Home अजब गजब VIDEO: हेलीकॉप्टर से मिसाइल छोड़कर भेद दिया लक्ष्य, इंडियन नेवी और DRDO...

VIDEO: हेलीकॉप्टर से मिसाइल छोड़कर भेद दिया लक्ष्य, इंडियन नेवी और DRDO ने किया ये बड़ा कमाल

38
0

[ad_1]

DRDO, Indian Navy, Naval Anti-Ship missile

Image Source : INDIA TV
हेलीकॉप्टर से छूटते ही मिसाइल ने कमाल कर दिया।

नई दिल्ली: रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और भारतीय नौसेना ने 25 फरवरी 2025 को एक बड़ा कदम उठाया। उन्होंने चांदीपुर के परीक्षण क्षेत्र से अपनी पहली नौसेना एंटी-शिप मिसाइल (NASM-SR) का सफल परीक्षण किया। इस परीक्षण में यह दिखाया गया कि मिसाइल को भारतीय नौसेना के सीकिंग हेलीकॉप्टर से लॉन्च किया गया और यह समुद्र में स्थित जहाजों को सटीक रूप से निशाना बना सकती है। मिसाइल में ‘मैन-इन-लूप’ फीचर भी था, जिसका मतलब है कि पायलट परीक्षण के दौरान इसे नियंत्रित कर सकता था।

टेस्टिंग में मिसाइल ने सटीक रूप से भेदा लक्ष्य

टेस्टिंग में मिसाइल ने एक छोटे जहाज के लक्ष्य को उसकी अधिकतम सीमा से सटीक रूप से निशाना बनाया। यह मिसाइल एक खास इमेजिंग इंफ्रारेड सीकर का उपयोग करती है, जिससे वह लक्ष्य की तस्वीरें ले सकती है और पायलट को वापस भेज सकती है। इसके अलावा, इस टेस्टिंग ने यह भी दिखाया कि मिसाइल में एक मजबूत दो-तरफा डेटा लिंक सिस्टम है, जो पायलट को उड़ान के दौरान मिसाइल को फिर से लक्षित करने में मदद करता है। शुरू में, मिसाइल ने एक बड़े लक्ष्य को लॉक किया, लेकिन बाद में पायलट ने एक छोटे लक्ष्य को चुना, जिसे मिसाइल ने सटीक रूप से मारा।

मिसाइल में कई स्वदेशी तकनीकों का इस्तेमाल

इस मिसाइल में कई स्वदेशी तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है, जैसे फाइबर ऑप्टिक जाइरोस्कोप-आधारित INS, रेडियो अल्टीमीटर, और एक एवियोनिक्स मॉड्यूल, जो इसकी दिशा और ऊंचाई को नियंत्रित करते हैं। इसके अलावा, इसमें इलेक्ट्रो-मैकेनिकल एक्ट्यूएटर्स, थर्मल बैटरी और PCB वारहेड भी शामिल हैं, जो इसे अधिक प्रभावी बनाते हैं। मिसाइल में ठोस प्रणोदन का इस्तेमाल किया गया है, जिसमें एक इन-लाइन इजेक्टेबल बूस्टर और लॉन्ग-बर्न सस्टेनर है। सभी परीक्षण सफल रहे और मिसाइल ने निर्धारित सभी मिशन उद्देश्यों को पूरा किया।

मिसाइल के निर्माण में लगी हैं कई लैब्स और कंपनियां

इस मिसाइल को DRDO की विभिन्न लैब्स जैसे अनुसंधान केंद्र इमारत, रक्षा अनुसंधान और विकास प्रयोगशाला, उच्च ऊर्जा सामग्री अनुसंधान प्रयोगशाला, और टर्मिनल बैलिस्टिक्स अनुसंधान प्रयोगशाला के द्वारा विकसित किया गया है। इसके निर्माण में MSME, स्टार्ट-अप्स और अन्य इंडस्ट्री पार्टर्नस की मदद भी ली जा रही है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस सफल परीक्षण के लिए DRDO, भारतीय नौसेना और इंडस्ट्रीज को बधाई दी। DRDO के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत ने भी इस सफलता के लिए पूरी टीम और इंडस्ट्री पार्टनर्स को बधाई दी।

Latest India News



[ad_2]

Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here