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क्योंकि… मूल याचिका में 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण पर स्टे अब भी, इसलिए बरकरार रहेगा 87:13 का फॉर्मूला…
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मप्र हाईकोर्ट ने ओबीसी आरक्षण को 14% से बढ़ाकर 27% करने के खिलाफ दायर यूथ फॉर इक्वेलिटी और अनुभव सैनी सहित अन्य की दो रिट याचिकाओं को खारिज कर दिया है। हालांकि, मूल याचिकाकर्ता अशिता दुबे की ओर से दायर याचिका में ओबीसी आरक्षण को 27% करने पर अभी भी स्टे बरकरार है। मतलब- प्रवेश और भर्ती परीक्षाओं की वर्तमान व्यवस्था जस की तस बनी रहेगी। यह याचिका अब हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट को ट्रांसफर हो चुकी है। जब तक सुप्रीम कोर्ट इसका समाधान नहीं करता, तब तक प्रदेश में ओबीसी आरक्षण की मौजूदा व्यवस्था लागू रहेगी।
सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, यूथ फॉर इक्वेलिटी और अनुभव सैनी की याचिका में 2 सितंबर 2021 के जीएडी के आदेश को चुनौती दी गई थी। इसमें कोर्ट में लंबित मामलों को छोड़ अन्य मामलों में ओबीसी आरक्षण को 27% करने के निर्देश दिए गए थे। यह आदेश पूर्व महाधिवक्ता के कानूनी सुझाव पर जारी किया था। बाद में हाई कोर्ट के अन्य आदेश के बाद, राज्य सरकार ने सितंबर 2022 में सभी विभागों की प्रवेश व भर्ती परीक्षाओं में 13% पदों को रिजर्व कर दिया था।
हाईकोर्ट ने इसलिए खारिज की दोनों याचिकाएं : यूथ फॉर इक्वेलिटी एक राजनीतिक दल है, जबकि दूसरा याचिकाकर्ता सागर सेंट्रल यूनिवर्सिटी का सरकारी कर्मचारी है, जिसने नियमों के खिलाफ याचिका दायर की। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि याचिका में मप्र लोक सेवा (आरक्षण) संशोधित अधिनियम 2019 के तहत ओबीसी आरक्षण को 27% तक बढ़ाने को चुनौती नहीं दी गई, बल्कि एक सरकारी आदेश को चुनौती दी गई है। इसलिए, तकनीकी रूप से यह केस सुनने योग्य नहीं है।
2019 में संशोधन: कमलनाथ सरकार ने मप्र लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, जनजातियों व अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए आरक्षण) अधिनियम में संशोधन कर ओबीसी आरक्षण को 14% से बढ़ाकर 27% किया।{हाई कोर्ट में याचिका : अशिता दुबे ने इसे असंवैधानिक मानते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की।{19 मार्च 2019 को आदेश: हाई कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण में 13 प्रतिशत की बढ़ोतरी पर रोक लगा दी।
इससे जिन भर्ती परीक्षाओं के विज्ञापन जारी हुए थे, उनकी सारी प्रक्रियाएं रुक गईं। {31 जनवरी 2020 आदेश: भर्ती रुकने के खिलाफ कोर्ट गए दूसरे पक्ष को हाईकोर्ट ने पीएससी को परीक्षाएं कराने का निर्देश दिया, लेकिन रिजल्ट घोषित न करने का आदेश दिया।{13 जुलाई 2021 का आदेश: हाईकोर्ट ने परीक्षा पूरी हो चुकी सीटों के लिए 87:13 का अनुपात लागू करने का आदेश दिया।
विवादित 13% सीटों को होल्ड रखकर शेष 87% का रिजल्ट घोषित किया गया।{महाधिवक्ता का अभिमत: 25 अगस्त 2021 को महाधिवक्ता पुरुषेंद्र कौरव ने सुझाव दिया कि जिन मामलों में याचिकाएं लंबित नहीं हैं, वहां 27% आरक्षण लागू किया जाए।{यूथ फॉर इक्वेलिटी की याचिका: इस आदेश के खिलाफ यूथ फॉर इक्वेलिटी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की।{सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर: 2 सितंबर 2024 को अशिता की याचिका समेत सभी याचिकाएं हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर कर दी गईं।
भास्कर एक्सपर्ट पैनल– अमित सेठ, अतिरिक्त महाधिवक्ता, आदित्य संघी, सीनियर एडवोकेट, संजय वर्मा, रामेश्वर सिंह ठाकुर (इंटरवीनर के अधिवक्ता)
कुच्छ माचिकाओं के खारिज होने से मौजूदा आरक्षण व्यवस्था पर कोई असर नहीं पड़ेगा, जब तक सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर अंतिम फैसला नहीं देता। संजय दुबे, सचिव, जीएडी
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