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रेलवे का पायलट नहीं बन पाए तो डिप्रेशन का हो गए शिकार, खान सर की यूट्यूब क्लास ने इस युवक की बदली किस्मत

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Agency:News18 Bihar

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Sucess Story: रोहतास के गोड़ारी निवासी प्रकाश तिवारी ने कठिन परिश्रम कर बीटीएससी की परीक्षा में सफलता प्राप्त कर बिहार सरकार के श्रम संसाधन विभाग में प्रशिक्षण अधिकारी बने. उनकी इस उपलब्धि ने ना. सिर्फ उनके परि…और पढ़ें

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हाइलाइट्स

  • प्रकाश तिवारी बने बिहार सरकार के प्रशिक्षण अधिकारी.
  • मां और भाई की प्रेरणा से प्रकाश ने पाई सफलता.
  • खान सर की यूट्यूब क्लास ने बदली प्रकाश की किस्मत.

रोहतास. काराकाट प्रखंड के गोड़ारी निवासी प्रकाश तिवारी ने अपने माता-पिता का सपना पूरा करने के लिए कठिन परिश्रम किया और BTSC परीक्षा में सफलता प्राप्त कर बिहार सरकार के श्रम संसाधन विभाग में प्रशिक्षण अधिकारी बने. उनकी इस उपलब्धि ने न सिर्फ उनके परिवार बल्कि पूरे क्षेत्र का गौरव बढ़ाया है. बता दें कि प्रकाश तिवारी के पिता मदन मोहन तिवारी किसान हैं और माता शिक्षिका हैं. आर्थिक चुनौतियों के बावजूद उनके माता-पिता ने शिक्षा को प्राथमिकता दी.

मां ने पढ़ाई के लिए किया प्रेरित

उनकी प्रारंभिक शिक्षा सरकारी विद्यालय में हुई, लेकिन एक समय ऐसा भी आया जब परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण प्राइवेट स्कूल की 15 रुपए कि फीस भी नहीं दे पाए, जिससे उनका नाम काटकर सरकारी विद्यालय में डाल दिया गया. हालांकि, उनकी मां ने हिम्मत नहीं हारी और उन्हें आगे पढ़ने के लिए प्रेरित किया. प्रकाश ने आईटीआई पटना से इलेक्ट्रिशियन ट्रेड में शिक्षा प्राप्त की और फिर पॉलिटेक्निक गया से इलेक्ट्रिकल ब्रांच में डिप्लोमा किया. उन्हें बचपन से ही इलेक्ट्रिकल क्षेत्र में गहरी रुचि थी, इसलिए उन्होंने इस क्षेत्र को अपने करियर के रूप में चुना.

असफलताओं ने प्रकाश को बनाया मजबूत

प्रकाश तिवारी ने 2014 में रेलवे लोको पायलट की परीक्षा पास की, लेकिन मेडिकल टेस्ट में आंखों की समस्या के कारण अंतिम चयन नहीं हो सका. यह उनके लिए बहुत बड़ा झटका था, और वे डिप्रेशन में चले गए. इस कठिन समय में उनके बड़े भाई प्रभात कुमार ने उन्हें संभाला और आगे बढ़ने का हौसला दिया. इसके अलावा, उन्होंने UPPCL (उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड) की परीक्षा भी दी, जिसमें वे मात्र एक अंक से चयन से चूक गए, लेकिन इन असफलताओं ने उन्हें तोड़ा नहीं, बल्कि और मजबूत बनाया.

प्रकाश ने अपनी पूरी तैयारी बिना किसी कोचिंग के, सिर्फ ख़ान सर और एसके झा के ऑनलाइन फ्री प्लेटफॉर्म्स और यूट्यूब की मदद से की. उनकी कड़ी मेहनत और आत्मविश्वास का ही परिणाम है कि आज वे प्रशिक्षण अधिकारी के रूप में कार्य कर रहे हैं. अब उनकी इस उपलब्धि ने ना सिर्फ़ उनका परिवार बल्कि पूरे क्षेत्र का मान बढ़ाया है.

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खान सर की यूट्यूब क्लास ने बदल दी तकदीर, प्रशिक्षण अधिकारी बन गया है युवक

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