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पिरामिड पर योग करके मेहबूब ने रचा इतिहास, ऐसा करने वाले पहले भारतीय बने

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Yoga record: अहमदाबाद के योग प्रशिक्षक मेहबूब कुरैशी ने गिजा पिरामिड पर सात घंटे तक लगातार योग कर इतिहास रचा. यह उनकी योग यात्रा का एक और महत्वपूर्ण अध्याय है, जिसमें उन्होंने अपनी अनोखी उपलब्धियों से दुनिया को…और पढ़ें

पिरामिड पर योग करके मेहबूब ने रचा इतिहास, ऐसा करने वाले पहले भारतीय बने

गिजा पिरामिड पर योग

क्या आपने कभी सोचा है कि दुनिया के सबसे प्राचीन और ऐतिहासिक पिरामिड के ऊपर योग किया जा सकता है? अहमदाबाद के मेहबूब कुरैशी ने ऐसा कर दिखाया है! 21 जनवरी को उन्होंने मिस्र के ग़िज़ा पिरामिड पर सात घंटे तक लगातार योग किया. इस दौरान उन्होंने योग के कई कठिन आसन किए, जो न सिर्फ़ उनके लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक अनोखा कारनामा है. तो आइए जानते हैं इस अद्भुत योग यात्रा के बारे में!

योग का सफर कैसे शुरू हुआ?
मेहबूब कुरैशी का योग से जुड़ने का सफर बहुत ही दिलचस्प है. जब वह जूडो खिलाड़ी थे, तो शारीरिक दर्द और चोटों ने उन्हें योग की ओर खींच लिया. 1996 में उन्होंने योग को एक तरीका समझकर शुरू किया था. लेकिन यह क्या? बहुत जल्दी ही योग उनका जुनून बन गया. वह खुद मानते हैं कि एक हफ्ते में ही योग ने उनकी जिंदगी बदल दी. अब वह अहमदाबाद के पीआर ट्रेनिंग कॉलेज में फिजिकल एजुकेशन के टीचर हैं और दुनिया भर में योग सिखाते हैं.

ग़िज़ा पिरामिड पर योग का प्रदर्शन
ग़िज़ा पिरामिड, जो इतिहास का एक सबसे बड़ा अजूबा है, वहां योग करना एक बेहद खास अनुभव था. मेहबूब कुरैशी ने पिरामिड के अंदर और बाहर, दोनों जगह योग किया. उन्होंने खड़े होकर, बैठे हुए, लेटकर और प्राणायाम करते हुए योग के अलग-अलग आसन दिखाए. यह दिखाने का तरीका वाकई एक मिसाल बन गया है. इस तरह का प्रदर्शन पहले कभी नहीं हुआ था.

क्यों है मेहबूब कुरैशी इतना खास?
मेहबूब कुरैशी सिर्फ एक योग शिक्षक नहीं हैं, बल्कि एक प्रेरणा हैं. वह पहली बार 2019 में इतिहास में नाम दर्ज करवा चुके थे, जब उन्होंने एक साथ पांच देशों में योग सत्र आयोजित किए थे. यह सत्र चीन की महान दीवार से हुए थे. साथ ही, उन्हें APJ अब्दुल कलाम राष्ट्रीय पुरस्कार और माओ ज़ेदोंग अंतरराष्ट्रीय योग पुरस्कार भी मिल चुके हैं.

योग से जीवन को बदलने का असर
कुरैशी ने न केवल खुद का जीवन बदला, बल्कि लाखों लोगों की जिंदगी भी बदली. उन्होंने दुनिया भर में 430 योग शिविर लगाए हैं, जिनसे करीब 3.4 लाख लोग लाभान्वित हुए हैं. खासकर कोरोना महामारी के दौरान, जब लोग मानसिक और शारीरिक रूप से कमजोर हो रहे थे, तब कुरैशी ने 500 से अधिक लोगों की मदद योग के ज़रिए की.

एक नई दिशा की ओर योग का सफर
कुरैशी का सपना है कि वह दुनिया के हर अजूबे पर योग का प्रदर्शन करें और इससे लोगों को जोड़ें. उनका मानना है कि योग सिर्फ शारीरिक अभ्यास नहीं है, बल्कि यह मानसिक और आध्यात्मिक रूप से भी जीवन को बेहतर बनाता है. इसके अलावा, वह यह भी मानते हैं कि योग को धर्म, संस्कृति और भाषा से परे सबके लिए सुलभ और महत्वपूर्ण बनाना चाहिए.

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