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Delhi Result Effect: दिल्ली में हार से केजरीवाल की बढ़ेगी मुश्किल? क्या छिन जाएगा AAP का राष्ट्रीय दर्जा? समझें

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Delhi Chunav Result Effect: दिल्ली विधानसभा चुनाव में करारी हार ने अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के मुश्किलें खड़ी कर दी है. कई लोग तो अब उसके अस्तित्व पर सवाल उठा रहे हैं. इस बीच आप के राष्ट्रीय दर्जा को …और पढ़ें

दिल्ली में हार से केजरीवाल की बढ़ेगी टेंशन, छिन जाएगा AAP का राष्ट्रीय दर्जा?

क्या दिल्ली चुनाव में हार के अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी से राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा छिन जाएगा? समझें यहां…

हाइलाइट्स

  • दिल्ली चुनाव में AAP को करारी हार मिली.
  • AAP को दिल्ली में 43% वोट और 22 सीटें मिलीं.
  • AAP का राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा फिलहाल सुरक्षित है.

दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) को करारी हार का सामना करना पड़ा है. पार्टी को केवल 22 सीटें मिलीं, जबकि भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 48 सीटें जीतकर लगभग तीन दशकों बाद सत्ता में वापसी की. इस हार ने आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा बनाए रखने को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं, खासकर तब जब पार्टी के बड़े नेता, जैसे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, अपनी सीटें हार गए.

चुनाव आयोग (EC) ने अप्रैल 2023 में आप को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिया था. उसी समय, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) से यह दर्जा छीन लिया गया था.

तो चलिये पहले जानते हैं राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा क्या होता है? और क्या आप से अब यह दर्जा छिन जाएगा?

राष्ट्रीय पार्टी क्या होती है?
भारत में इस वक्त में छह राष्ट्रीय पार्टियां हैं- आम आदमी पार्टी (AAP), कांग्रेस, बीजेपी, बसपा, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी- मार्क्सवादी (सीपीएम) और नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी). राष्ट्रीय पार्टियों की विशेषता होती है कि उनका प्रभाव केवल एक राज्य तक सीमित नहीं होता, बल्कि वे कई राज्यों में चुनाव लड़ती हैं और वहां अपनी उपस्थिति दर्ज कराती हैं. इसके उलट कुछ पार्टियां केवल राज्य या क्षेत्र विशेष में सीमित रहती हैं, जैसे महाराष्ट्र में शिवसेना, तमिलनाडु में डीएमके और एआईएडीएमके, ओडिशा में बीजू जनता दल (BJD) और बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (RJD).

कैसे तय होती है राष्ट्रीय पार्टी की मान्यता?
चुनाव आयोग के अनुसार, भारत की राजनीतिक पार्टियों को तीन श्रेणियों में बांटा जाता है- राष्ट्रीय पार्टी, राज्य पार्टी, रजिस्टर्ड पार्टी

राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा पाने के लिए किसी पार्टी को निम्नलिखित शर्तें पूरी करनी होती हैं:

कम से कम चार राज्यों में ‘राज्य पार्टी’ का दर्जा प्राप्त हो. लोकसभा में कुल सीटों का 2% जीतें, और ये सीटें कम से कम तीन अलग-अलग राज्यों से हों. लोकसभा या विधानसभा चुनावों में कुल वैध मतों का 6% प्राप्त करें और चार लोकसभा सीटें जीतें.

राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा क्यों जरूरी है?
राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिलने से कई लाभ होते हैं:

  • पूरे देश में एक निश्चित चुनाव चिह्न (सिंबल) मिलता है, जिससे मतदाताओं को आसानी होती है.
  • नामांकन पत्र भरने के लिए केवल एक प्रस्तावक की जरूरत होती है.
  • चुनाव आयोग से मुफ्त में दो बार मतदाता सूची मिलती है.
  • लोकसभा और विधानसभा चुनावों में 40 स्टार प्रचारक तय किए जा सकते हैं, जबकि एक सामान्य रजिस्टर्ड पार्टी के लिए यह संख्या केवल 20 होती है.
  • दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो (AIR) पर मुफ्त प्रसारण समय मिलता है.
  • राष्ट्रीय अध्यक्ष को सरकारी बंगला और दिल्ली में कार्यालय की सुविधा मिलती है.

AAP कैसे बनी राष्ट्रीय पार्टी?
AAP ने धीरे-धीरे चुनाव आयोग की इन सभी शर्तों को पूरा किया. 2013 और 2015 में पार्टी दिल्ली की सत्ता में आई. फिर 2022 में पंजाब में सरकार बनाई. गोवा विधानसभा चुनाव 2022 में इसे 6.77% वोट मिले. वहीं गुजरात विधानसभा चुनाव में 13% वोट प्राप्त किए.

इसके बाद, चार राज्यों में ‘राज्य पार्टी’ का दर्जा मिलने से 2023 में आप को ‘राष्ट्रीय पार्टी’ घोषित कर दिया गया.

क्या अब AAP की राष्ट्रीय पार्टी की मान्यता खत्म हो जाएगी?
नहीं… दिल्ली चुनाव में AAP को भले हार मिली है, लेकिन यह अभी भी राष्ट्रीय पार्टी बनी रहेगी. इसके पीछे कारण यह है कि आप को दिल्ली में लगभग 43% वोट मिले, जो जरूरी 6% की शर्त से कहीं अधिक हैं. पार्टी ने 22 सीटें जीतीं, जबकि राज्य पार्टी का दर्जा बनाए रखने के लिए केवल दो सीटों की आवश्यकता थी. वहीं 2024 लोकसभा चुनाव में पार्टी को तीन सीटें मिली हैं. पंजाब, गोवा और गुजरात में AAP का प्रदर्शन अभी भी उसे राष्ट्रीय पार्टी बनाए रखने के लिए पर्याप्त है.

अगर राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा खत्म हुआ तो क्या होगा?

  • पार्टी का चुनाव चिह्न पहले नंबर पर नहीं दिखेगा.
  • चुनाव आयोग की सर्वदलीय बैठकों में आमंत्रण नहीं मिलेगा.
  • प्रचार और चुनावी फंडिंग पर असर पड़ेगा.
  • स्टार प्रचारकों की संख्या घटकर 20 रह जाएगी.

पार्टियां कैसे राष्ट्रीय दर्जा खो चुकी हैं?
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) को 2016 में राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिला, लेकिन पूर्वोत्तर राज्यों में कमजोर प्रदर्शन के कारण 2023 में यह दर्जा खो दिया.
एनसीपी को 2000 में राष्ट्रीय पार्टी घोषित किया गया, लेकिन अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और मेघालय में प्रदर्शन कमजोर होने से यह दर्जा छिन गया.
CPI को 1989 में राष्ट्रीय पार्टी घोषित किया गया था, लेकिन पश्चिम बंगाल और ओडिशा में कमजोर प्रदर्शन के चलते इसे यह दर्जा गंवाना पड़ा।

AAP को दिल्ली में भले करारी हार मिली है, लेकिन राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा फिलहाल सुरक्षित है. इसकी समीक्षा चुनाव आयोग समय-समय पर करता है. अगर AAP आने वाले वर्षों में पंजाब, गोवा और गुजरात जैसे राज्यों में कमजोर पड़ती है, तो इसका राष्ट्रीय दर्जा खतरे में पड़ सकता है.

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