[ad_1]
ग्वालियर में 8 साल से जिस झगड़े को कोर्ट, पुलिस और समाज नहीं सुलझा पा रहा था, उसे ग्वालियर के हस्तिनापुर थाने में बने समझौते वाले हनुमान बाबा ने सिर्फ 20 मिनट में जड़ से खत्म करा दिया।
.
8 साल पहले खेत की मेड़ पर चारा काटने से शुरू हुए संघर्ष में गुर्जर समाज के दो परिवार उलझे हुए थे। दोनों तरफ से एक-दूसरे पर 3-3 मामले दर्ज हो चुके हैं। 14 बार पुलिस दोनों पक्षों पर प्रतिबंधात्मक कार्रवाई कर चुकी है।
शनिवार को पुलिस ने दोनों पक्षों को हस्तिनापुर थाने बुलाकर समझौते वाले हनुमान जी के सामने बैठाया। पहले तो दोनों पक्षों में गहमागहमी हुई, लेकिन कुछ देर बाद दिल मिल गए। यहां उनको समझ में आया कि इस संघर्ष में उन्होंने पिछले कुछ साल में क्या-क्या खो दिया है। इसके बाद हनुमान जी को साक्षी मानकर दोनों पक्षों ने संकल्प लिया कि अब कभी नहीं लड़ेंगे। अपने बच्चों को पढ़ा-लिखा कर अच्छे संस्कार देंगे।
एक-दूसरे के गले लगकर माफी मांगी। दोनों पक्षों ने मिलकर खीर-टिक्कड़ का भंडारा कराया।

पुलिस ने हस्तिनापुर थाने बुलाकर दोनों पक्षों को समझौते वाले हनुमान जी के सामने बैठाया। दोनों पक्षों ने संकल्प लिया कि अब कभी नहीं लड़ेंगे।
8 साल पहले जिन लोगों में मारपीट, अब उनके बच्चे झगड़ रहे थे
ग्वालियर के हस्तिनापुर स्थित छोंदी गांव गुर्जर बाहुल्य है। गांव में रहने वाले रामलखन सिंह गुर्जर (पटवारी) और शिवराज सिंह गुर्जर के गुट के बीच आठ साल पहले खेत की मेड़ पर चारा काटने को लेकर मारपीट हुई थी। दोनों तरफ से लाठी, डंडे और बंदूक निकल आई थीं। पिछले आठ साल में दोनों गुट 15 से 20 बार आमने-सामने आ चुके थे। अब तक कई बार हुए झगड़े में 20 से ज्यादा लोग घायल हो चुके हैं। 6 FIR दर्ज हो चुकी है।
पुलिस ने झगड़े को रोकने के लिए 14 बार प्रतिबंधात्मक कार्रवाई भी दोनों पक्षों पर की है, लेकिन विवाद खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा था। हाल ही में तीन दिन पहले भी यह दोनों गुट के सदस्य आमने-सामने आए थे, तब भी तनातनी हो गई थी। आठ साल पहले जिन दो लोगों में झगड़े की शुरुआत हुई थी, अब उनके बच्चे मैदान में थे।
विवाद तो कहीं था ही नहीं, सिर्फ अहम की थी लड़ाई
हाल ही में यह मामला एसडीओपी बेहट संतोष पटेल के सामने आया। इसके बाद उन्होंने हस्तिनापुर थाना प्रभारी राजकुमार राजावत से बातचीत की। यहां पुलिस ने पहले झगड़े से लेकर आखिरी झगड़े तक के पूरे केस को एनालिसिस किया तो एक बात समझ में आई कि झगड़े में विवाद तो कहीं था ही नहीं, बल्कि दोनों गुट के अहम की यह लड़ाई थी।
जमीन, प्लॉट, मकान, पैसा सहित अन्य कोई विवाद दोनों पक्षों के बीच नहीं था। झगड़े में सिर्फ दोनों पक्षों का अहम टकरा रहा था। फिर पुलिस ने इसी अहम को खत्म करने की योजना बनाई, क्योंकि इन दोनों गुटों के झगड़े से हस्तिनापुर के छोंदी गांव में हमेशा तनाव रहता था। कभी भी झगड़ा हो जाता था।

एक पक्ष, जिसने कहा कि हमने इस लड़ाई में बहुत नुकसान करा लिया।
एक-दूसरे से लड़ते आए थे, फिर मिलाया हाथ
शनिवार को पुलिस ने दोनों गुटों को हस्तिनापुर थाने में बरगद के पेड़ के नीचे स्थापित समझौते वाले हनुमान मंदिर में बुलाया। यहां रामलखन सिंह गुर्जर और शिवराज सिंह गुर्जर के पक्ष के लोग एक-दूसरे पर आंख तानते हुए पहुंचे। एसडीओपी बेहट, हस्तिनापुर थाना प्रभारी ने दोनों पक्षों को मंदिर के प्रांगण में बैठाया। उनके बीच विवाद की जड़ पूछी। दोनों में से कोई पक्ष इसका जवाब नहीं दे सका। इस पर पुलिस ने उनको विवाद की जड़ बताई। पुलिस अधिकारियों ने उनको समझाया कि दोनों पक्षों में विवाद कुछ नहीं, सिर्फ अहम का टकराव है। इस टकराव के चलते दोनों गुटों के न जाने कितने युवाओं पर मामला दर्ज हो चुका है।

दूसरा गुट, जिसे समझ में आ गया कि लड़कर क्या खो दिया।
एसडीओपी बेहट संतोष कुमार पटेल का कहना है…
बिना किसी विवाद के दो गुट सालों से लड़ रहे थे, जबकि उनके बीच कोई विवाद ही नहीं था, सिर्फ अहम का टकराव आड़े आ रहा था।

ये समझौते भी हो चुके
- एक महीने पहले 7 साल पुराना विवाद सुलझा। बिलहारा गांव के देवेंद्र राणा और सुनारपुरा के अनिल राणा का 65 लाख रुपए का लेनदेन का विवाद था।
- टकोली के सरपंच और कल्ली गुर्जर के बीच तीन साल पुराने JCB विवाद को भी पुलिस ने इसी मंदिर में सुलझाया था।
- समझौते वाले हनुमान मंदिर में पारिवारिक विवाद के मामले तो हर दूसरे दिन आते हैं और कई मामले यहां सुलझ चुके हैं।
[ad_2]
Source link

