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Such is the sindoor khela of the Bang society | बंग समाज ने एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर मनाया दशहरा: सिटी बंगाली क्लब में दिखा बंगाल की दुर्गा पूजा का नजारा, आदिशक्ति को दी विदाई – Jabalpur News

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शनिवार को जबलपुर के बंग समाज ने पूरे उत्साह के साथ दशहरा पर्व मनाया। इस अवसर पर बंग समाज की महिलाओं ने मां दुर्गा की पूजा-अर्चना कर सिंदूर खेला की परंपरा निभाई। सिद्धी बाला बोस लाइब्रेरी सिटी बंगाली क्लब, करमचंद चौक में हुए इस आयोजन में महिलाओं ने मा

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बंग समाज की महिला मिताली रंजन ने बताया कि महिषासुर का वध करने के बाद मां दुर्गा मायके आती हैं, जहां बंगाली समाज के लोग नौ दिनों तक उनकी पूजा करते हैं और बेटी की तरह उनका स्वागत करते हैं। विदाई के समय महिलाएं माँ दुर्गा को सिंदूर लगाती हैं और एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं।

दशहरा पर सिंदूर खेला की परंपरा निभाते बंगाली समाज

दशहरा पर सिंदूर खेला की परंपरा निभाते बंगाली समाज

दशकों से चली आ रही है परम्परा

बंग समाज की यह परंपरा कई दशकों से चली आ रही है। मां भगवती नौ दिनों के लिए मायके आती हैं। नौ दिनों तक मां भगवती की आराधना की जाती है फिर दशमी के दिन मां दुर्गा को अगले साल फिर आने का निवेदन कर विसर्जन किया जाता है। इस दौरान महिलाएं ढाक और ढोल की थाप पर नाचती हैं और मां को विदा करने गौरी घाट स्थित विसर्जन कुंड तक जाती हैं। विसर्जन से पहले खप्पर आरती के जरिये माँ दुर्गा की आराधना की गई।

एक-दूसरे को सिंदूर लगाती महिलाएं।

एक-दूसरे को सिंदूर लगाती महिलाएं।

बंग समाज का दशहरा है विख्यात

बंग समाज के सिंदूर खेला की तरह इनका दशहरा भी विख्यात है। आज शाम को सिटी बंगाली क्लब से धूमधाम के साथ बंगाली समाज का दशहरा निकाला जाता है, जिसमें सैंकड़ों की संख्या में बंगाली समुदाय के द्वारा 9 दिनों तक स्थापित की गई मां दुर्गा प्रतिमाओं को शामिल किया जाता है।

इस दौरान शक्ति की भक्ति में लीन होकर बंग समुदाय के लोग विसर्जन कुंड पहुंचकर मूर्तियों का विसर्जन करते हैं। सभी माँ दुर्गा से अगले साल फिर से आने की प्रार्थना करते हुए नम आँखों से विदाई देते है।

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