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The High Court gave its decision; CM Dr. Mohan Yadav had said three months ago that people are facing problems due to this, it will be removed | इंदौर से हटेगा BRTS, कोर्ट ने दिया फैसला: CM डॉ. मोहन यादव ने कहा था- लोगों को परेशानी हो रही, अपना पक्ष रखेंगे – Indore News

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इंदौर का बीआरटीएस हटाने का रास्ता साफ़ हो गया है। जबलपुर हाईकोर्ट ने इसको लेकर निर्णय सुनाया है। हालांकि अभी फैसले की कॉपी अभी सामने नहीं आई है। बता दें कि तीन महीने पहले इंदौर पहुंचे सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा था कि ‘इससे लोगों को परेशानी हो रही है,

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उन्होंने कहा था कि भोपाल में जैसे बीआरटीएस हटाया गया है, उससे यातायात में सुविधा मिली है। इंदौर में भी बीआरटीएस को लेकर हमें लोगों की शिकायतें मिल रही हैं, जो भी तरीका लगाना पड़ेगा, इसे हटाएंगे।

बता दें कि इंदौर में निरंजनपुर से राजीव गांधी प्रतिमा तक करीब 11.5 किमी लंबा बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (बीआरटीएस) बना हुआ है। इसे लेकर दो जनहित याचिकाएं हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में लगी थी, जिसे हाईकोर्ट की मुख्य पीठ (जबलपुर) ट्रांसफर कर दिया गया था। जिसके बाद आज जबलपुर हाईकोर्ट ने इंदौर के बीआरटीएस को हटाने को लेकर निर्णय सुनाया है।

महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने किया उच्च न्यायालय के बीआरटीएस हटाने के फैसले का स्वागत, मुख्यमंत्री की घोषणा होगी पूरी। जल्द हटाने की कार्यवाही करेंगे ।

उपयोगिता जांचने बनी थी ये कमेटी

हाईकोर्ट ने वर्तमान परिस्थितियों में बीआरटीएस प्रोजेक्ट की उपयोगिता और व्यवहारिकता की जांच के लिए 5 सदस्यों की कमेटी बनाने के निर्देश दिए थे। जिसमें वरिष्ठ अभिभाषक अमित अग्रवाल के साथ ही आईआईएम और आईआईटी के डायरेक्टर की ओर से नामित विशेषज्ञ शामिल थे।

कोर्ट इसके पहले भी वर्ष 2013 में बीआरटीएस की उपयोगिता और व्यवहारिकता की जांच के लिए कमेटी गठित कर चुकी हैं।

बीआरटीएस पर 49 बसें, इनमें 29 सीएनजी

इंदौर के बीआरटीएस पर अभी कुल 49 बस चल रही हैं। इनमें 29 बस सीएनजी हैं, बाकी डीजल है। डीजल की इन 20 बस को इलेक्ट्रिक बस से बदल दिया जाएगा। इसके अलावा 10 नई बस भी चलाई जाएगी। इससे ओवर लोडिंग की समस्या कम होगी।

एआईसीटीएसएल (Atal Indore City Transport Services Limited) के अधिकारियों का कहना है कि डीजल बस को रिप्लेस करने का मुख्य उद्देश्य इंदौर बीआरटीएस को ग्रीन कॉरिडोर बनाना है। नई बस आने के बाद यहां चलने वाली बस की कुल संख्या 49 से बढ़कर 59 हो जाएगी। अभी बस का राजीव गांधी डिपो के अंदर ही चार्जिंग, कैपेसिटी और कम्फर्ट सहित अन्य पॉइंट पर ट्रायल किया जा रहा है।

नौकरीपेशा और स्टूडेंट्स करते हैं सफर

बीआरटीएस कॉरिडोर शहर के बीचों बीच है और ये लोगों के लिए बहुत ही उपयोगी है। इस रूट पर कई शैक्षणिक संस्थाएं, अस्पताल और कॉर्पोरेट ऑफिस हैं। यही वजह है कि बीआरटीएस में चलने वाली I-BUS में बड़ी संख्या में रोजाना यात्री सफर करते हैं। नौकरीपेशा वर्ग बसों का उपयोग करता है। एआईसीटीएसएल के अफसरों की माने तो औसतन 55 से 65 हजार यात्री इसमें रोजाना सफर करते हैं। बता दें, इन बसों में सफर करने वाले यात्रियों में बड़ा वर्ग स्टूडेंट्स का है।

नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा था-

यातायात के हिसाब से बीआरटीएस को लेकर यह निर्णय लेना जरूरी था, मैं शुरू से ही विरोध कर रहा था। शहर में यातायात लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में बीआरटीएस को हटाने का निर्णय सही है।

पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन बोली –

इंदौर में बीआरटीएस प्रोजेक्ट सफलतापूर्वक चल रहा है। हालांकि मुख्यमंत्री और जनप्रतिनिधियों ने इसे तोड़ने का निर्णय लिया है तो कुछ सोच-समझकर ही लिया होगा। बीआरटीएस पर चल रही बसों से विद्यार्थियों और अन्य लोगों को बड़ी राहत है। एम्बुलेंस को भी इसमें चलाने की अनुमति है। इससे मरीज को समय पर अस्पताल पहुंचाने में मदद मिलती है।

प्रदेश का इकलौता शहर, जहां पर बीआरटीएस

इंदौर में 2013 में शुरू हुआ बीआरटीएस कॉरिडोर अब प्रदेश का इकलौता बीआरटीएस बन गया है। क्योंकि भोपाल में बना बीआरटीएस खत्म किया गया है। साल 2013 में बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम की शुरुआत हुई।

इंदौर में 11.5 किलोमीटर का बीआरटीएस कॉरिडोर बनाया गया है, जो निरंजनपुर से लेकर राजीव गांधी चौराहा तक है। पूरे कॉरिडोर में 20 बस स्टाप आते हैं। इस बीआरटीएस पर वर्तमान में 49 बसों का संचालन हो रहा है।

300 करोड़ की लागत से बना था प्रोजेक्ट

इंदौर में 300 करोड़ रुपए की लागत से 11.5 किलोमीटर लंबा बीआरटीएस दस साल पहले शुरू हुआ था। इसकी बस लेन में 12 स्टेशन भी बनाए गए हैं। इस प्रोजेक्ट के लिए जवाहर लाल शहरी नवीनीकरण मिशन के तहत इंदौर को राशि मिली थी। बस के लिए विशेष लेन बनाने का कुछ लोगों ने विरोध भी किया था और मामला हाईकोर्ट में भी है।

दिल्ली, पुणे के बीआरटीएस बाद में हटा दिए गए। भोपाल में भी बीआरटीएस की बस लेन को हटाने का फैसला लिया जा चुका है। इंदौर बीआरटीएस का छह किलोमीटर का हिस्सा बाॅटलनेक है। एलआईजी से वाइट चर्च रोड तक सड़क की चौड़ाई कम है। बीआरटीएस के कारण जंक्शन पर ब्रिज बनाने में भी परेशानी आ रही है।

1 साल पहले भोपाल का बीआरटीएस हटाने का निर्णय

राजधानी भोपाल के डेवलपमेंट को लेकर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने वीआईपी रोड के चौड़ीकरण और बीआरटीएस कॉरिडोर को लेकर मंत्री, विधायक समेत अफसरों से चर्चा की थी। मंत्री-विधायक ने बीआरटीएस कॉरिडोर को हटाने की भी बात कही थी। इसके बाद इसे हटाने पर सहमति बनी थी। इस प्रोजेक्ट पर 13 साल पहले 360 करोड़ रुपए खर्च हुए थे।

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