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बुंदेलखंड का केदारनाथ
– फोटो : अमर उजाला
विश्व प्रसिद्ध खजुराहो से करीब 95 किलोमीटर और जिला मुख्यालय छतरपुर से करीब 52 किलोमीटर और तहसील मुख्यालय बिजावर से महज 15 किलोमीटर की दूरी पर शिवधाम श्री जटाशंकर धाम स्थित है। विंध्य पर्वत श्रंखला पर स्थित यह धार्मिक स्थल अपने मनोहारी प्राकृतिक वातावरण के कारण तेजी से पर्यटक स्थल के रूप में भी प्रसिद्ध हुआ है।
यहां निवर्तमान प्रवंधन द्वारा जनसुविधाओं के अनेक कार्यों को मूर्त रूप देने से धार्मिक के साथ पर्यटन प्रेमियों, वैवाहिक, सामाजिक व अन्य आयोजनों के लिए भी यह स्थान लोगों की पसंद बनकर उभरा है। न्यास के निवर्तमान अध्यक्ष अरविन्द अग्रवाल ने बताया कि बेहद प्राचीन स्थल होने से यहाँ के इतिहास संबंधी दस्तावेज उपलब्ध नहीं हैं।

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जटाशंकर धाम
– फोटो : अमर उजाला
ॐ नमः शिवाय
इस धाम को लेकर कई कथायें प्रचलित हैं। एक प्रचलित कथा के अनुसार भगवान शंकर जी देवासुर संग्राम में जरा नामक दैत्य का बध करने के बाद यहां आकर ध्यान मग्न हुए व इनके जटाओं से गंगा जी प्रवाहित होने लगी। जिससे इस स्थान का नाम जटाशंकर पड़ा।

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मंदिर परिसर में भीड़
– फोटो : अमर उजाला
प्राकृतिक वातावरण से भरपूर
पहाड़ी के मध्य स्थित इस धाम में पहाड़ी सौंदर्य, हरे भरे वृक्ष, अज्ञात स्रोत से अनवरत प्रवाहित झरने, चट्टानों पर शैल चित्र, नैसर्गिक सौंदर्य, वन्य प्राणियों का स्वछंद विचरण, वानरों की उछल-कूद, पक्षियों का कलरव, घंटों की गूँज, मन्त्रों का उच्चारण, मुख्य मंदिर के पास स्थित कुंडों का गर्मियों में शीतल और शीत ऋतु में गर्म जल, इस स्थान को विशिष्टता प्रदान करता है। यहां ठहरने आदि के भी व्यापक इंतजाम हैं। यहाँ एक बार आने बाले लोग अक्सर आने के लिए लालायित रहते हैं।

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मंदिर परिसर में श्रद्धालु
– फोटो : अमर उजाला
पानी में औषधीय गुण
यहां के पानी में औषधीय गुणों के होने से त्वचा रोग, गैस रोग सहित अनेक व्याधियों से भी निजात मिलती है। इसके आसपास भी कई स्थान घूमने योग्य हैं जिनमें मोनो सैया, घोघरा, जोगीदंड आदि प्राकृतिक स्थल भी काफी अदभुत और मनोहारी हैं।

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भगवान शिव की प्रतिमा
– फोटो : अमर उजाला
जटाशंकर महोत्सव की हुई शुरुआत
शिव धाम में पूरे साल लोगों का आना-जाना लगा रहता है, लेकिन मुख्यतः सोमवार, पूर्णमासी, अमावस्या पर्व, बसंत पंचमी पर विशेष भीड़ होती है। इसके अलावा सबसे ज्यादा संख्या में लोग महाशिवरात्रि पर्व पर यहां पहुंचते हैं। इस दिन यहां भगवान शंकर और माता पार्वती के विवाह की रस्में धूमधाम से मनाई जाती है। इस पर्व को यहां पर श्री जटाशंकर धाम महोत्सव के रूप में मनाया जाने की परंपरा निवर्तमान न्यास अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल द्वारा शुरू की गई है। इस दौरान बसंत पंचमी को माता पार्वती की लग्न पत्रिका लिखी जाती है और मुहूर्त अनुसार निर्धारित तिथि पर मंडप, मायनों, पांव पखराई आदि की रस्में भी होती है।
रोपवे लगाना बाकी सालों से अटका कार्य
श्री जटा शंकर धाम में रोपवे लगाए जाने की घोषणा के करीब साढ़े चार साल बाद अब निर्माण कार्य आरंभ होने की उम्मीद है। यहां रोपवे लग जाने से इस धार्मिक स्थल को पर्यटन स्थल के रूप में भी नई पहचान मिल सकेगी। यहां रोपवे लग जाने पर यह बुंदेलखंड का पहले रोप वे होगा। वर्ष 2019 के श्रावण मास में बिजावर विधायक राजेश शुक्ला ने बिजावर से श्री जटाशंकर धाम तक पदयात्रा की थी।
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