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साल 2020 में संजय सरोवर बांध से बड़ी मात्रा में पानी छोड़ा गया, जिसके चलते सिवनी जिले के बरबरपुर-सोनवारा मार्ग पर बना वैनगंगा पुल बह गया। मामले पर राज्य सरकार ने उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए। कमेटी का गठन किया, जिसमें लोक निर्माण और बिजली विभाग के वर
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जांच रिपोर्ट तैयार कर शासन को चार्जशीट सौंपी गई, जिसमें पीआईयू-2 में महाप्रबंधक अजय सिंह रघुवंशी सहित 2018 में डीपीआर तैयार करने वाले सलाहकार, पर्यवेक्षण सलाहकार, महाप्रबंधक जबलपुर व महाप्रबंधक सिवनी को दोषी माना गया। अपने ऊपर लगे आरोप और जांच में दोषी पाए जाने पर अजय सिंह रघुवंशी ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए याचिका दायर की और अपने आपको वैनगंगा पुल हादसे में बेगुनाह बताया। सोमवार को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में मामले पर सुनवाई हुई।

याचिकाकर्ता ने दिया यह तर्क
याचिकाकर्ता अजय सिंह रघुवंशी की ओर से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि वह मप्र पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड में कार्यपालन यंत्री के रूप में पदस्थ थे। साल 2020 में उन्हें पीआईयू-2 में महाप्रबंधक के पद पर पदस्थ किया गया। इस दौरान 2020 में अत्यधिक बारिश के चलते संजय सरोवर बांध से काफी पानी छोड़ा गया, जिससे बरबरपुर-सोनवारा मार्ग में स्थित वैनगंगा पुल बह गया था। इसकी जांच के लिए उच्च स्तरीय जांच कमेटी का गठन किया गया था, जिसमें बनी चार्जशीट में उन्हें भी दोषी माना गया।
यह था घटनाक्रम
साल 2020 में सिवनी जिले में 9 करोड़ की लागत से वैनगंगा नदी पर 300 मीटर लंबा पुल बना था, जो कि बारिश में बह गया। पुल का उद्घाटन होना बाकी था। लेकिन इससे पहले ही उसका उपयोग शुरू हो गया था। पुल बहने के बाद लोक निर्माण एजेंसी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा और जांच शुरू हो गई। पुल का निर्माण 1 सितंबर 2018 को शुरू हुआ था, निर्माण पूरा होने की तारीख 30 अगस्त 2020 तय की गई थी। पुल इससे पहले ही बनकर तैयार भी हो गया था और गांव के लोग करीब एक महीने से इसका इस्तेमाल भी कर रहे थे। 29-30 अगस्त 2020 की दरम्यानी रात भारी बारिश से वैनगंगा नदी में आई बाढ़ से पुल बह गया। पुल सिवनी की केवलारी विधानसभा के तहत आता है।
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