[ad_1]
Last Updated:
डोनाल्ड ट्रंप ने रूस के साथ बातचीत कर यूक्रेन युद्ध खत्म करने की पहल की है, जिससे यूरोप में गुस्सा और निराशा है. यूरोप ट्रंप को दोषी मानता है, जबकि ट्रंप इसे अमेरिका के लिए नुकसानदेह मानते हैं.
ट्रंप की यूक्रेन युद्ध खत्म करने की पहल से यूरोप में मचा हड़कंप. (Image:PTI)
हाइलाइट्स
- ट्रंप ने यूक्रेन युद्ध खत्म करने की पहल की.
- यूरोप में ट्रंप की पहल से गुस्सा और निराशा.
- ट्रंप ने रूस से बातचीत को अमेरिका के लिए नुकसानदेह बताया.
नई दिल्ली. इतिहास के महत्वपूर्ण पल अपना असली रंग दिखाने के लिए समय लेते हैं. 1789 में जब बस्तील (Bastille) पर हमला हुआ था, तब इस हमले में शामिल लोगों को अंदाज़ा नहीं था कि वे फ्रांसीसी क्रांति की शुरुआत कर रहे हैं. मुझे लगता है कि हम ऐसे ही एक ऐतिहासिक पल के गवाह बन रहे हैं जो दुनिया के भू-राजनीतिक स्वरूप को बदल देगा. हमें हमेशा भूसे से गेहूँ, शोर से सटीक बात और प्रचार से सच्चाई को अलग करना चाहिए. यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए रूस के साथ बातचीत की डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) की पहल उदारवादी और पेशेवर आलोचकों के लिए एक उकसावे जैसी है. जिससे कोई भी तार्किक चर्चा लगभग असंभव हो गई है.
पश्चिमी मीडिया ट्रान्स- अटलांटिक संबंधों के खात्मे की खबरों से भरा हुआ है. विशेष रूप से यूरोप के नेता, पत्रकार, टिप्पणीकार, पॉडकास्टर, शिक्षाविद, नीति विशेषज्ञ ट्रंप पर रोजाना तंज कसते हुए, गुस्से, आग और निराशा जैसी भावनाओं से गुजर रहे हैं. यूरोपीयों को यकीन है कि यूक्रेन, जो तीन साल से US के नेतृत्व वाले पश्चिम से धन और हथियार मिलने के बावजूद युद्ध हार रहा है, चमत्कारिक ढंग से बाजी पलट देगा अगर पश्चिम उसे समर्थन देता रहे. ज़ाहिर है, ‘विचारकों’ ने यह नहीं सोचा कि अगर कोई एक ही काम करता रहे तो नतीजे कैसे अलग हो सकते हैं! तीन साल से चले आ रहे युद्ध ने यूक्रेन को तबाह कर दिया है. इसकी जनशक्ति खत्म हो गई है, इसका एक बड़ा हिस्सा तबाह हो गया है, और अब इसे अपने खनिज भंडार का 50 प्रतिशत US के साथ साझा करने के लिए मजबूर किया जा रहा है. जाहिर है कि यह काफी नहीं है.
भ्रम में यूरोप के देश
यूरोपीय लोग आखिरी यूक्रेनी तक युद्ध के मैदान की वास्तविकताओं से इनकार करते रहेंगे, एक के बाद एक भ्रम फैलाते रहेंगे ताकि युद्ध को रोज़ाना यूक्रेनी लोगों का खून मिलता रहे, भले ही इससे उनका छद्म युद्ध न जीता जा सके. जो लोग नैतिकता की बात करते हैं, उनके लिए रूस की जीत को आसानी से झूठ बोलकर छुपाया जा सकता है. वे कहेंगे कि ट्रंप की वजह से ही पुतिन ताकतवर बने और रूस युद्ध लड़ पा रहा है. लेकिन सच तो यह है कि ट्रंप की बुराई करने से युद्ध नहीं रुक जाएगा. यूरोप के लोग, जो खुद तो कुछ नहीं कर रहे हैं, वे चाहते हैं कि यूक्रेनी लोग मरते रहें.
ट्रंप का सबसे बड़ा गुनाह
ट्रंप का सबसे बड़ा गुनाह है कि उन्होंने युद्ध रोकने की कोशिश की. उन पर इल्जाम है कि उन्होंने ‘यूक्रेन को धोखा’ दिया, ‘रूस का साथ दिया’ और रूस को बिना वजह फायदा उठाने दिया. वे कहते हैं कि पुतिन जीत रहा है क्योंकि ट्रंप ने कुछ गलत किया, न कि इसलिए कि रूस ताकतवर है या यूक्रेन हार रहा है. पिछले तीन साल से मीडिया कह रहा था कि रूस हार रहा है, उसकी अर्थव्यवस्था खराब है, उसकी मुद्रा कमजोर है और पुतिन को सत्ता से हटाया जा सकता है. लेकिन अब वे कहते हैं कि ट्रंप की वजह से पुतिन न सिर्फ़ जीत रहा है बल्कि पूरे यूक्रेन पर कब्जा कर लेगा और नाटो देशों पर हमला कर देगा.
यूक्रेन मुद्दे पर भारत का रुख सही…रूस के राजदूत ने कहा- जंग 2022 से नहीं 2014 से जारी
यूरोप अब ट्रंप से बातचीत की भीख मांग रहा
यूरोप अब ट्रंप से बातचीत की भीख मांग रहा है, लेकिन यह कोई हल नहीं है. यूरोप के लोग, जो युद्ध में कुछ नहीं कर रहे हैं, वे यह नहीं समझते कि पुतिन और ट्रंप किसी के दबाव में नहीं आने वाले. वे अपने सिद्धांतों पर चलते हैं, किसी की परवाह नहीं करते, और इतिहास की परवाह नहीं करते. यह उन्हें खतरनाक बनाता है. यूरोप के लोग, जो अपनी सुख-सुविधा चाहते हैं, उनके लिए ट्रंप और पुतिन खतरा हैं. दूसरी तरफ, ट्रंप ने कई मुश्किलों का सामना किया है और अब उनके पास एक स्पष्ट दृष्टि है. अपने दूसरे कार्यकाल में, ट्रंप युद्ध खत्म करना चाहते हैं, जिसे वे अमेरिका के लिए नुकसानदेह मानते हैं. वे चीन के खतरे पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं. ट्रंप यूक्रेन युद्ध में भावुक नहीं हैं. यह उनका युद्ध नहीं है. वे यूरोप को अमेरिका से अलग देखते हैं, और बिना फायदे के यूक्रेन की मदद नहीं करना चाहते.
New Delhi,Delhi
February 27, 2025, 16:45 IST
[ad_2]
Source link

