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दीपावली के दूसरे दिन शुक्रवार काे गौतमपुरा के ग्रामीणों में भाईचारे की परंपरा निभाने अनूठा हिंगोट युद्ध हुआ। हिंगोट युद्ध मैदान पर शाम 5 बजे से युद्ध लड़ने के लिए कलंगी (रूणजी) व तुर्रा (गौतमपुरा) के करीब 200 योद्धा मैदान पर पहुंचे। इसमें दोनों ही द
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भाईचारे की परंपरा निभाने का युद्ध इस युद्ध की मुख्य बात यह है कि यह भाईचारे की परंपरा निभाने का युद्ध है। इस युद्ध में ना किसी दल की हार होती ना जीत होती है। हिंगोट खत्म होते ही युद्ध भी खत्म हाे जाता है और दल वापस लौट जाते है।
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