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राजधानी में शराब की खपत तेजी से बढ़ी है। पिछले वित्तीय वर्ष में जहां करीब 1450 करोड़ की शराब बिकी थी। वहीं, इस बार शुरुआती 10 महीनों (1 अप्रैल से 31 जनवरी) में ही 1500 करोड़ से ज्यादा की शराब बिक गई। यही नहीं, वित्तीय वर्ष के अंत तक आंकड़ा 1800 करोड
.
इससे आबकारी विभाग के मुनाफे में खासा इजाफा हुआ है। पिछले साल विभाग को 737 करोड़ से ज्यादा की आय हुई थी। जबकि, 796 करोड़ की आय जनवरी तक हो चुकी है। साल के अंत तक कुल आय 955 करोड़ से अधिक होने का अनुमान है। इस बार विदेशी शराब की मांग में 16% की गिरावट आई है। जबकि, देशी शराब की मांग 17% तक बढ़ गई है।

खपत बढ़ने की दो वजह
- पहले देशी और विदेशी शराब की दुकानें अलग-अलग होती थीं। लेकिन, बीते साल देशी और विदेशी एक ही दुकान से बेची जा रही है। इस कारण कई लोग विदेशी से देशी पर शिफ्ट हुए।
- युवाओं में शराब के बजाय बीयर पीने का क्रेज बढ़ा है। सामान्यत: युवा देशी शराब के बजाय अंग्रेजी शराब पीते थे। यही वजह है कि अंग्रेजी शराब की खपत घटी और बीयर की खपत बढ़ी है।
- मौजूदा वित्तीय वर्ष में आबकारी विभाग की ओर से की गई कार्रवाइयों के दौरान 1 करोड 7 लाख 6 हजार रुपए कीमत की शराब जब्त की गई।
51 वाहनों की नीलामी 42.77 लाख रुपए में विभाग की ओर से बीते साल 9 हजार 665 प्रकरण दर्ज किए गए थे। इस साल 10 हजार 512 प्रकरण दर्ज हुए हैं। इन मामलों में 43 वाहन जब्त किए गए। यही नहीं 36 वाहनों को राजसात किया गया है। जबकि, 51 वाहनों की नीलामी की गई। इससे विभाग को 42 लाख 77 हजार 37 रुपए प्राप्त हुए।
अवैध शराब बिक्री के खिलाफ अमला लगातार कार्रवाई कर रहा है। अवैध शराब की बिक्री पर रोक लगने पर वैध रूप से बिकने वाली शराब की खपत बढ़ती है। शराब बिक्री के आंकड़ों में इजाफे का यह मुख्य कारण है। दीपम रायचुरा, सहायक आबकारी आयुक्त
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