतुष्ट नहीं थे. सात साल पहले वे एक बीघा जमीन से महज 35 से 40 हजार रुपये की कमाई कर पाते थे, जिसमें मुनाफा नाममात्र का था. लेकिन प्राकृतिक खेती अपनाने के बाद अब वे सिर्फ डेढ़ बीघा जमीन से 60 से 65 हजार रुपये का शुद्ध मुनाफा कमा रहे हैं. उनकी आय दोगुनी हो गई है क्योंकि अब उनकी खेती में लागत बहुत कम है. उनका यह सफर अन्य किसानों के लिए प्रेरणा बन चुका है.

नए प्रयोगों से खेती बनी लाभदायक
64 साल की उम्र में भी रामाजी ठाकोर कृषि में नए-नए प्रयोग कर रहे हैं. आठवीं कक्षा तक पढ़े रामाजीभाई कई वर्षों से खेती में सक्रिय हैं. पहले वे रासायनिक खेती करते थे, जिसमें उर्वरकों और दवाइयों पर अधिक खर्च होता था और मुनाफा अपेक्षाकृत कम था. उस समय वे एक बीघा से 10,000 से 20,000 रुपये का मुनाफा ही कमा पाते थे. लेकिन जब से उन्होंने प्राकृतिक खेती अपनाई है, तब से उनकी आय में बड़ा बदलाव आया है. अब वे एक बीघा से 55,000 रुपये तक का शुद्ध मुनाफा कमा रहे हैं.

फसलों की विविधता से बढ़ी आय
रामाजी ठाकोर ने अपनी डेढ़ बीघा जमीन को कुशलता से उपयोग किया है. उन्होंने एक बीघा में गेहूं की खेती के साथ-साथ मालाबारी नीम भी लगाया है. इसके अलावा, बाकी डेढ़ बीघा में दो अलग-अलग प्लॉट बनाकर उन्होंने बैंगन, दूध थीस्ल, धनिया, मेथी, चुकंदर, पालक, टमाटर, फूलगोभी, पत्तागोभी, मिर्च और गलगोटा जैसी विभिन्न सब्जियों की खेती की है. यह तरीका उनके लिए बेहद फायदेमंद साबित हुआ है. सिर्फ तीन महीनों में उन्होंने 10,000 रुपये की सब्जियां बेचकर अच्छी कमाई की है. इसके अलावा, गेहूं की फसल से भी उन्हें बड़ा मुनाफा होने की उम्मीद है. एक बीघा में करीब 35 मन गेहूं उगने की संभावना है, जिसका बाजार मूल्य 1,200 रुपये प्रति मन है.

बिना रासायनिक दवाओं के बढ़ी कमाई
रामाजी ठाकोर का कहना है कि जब वे पारंपरिक रासायनिक खेती करते थे, तो उन्हें गेहूं के लिए सिर्फ 500 रुपये प्रति मन का दाम मिलता था. लेकिन अब प्राकृतिक खेती करने के कारण उन्हें प्रति मन 1,200 रुपये तक का मूल्य मिल रहा है. इतना ही नहीं, वे पशुपालन से भी प्रति माह 35,000 रुपये का मुनाफा कमा रहे हैं. महज डेढ़ बीघा जमीन पर खेती कर वे हर महीने लगभग 70,000 रुपये की आय अर्जित कर रहे हैं. इसका मुख्य कारण यह है कि वे किसी भी प्रकार की व्यावसायिक दवा या रासायनिक खाद का उपयोग नहीं करते हैं, जिससे उनकी लागत बेहद कम हो गई है और मुनाफा कई गुना बढ़ गया है.

प्राकृतिक खेती से आत्मनिर्भरता की ओर
रामाजी ठाकोर अपने परिवार के 11 सदस्यों का पालन-पोषण इसी खेती से कर रहे हैं. वे बताते हैं कि ‘आत्मा’ नामक संस्था से जुड़ने के बाद उनकी रुचि प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ी और धीरे-धीरे उन्होंने इस पद्धति को पूरी तरह से अपनाया. आज वे सिर्फ खुद ही नहीं, बल्कि अपने गांव और आसपास के किसानों को भी प्राकृतिक खेती के फायदों के बारे में जागरूक कर रहे हैं

homeagriculture

7 साल पहले जिस खेती में घाटा, अब हर महीने उसी से कमा रहे ₹70,000! लेकिन कैसे?

[ad_2]

Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here