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सब्जी या फलों की नहीं, पेड़-पौधों की खेती करता है ये किसान…बंजर जमीन को बना दिया सोना!

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Success story: मयिलाडुथुराई जिले के नीदूर में 33 एकड़ बंजर जमीन पर हजारों पेड़ उगाए गए हैं, जिससे यह खेत हरा-भरा हो गया है. यहां पेड़ लगाने से न केवल पर्यावरण सुधरा, बल्कि स्थानीय लोगों को भी फायदा हुआ है.

सब्जी या फल की नहीं, पेड़-पौधों की खेती करता है ये किसान...बंजर जमीन से कमाई

पेड़-पौधों की खेती

मयिलाडुथुराई जिले के नीदूर और पांडूर गांवों में पिछले दस वर्षों में एक बड़ा बदलाव देखा गया है. यहां पहले बंजर पड़ी ज़मीन पर अब हरियाली छाई हुई है. धीरे-धीरे भूमि को खरीदा गया और उसमें खेती की शुरुआत की गई. 33 एकड़ में तालाब बनाकर नहरों का निर्माण किया गया ताकि बारिश का पानी अच्छी तरह से संचित हो सके. इस बदलाव के पीछे एक उद्देश्य था—इसे हरा-भरा खेत बनाना.

पेड़-पौधों की विविधता
यहां की ज़मीन पर कई तरह के पेड़ उगाए गए हैं. ऊंचे इलाकों में पेड़ लगाए गए हैं, जबकि निचले हिस्सों में पानी का संचय कर मछली पालन भी शुरू किया गया है. इस क्षेत्र में टीक, आम, कटहल, केला, नारियल, खजूर, सीताफल, बंबलिमास, काजू, बादाम, सुपारी जैसे अनेक फलदार पेड़ उगाए जा रहे हैं. इस पहल ने न केवल ज़मीन को समृद्ध किया है, बल्कि आसपास के वातावरण को भी बदल दिया है.

किसान का उद्देश्य और सामाजिक जागरूकता
यहां के मजदूरों के अनुसार, मालिक ने धान की खेती से ज्यादा पेड़ उगाने को प्राथमिकता दी है. उनका उद्देश्य यह है कि पेड़ उगाने से इलाके में हरियाली बढ़े, और लोगों को ताजगी भरी हवा मिले. इसके साथ ही, वह बारिश के पानी के संचयन के लिए भी पेड़-पौधों के महत्व को समझाने का प्रयास कर रहे हैं. खेत के चारों ओर होर्डिंग लगाकर “पेड़ उगाओ, बारिश का पानी पाओ”, “मिट्टी की उर्वरता बचाओ” जैसे संदेश दिए जा रहे हैं ताकि अधिक से अधिक लोग इस दिशा में जागरूक हों. अब तक यहां 1 लाख 50 हजार पौधे लगाए जा चुके हैं.

आधुनिक खेती और सामुदायिक लाभ
यह बाग़ 33 एकड़ में फैला है और इसकी देखभाल के लिए दस मजदूर काम कर रहे हैं. पानी की व्यवस्था के लिए चार पंप सेट लगाए गए हैं, और घास काटने के लिए मशीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है. क्षेत्र के निचले होने के कारण यहां धान की खेती में कई बार पानी की समस्या होती थी, लेकिन पेड़ उगाने से अब इस समस्या का हल मिल गया है. यहां केवल प्राकृतिक खाद का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे पर्यावरण पर कम प्रभाव पड़ता है.

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