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28-29 जनवरी की रात प्रयागराज के संगम नोज में भगदड़ के बाद बने हालात को नियंत्रित करने प्रयागराज प्रशासन द्वारा श्रद्धालुओं के सैलाब को रोकने में पड़ोसी जिलों से मदद ली, जिसमें रीवा-प्रयागराज मार्ग के ट्रैफिक पर नियंत्रण सबसे अहम रहा, लेकिन करीब 40 घं
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रात में सड़क के डिवाइडर पर खाना बनाया। डिवाइडर पर ही खाया। सिवनी के कुंवर लाल भारद्वाज ने बताया- हमारा 15 लोगों का ग्रुप है। बुधवार सुबह 4 बजे से रीवा में जाम में फंसे रहे। सभी लोग गाड़ी में ही बैठे-बैठे सो गए। श्रद्धालु पूनम मिश्रा ने बताया कि उनका बेटा 6 महीने का है। उसे तेज बुखार आ गया। यहां खाने-पीने और पानी की व्यवस्था भी नहीं है। हमारे पास जो सामान था, वो खत्म हो चुका है।
रीवा जिला प्रशासन का कहना है कि इस तरह के हालात में सब तक पहुंचने का प्रयास होता है। होल्डिंग प्वॉइंट में रुके लोगों तक हर संभव मदद पहुंचाई गई है। एसडीओपी ने बताया कि श्रद्धालुओं के वाहन अब समान्य तरीके से बॉर्डर पार प्रयागराज भेजे जा रहे हैं।
बच्चों को कंधे पर बैठाकर बचाया, मां गायब
गुना| गुना के ताजपुरा गांव से भरतसिंह मीना के दो बेटे अरविंद व बबलू, उनकी पत्नी गुड्डी बाई, दो बहुओं सहित कुल 14 लोग प्रयागराज गए थे। इनमें से गुड्डी बाई और उनके एक बेटे बबलू के साले रमेश का पता नहीं चल सका। प्रयागराज में इन दोनों की तलाश कर रहे अरविंद मीना ने बताया कि उन्होंने दोनों बच्चों को कंधे पर बिठा लिया।
किसी तरह मैं सुरक्षित निकल आया। बाकी सब बिछड़ गए। मेरी मां गुड्डी बाई और मेरे छोटे भाई का साला रमेश नहीं मिल पाया। उधर कुंभराज के ऊंचा खेजड़ा गांव की गीताबाई भी अपने परिवार से बिछुड़ गई थीं। उनके बेटे ने बताया कि भगदड़ वाली रात को वे अपनी मां गीताबाई के साथ घाट की ओर जा रहे थे। वे शहरी इलाके में ही थे। इसी दौरान भीड़ बढ़ने लगी। पुलिस ने हमें घाट की ओर जाने वाले रास्ते पर नहीं जाने दिया।
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