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भिंड जिले के न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी गोहद की अदालत ने वेयरहाउस घोटाले में पति-पत्नी को दोषी करार दिया। दोनों को 1-1 साल के सश्रम कारावास की सुनाई। वहीं 1,000-1,000 रुपए के अर्थदंड से दंडित किया।
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यह था मामला
वर्ष 2013 में भिंड नागरिक सहकारी बैंक ने विकास श्रीवास्तव, सुरेंद्र यादव और राजेश श्रीवास्तव को क्रमशः 24.27 लाख, 24.15 लाख और 12.10 लाख रुपये का ऋण दिया था। इस ऋण के बदले में मंशादेवी वेयरहाउस में सरसों की बोरियां बंधक रखी गई थीं।
इसी बीच मौ निवासी मिथलेश यादव और उनके पति महेंद्र यादव ने अपने ही “मां मंशादेवी वेयरहाउस” में बैंक से बंधक रखी गई 87 लाख रुपये की 3,000 बोरी सरसों गबन कर दी थी। इस मामले में शुरुआत में जब बैंक अधिकारियों ने निरीक्षण किया, तो वेयरहाउस में सरसों मौजूद थी, लेकिन बाद में जांच में वेयरहाउस खाली पाया गया।
बैंक को लगाया लाखों का चूना
बैंक के मुख्य कार्यपालन अधिकारी के निर्देश पर जब वसूली अधिकारी शिवकुमार सिंह सिकरवार और लिपिक मुकेश गुप्ता ने दोबारा निरीक्षण किया, तो वेयरहाउस पर ताला लगा मिला। बाद में जब खिड़कियों से अंदर देखा गया तो पूरा वेयरहाउस खाली पाया गया। बैंक ने इस घोटाले की जानकारी वेयरहाउस डेवलपमेंट एंड रेगुलेटरी अथॉरिटी (WDRA) को दी और इसकी शिकायत थाना मौ में दर्ज कराई।
अदालत ने दोषी करार दिया
पुलिस ने जांच के बाद आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया। अदालत में अभियोजन पक्ष ने ठोस साक्ष्य पेश किए, जिसके आधार पर न्यायालय ने दोनों आरोपियों को धारा 407 आईपीसी में दोषी मानते हुए 1-1 साल के सश्रम कारावास और 1,000-1,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई।
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